आखिर इतनी जल्दबाजी की आवश्यकता ही क्या थी!

 

0 चतुष्सीमा का अता पता नहीं . . . 03

किस सियासी दल को लाभ पहुँचाने की जुगत में है नगर पालिका!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। जिले की इकलौती नगर पालिका परिषद में वार्ड की संख्या दो दर्जन से बढ़ाकर तीन दर्जन किए जाने के बाद भी अब तक वार्ड का नक्शा किसी के पास नहीं है। इस मामले में भाजपा के द्वारा आवाज उठाना आरंभ किया है पर प्रदेश में सत्ता में बैठी काँग्रेस ने अब तक अपना मौन नहीं तोड़ा है।

ज्ञातव्य है कि लगभग पांच दिन पूर्व नगर पालिका परिषद के वार्ड को 24 से 36 किए जाने और उसके उपरांत वार्ड के आरक्षण की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। कौन सा वार्ड कहां है, पुराने वार्ड की सीमाएं कहां तक हैं, नए वार्ड में कौन सा क्षेत्र आएगा इस पर से अभी तक कुहासा हट नहीं सका है।

नागरिक ऊहापोह की स्थिति में हैं कि नए वार्ड्स के अस्त्वि में आने के बाद वे पुराने वार्ड के निवासी रह गए हैं या किसी नए वार्ड में उन्हें बलात ही ढकेल दिया गया है। अब नागरिकों के सामने यह समस्या खड़ी दिख रही है कि अगर उनके वार्ड का नाम बदलता है तो उन्हें अपने जरूरी दस्तावेजों में संशोधन कराना होगा।

प्रशासनिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नए वार्ड के अस्तित्व में लाने और सीमा निर्धारण के लिए बकायदा इसका प्रकाशन कराया जाकर दावे आपत्ति बुलवाई जाने के बाद इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाना चाहिए था। वार्ड्स के नजरी नक्शों को भी कम से कम नगर पालिका के सूचना पटल पर चस्पा किया जाना चाहिए था।

सूत्रों ने कहा कि सारी कवायद देखते हुए यही प्रतीत हो रहा है कि नगर पालिका परिषद के द्वारा किसी सियासी दल के नुमाईंदों के लाभ पहुंचाने की गरज से ही इस तरह की कवायद की गई है। लोग इसे लोकसभा और विधान सभाओं में हुए परिसीमन और पुर्न आरक्षण से भी जोड़कर देख रहे हैं।

इधर, लोगों का कहना है कि जिस तरह सिवनी लोकसभा सीट के विलोपन का कोई प्रस्ताव नहीं होने के बाद भी सिवनी लोकसभा सीट का एकाएक विलोपन कर दिया गया था, उसी तरह की कवायद अब होती दिख रही है। जनता की जानकारी में लाये बिना ही वार्ड की तादाद बढ़ाई जाकर आरक्षण करवा दिया गया है, पर चतुष्सीमा का निर्धारण अब तक नहीं किया जा सका है।

नगर पालिका के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि वार्ड की तादाद बढ़ाए जाने का प्रस्ताव अभी का नहीं बहुत पुराना है। अधिकारियों के द्वारा इस मामले में नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करने की बजाय पुराने प्रस्तावों को ही भोपाल भेजा जाकर उन्हीं पर मुहर लगवा दी गई है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में जब कार्यवाही प्रचलन में थी, तब नगर पालिका के निर्वतमान पार्षदों को इसकी जानकारी थी। अगर अब पार्षद जानकारी नहीं होने की बात कहें तो यह बेमानी इसलिए होगा क्योंकि पालिका की एक-एक गतिविधियों पर पार्षदों की बारीक नजर रहा करती थी।

सूत्रों ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि अब सिवनी नगर पालिका का मामला कुछ हद तक उलझता दिख रहा है, इसका कारण यह है कि अब तक वार्ड की सीमाओं को चिन्हित कर उसका प्रकाशन कराए जाने के पहले ही पालिका के द्वारा वार्ड का आरक्षण करवा दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस मामले में अनेक लोगों के द्वारा कानूनी सलाह भी ली जा रही है।