सच्चाई सामने आएगी

 

जब मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स डोनाल्ड जॉन ट्रंप के खिलाफ आए महाभियोग परीक्षण के लिए सभी 100 सीनेटरों को ज्युरर के रूप में शपथ दिला देते हैं, तब ये सभी संविधान के अनुसार निष्पक्ष न्याय के वादे से बंध जाते हैं। इस आदर्श स्थिति के बावजूद देश के संस्थापक इस पर साफ सियासी नजरिया रखते थे। फेडरलिस्ट नंबर 65 में महाभियोग-प्रक्रिया के बारे में अलेक्जेंडर हैमिल्टन ने लिखा था, सबसे बड़ा खतरा है कि निर्दाेषता या अपराध की सच्चाई देखने की बजाय पार्टियों की तुलनात्मक ताकत के अनुरूप निर्णय किया जाएगा। लगता है, यह ट्रंप के खिलाफ आए महाभियोग के बारे में ही लिखा गया था। अमेरिकी इतिहास में यह तीसरा मौका है, जब महाभियोग का मामला सीनेट पहुंचा है। यह डेमोक्रेट नियंत्रित हाउस से होते हुए जिस सीनेट के पास पहुंचा है, उसमें रिपब्लिकन 53-47 के अंतर से बहुमत रखते हैं।

ट्रंप को पद से हटाने के लिए 67 वोटों की जरूरत है, अतः उनके बरी होने की संभावना ज्यादा है। इसके बावजूद अमेरिकियों के बीच हुए एक सर्वेक्षण से पता चलता है, 62 प्रतिशत अमेरिकियों का मानना है कि महाभियोग पर निष्पक्ष कार्यवाही संभव है। सीनेटरों पर दबाव बना रहे ट्रंप ने दो बार ट्वीट किया है कि सीनेट महाभियोग को यूं ही खारिज कर दे, और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो उनके खिलाफ लगे झूठे आरोपों को बल मिलेगा। लेकिन सीनेट के रिपब्लिकन नेता मानते हैं कि महाभियोग को एक ही बार में खारिज कर देना बहुत बड़ा झटका होगा। सीनेट में आरोपों की जांच-परख होनी चाहिए।

सीनेट में जो भी हो, लोगों को दिखना चाहिए। अमेरिका के लोग अदालत के नाटकों से परिचित हैं, सत्य की खोज में सुबूत, दस्तावेज और प्रासंगिक गवाह का महत्व समझते हैं। सीनेट के एक नेता मैक्कोनेल ने पिछले महीने फॉक्स न्यूज से कहा था कि राष्ट्रपति और हमारी स्थिति में कोई अंतर नहीं होगा। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि गवाहियों और दस्तावेजों को क्यों रोका जा रहा है। इन्हें जारी होने से व्हाइट हाउस रोक रहा है। देर-सबेर सच्चाई बाहर आ ही जाएगी। इस मामले में भी जल्दी ही आएगी। (यूएसए टुडे, अमेरिका से साभार)

(साई फीचर्स)