सर्दियों में होने वाली आम स्वास्थ्य समस्याएं

 

ठंड के मौसम में आमतौर पर सर्दी जुकाम जैसी समस्याएं होती हैं, लेकिन इस मौसम में नीमोनिया, ब्रांकाइटिस जैसी बीमारियां भी हो सकती है। सर्दियों में स्वस्थ रहना है, तो अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाये। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक होती है, उन्हें सर्दी जुकाम जैसी समस्याएं नहीं होती। इसलिए अपना खान-पान ठीक रखें, पूरी नींद लें और थोड़ा व्यायाम करे। सर्दियों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं:

जुकाम 

ठंड के मौसम में हमारे शरीर के तापमान में भी गिरावट हो जाती है, जिससे जुकाम हो जाता है। ऐसे में वातावरण के अनुसार कपडे़ पहनने चाहिए। जुकाम से बचने के लिए हाथ साफ रखें, जिससे वो कीटाणु नष्ट हो जायें, जो दिखाई नहीं देते।

खांसी और गले में खराश

सर्दियों के मौसम में अकसर लोगों को खांसी की समस्या भी रहती है। ऐसे में कोल्ड ड्रिंक या आइसक्रीम खाने से खांसी और बढ़ सकती है। अगर आपको साइनस की समस्या है तो धूल मिटटी से बचों ठंड में बाहर जाते समय सर और गला हमेशा ढक कर रखो गले की खराश दूर करने के लिए गुनगुने पानी में नमक डालकर गार्गल करे।

ब्रांकाइटिस 

5 साल से कम उम्र के बच्चों को ब्रांकाइटिस की समस्या अधिक होती है। वैसे यह समस्या हर उम्र के लोगों में देखी गयी है। ऐसे में मरीज को सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी भी होती है, जो कई हफ्तों तक रहती है। बच्चों में ब्रांकाइटिस के कारण बुखार भी हो जाता है। अगर किसी व्यकित को लगातार बुखार और खांसी रहती है, साथ ही सीने में दर्द और खांसते समय मुंह से खून आता है, तो चिकित्सक से मिलने में देर नहीं करनी चाहिए।

सिरदर्दं 

सर में ठंड लग जाने के सरदर्द हो सकता है। सर्दियों में या ठंडी जगह पर यात्रा करने के दौरान सर को ढक कर रखों कई बार ऐसे सरदर्द पानी की कमी के कारण भी होते हैं इसलिए सर्दियों में भी कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पीये।

दमा या अस्थमा 

ठंडी हवाएं दमा के लक्षणों को गंभीर बना सकती हैं, जैसे सांस लेने में बहुत तकलीफ होना। दमा के मरीजों को अपने साथ हमेशा दमा की दवाएं रखनी चाहिए।

गठिया या हड्डियों में दर्द

जिन लोगों को गठिया होता है, उन्हें सर्द वातावरण में अधिक परेशानी होती है। ऐसे में सर्दियों से बचाव और थोड़ा व्यायाम कारगर साबित हो सकता है।

हृदयाघात

हृदयाघात या हार्ट अटैक की समस्या सर्दियों में ब्लड प्रेशर के बढ़ जाने के कारण होती है। ब्लड प्रेशर के बढ़ जाने से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हृदयाघात हो सकता है।

इन्फ्लूएंजा

6 महीने से 2 साल तक के बच्चों के लिए इन्फ्लूएंजा का टीका बाजार में उपलब्ध है। अपने शिशु का टीकाकरण जरूर कराये। इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, इसके लक्षण है थकान, बुखार और सांस लेने में तकलीफा इन्फ्लूएंजा की गंभीर सिथतियों में नीमोनिया भी हो सकता है।

आरएसवी रेस्पायरेटरी सिनसायशियल वायरस

रेस्पायरेटरी सिनसायशियल वायरस के कारण व्यकित को सरदर्द, बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। आरएसवी सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। लेकिन बुजुर्गों और नवजात शिशुओं के लिए यह समस्या अधिक गंभीर होती है। बच्चों में सांस लेने में तकलीफ के साथ खांसी भी हो सकती है। ऐसी सिथिति नवजात शिशु के लिए नीमोनिया का कारण भी बन सकती है। यह बहुत ही संक्रामक रोग है और इसके वायरस मरीज के खांसने या छींकने से फैल जाते है।

गैस्ट्रोएंट्राइटिस 

बच्चों में गैस्ट्रोएंट्राइटिस या आंत में और पेट में सूजन का एक कारण रोटावायरस भी हो सकता है, यह समस्या अकसर सर्दियों के अंत में और गर्मियों की शुरूआत में देखने को मिलती है। इसमें उलिटयों और दस्त की समस्या होती है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो सकती है। ऐसे में मरीज को ओआरएस देना चाहिएा यह बीमारी दूषित खाना खाने व दूषित पानी पीने से फैलती है।

(साई फीचर्स)