नेत्र विभाग में नहीं हैं विशेषज्ञ, दवाएं भी हैं गायब!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। जिला अस्पताल के भवन को पिछले आठ दस माहों में चमका दिया गया है, पर अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलने के कारण मरीज़ यहाँ वहाँ भटकने पर मजबूर हैं। अस्पताल में आवश्यक दवाओं की सूची (एसंशियल ड्रग्स लिस्ट) में ही सारी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला चिकित्सालय के आहरण संवितरण अधिकारी भले ही पृथक हों, पर जिला चिकित्सालय के नियंत्रणकर्त्ता अधिकारी सीएमएचओ ही होते हैं, पर उनके द्वारा भी अस्पताल की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है।
सूत्रों ने बताया कि जिला अस्पताल में मानसिक रोगियों, सोरायसिस, आँखों की दवाओं आदि का टोटा साफ दिखायी देता है। इसके अलावा रक्तचाप के लिये भी अस्पताल में निर्धारित दवाएं ही उपलब्ध हैं। इन दवाओं की गुणवत्ता क्या है इस बारे में कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि जब तक गुणवत्ता की रिपोर्ट प्रयोगशाला से आती है तब तक आधे से ज्यादा दवाएं बांट दी जाती हैं।
हाल ही में चिकित्सालय में आँखों की दवाएं नहीं मिलने का मामला प्रकाश मंे आया है। चिकित्सक के द्वारा मरीज़ों को लिखी गयी आँख की दवा नहीं मिलने की शिकायत भी अस्पताल प्रबंधन से की जा चुकी है। अस्पताल में कौन सी दवाएं स्टाक में हैं, इस बारे में भी चिकित्सकों को नहीं बताया जाता है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि अस्पताल में एडीएल की सूची में लगभग साढ़े चार सौ दवाएं हैं, पर अस्पताल के भण्डार में महज़ ढाई से तीन सौ दवाएं ही मौजूद रहती हैं। अस्पताल के भण्डार का अघोषित प्रभार भी एक कर्मचारी के पास है, जिनकी पद स्थापना पास के किसी अस्पताल में बतायी जाती है।
पेंशनर्स हो रहे परेशान : इसी तरह अपना सारा जीवन सरकार की सेवा में समर्पित करने वाले पेंशनर्स को भी जब चाहे तब बजट का रोना रोकर दवाएं देने से मना कर दिया जाता है। पेंशनर्स को लगने वाली दवाएं अस्पताल में नहीं मिलतीं और स्थानीय क्रय (लोकल परचेज) के लिये बजट का अभाव बता दिया जाता है।

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