तनाव का सारा बोझ विद्यार्थियों के मत्थे ही क्यों!

 

 

इन दिनों सिवनी में भी परीक्षाओं का दौर चल रहा है। परंपरागत ढर्रे के बीच विद्यार्थी बेहद तनाव में भी दिख रहे हैं। व्यवस्था के इसी पुराने ढर्रे से मुझे शिकायत है।

विद्यार्थियों के सिर पर इन दिनों प्रश्न पत्र के साथ ही साथ जो सबसे ज्यादा डर रहता है वह है नकल प्रकरण का। कई मर्तबा इस मामले में निर्दोष विद्यार्थी पिस जाते हैं और इसके चलते उनका पूरा साल ही व्यर्थ हो जाता है जिसके कारण उनके अंदर घोर निराशा घर कर जाती है क्योंकि एक बार नकल का प्रकरण बनने के बाद उनका पक्ष सुनने वाला कोई नहीं रह जाता है।

ऐसा नहीं है कि विद्यार्थी नकल नहीं करते होंगे लेकिन कई विद्यार्थी शातिर भी होते हैं जो समय देखकर अपनी पर्ची या नकल अन्य साधन को घबराहट के चलते अपने आसपास ही फेक देते हैं जिसकी जद में कई बार निर्दोष विद्यार्थी आ जाते हैं। नकल की पर्ची देखकर कई बार ड्यूटी पर तैनात शिक्षकों के द्वारा निर्दोष विद्यार्थी की बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है।

विद्यार्थी को इस तरह की स्थिति से बचाने के लिये बेहतर होगा कि परीक्षा कक्षों को सीसीटीव्ही कैमरों से लैस कर दिया जाये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके लेकिन सभी कक्षों में ऐसे कैमरे नहीं लगाये जा सके हैं। सिवनी में सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ ही साथ निज़ि शिक्षण संस्थाएं भी हैं जिनको परीक्षा का केन्द्र बनाया गया है।

निज़ि शिक्षण संस्थाओं के द्वारा विद्यार्थियों से फीस के नाम पर अनाप शनाप राशि वसूल की जाती है। ऐसे में शासन-प्रशासन के द्वारा इन संस्थाओं पर भी दबाव बनाया जाना चाहिये कि वहाँ भी सीसीटीव्ही कैमरों की जद में परीक्षा केन्द्रों को लाया जाये। इसी तरह यदि किसी प्रश्न पत्र में विद्यार्थियों के नंबर असामान्य रूप से कम आ रहे हैं तो इस संबंध में जाँच करवायी जाकर संबंधितों के विरूद्ध भी कार्यवाही की जाना चाहिये ताकि वे जान बूझकर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने से बाज आयें।

आशीष भटनागर

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