स्वदेशी तकनीक से बनीं धनुष तोप का फि‍र बालासोर फायरिंग रेंज में परीक्षण

 

(ब्यूरो कार्यालय)

जबलपुर (साई)। शहर की गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में स्वदेशी तकनीक से बनीं धनुष तोप (155एमएम/45 कैलिबर गन) का एक बार फिर ओडिशा की बालासोर फायरिंग रेंज में परीक्षण होगा। निर्माणी प्रशासन ने 4 दिन पहले ही दो तोपों को परीक्षण के लिए रवाना किया है। इसके साथ ही एक तोप और जल्द बालासोर भेजने की तैयारी चल रही है। यह तोपें परीक्षण में सफल होने के बाद सेना के हवाले कर दी जाएंगी।

जीसीएफ में वर्ष-2009 में बोफोर्स तोप के हिस्सों को जोड़कर स्वदेशी तकनीक से धनुष तोप बनाने का काम शुरू किया गया। शिक्षण संस्थान ट्रिपल आईटी डीएम के इंजीनियरों ने इस आर्टिलरी गन की डिजाइन ऐसी बनाई है कि इसकी मारक क्षमता 28 से बढ़कर 39 किलोमीटर हो गई है।

जीसीएफ में निर्मित स्वदेशी धनुष तोप के 81 फीसद कलपुर्जे (कंपोनेंट्स) देश में बनाए गए हैं। इस तोप की क्षमताएं विश्व की किसी भी तोप से तुलना करने पर बेहतर मिलती हैं। यह स्वदेशी तोप बनने से पहले तक रक्षा मंत्रालय भारतीय सेना के लिए विदेशों से आधुनिक अस्त्र-शस्त्र की खरीदी करता रहा। अब देश में स्वदेशी व आधुनिक तोप का उत्पादन होने से बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा की बचत होगी।

बालासोर में फायरिंग 20 से

सूत्र बताते हैं कि बालासोर फायरिंग रेंज में धनुष तोप का इससे पहले भी परीक्षण किया जा चुका है। सैन्य प्रशासन ने बालासोर में धनुष तोप का दोबारा परीक्षण शुरू करने की तिथि 20 मार्च निर्धारित की है। वहीं जीसीएफ प्रशासन यह परीक्षण शुरू होने के पहले ही तीसरी धनुष तोप भी फायरिंग रेंज तक भेजने की तैयारी में जुटा है।

स्वदेशी तोप की खासियत

. स्वेदशी धनुष पूरी तरह स्वचलित तोप (ऑटोमेटिक या कंप्यूटरीकृत गन) है।

. यह तोप वजन में हल्की व इंजनयुक्त होने से ऊबड़-खाबड़, रेतीले रास्तों में आसानी से पहुंचती है।

. इस तोप या इसकी संचालन क्षमता पर मौसम (ठंड, गर्मी) मौसम का कोई असर नहीं होता।

. तोप में किसी भी टारगेट (निशाना) को साधकर अचूक हमला करने क्षमता है।

. विदेशी तोपों की तुलना में यह स्वदेशी तोप दनादन व लगातार फायर कर सकती है।

. इसे सौ फीसद स्वदेशी व उत्कृष्ट, गुणवत्तायुक्त बनाने पर लगातार काम हो रहा है।