करंसी नोट पर भी कोरोना के संक्रमण का खतरा!

 

वायरस के संवाहक हो सकते हैं नोट, ईपेमेंट अपनायें, रहें कोरोना से दूर!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। देर से ही सही पर केंद्र और प्रदेश सरकार के साथ ही साथ जिला प्रशासन भी कोरोना वायरस को लेकर संज़ीदा होता दिख रहा है। कोरोना वायरस न फैले इसके लिये प्रशासन के द्वारा भीड़ एकत्र होने वाले कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गयी है। प्रशासन को चाहिये कि नागरिकों से सुझाव लिये जाकर इसको फैलने से कैसे रोका जा सकता है इस बारे में ऐहतियातन कदम उठाये जायें।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना या अन्य वायरस के संवाहक के रूप में करंसी नोट भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। रूपया एक हाथ से दूसरे हाथ में जाता है, जिसके कारण इसके फैलने की आशंकाओं को निर्मूल नहीं माना जा सकता है।

सूत्रों ने आगे बताया कि अनेक शोध में यह बात सामने आयी है कि करंसी नोट में अनेक विषाणु पनपते हैं। इसके अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एण्ड इंट्रीगेटिव बायोलॉजी के द्वारा किये गये शोध में यह बात भी उभरकर सामने आयी थी कि करंसी नोट के जरिये लगभग 78 तरह की बीमारियां फैलती हैं, क्योंकि करंसी नोट में अक्सर सूक्ष्म जीव अपना डेरा बना लेते हैं।

सूत्रों ने यह भी कहा कि अभी तक यह बात पुख्ता तौर पर प्रमाणित नहीं हो पायी है कि कोरोना वायरस कितने समय तक और कितने तापमान पर जीवित नहीं रह पायेंगे। इसके लिये सावधानी ही कारगर उपाय के रूप में सामने आ रहा है। एटीएम और मोबाइल का प्रयोग भी संक्रमण का कारक बन सककता है, इसलिये सेनेटाइजर्स का उपयोग अधिक से अधिक बार किया जाये।

उल्लेखनीय होगा कि भारतीय रिज़र्व बैंक के द्वारा भी देशवासियों से अपील की गयी है कि कोरोना से बचाव के लिये यह आवश्यक है कि लोग अधिक से अधिक डिज़ीटल भुगतान करें और स्वीकार भी करें। बैंक ने कहा है कि सामानों या सेवाओं की खरीद, बिल के पेमेंट तथा फंड ट्रांसफर के लिये एनईएफटी, यूपीआई, आईएमपीएस, बीबीपीस जैसे कई विकल्प चौबीसों घण्टे उपलब्ध हैं।

आरबीआई ने यह भी कहा है कि लोग भुगतान के लिये मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग आदि का उपयोग करते हैं, इसके अलावा नकद लेनदेन में करंसी नोट का ही प्रयोग कर रहे हैं। नोट गिनते समय थूक का प्रयोग सामान्यतः करते हैं, जिससे नोट पर लगे सूक्ष्म जीवों का शरीर के अंदर प्रवेश करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

वैसे भी सरकार की मंशा डिज़ीटल लेनदेन की है, इसलिये कोरोना के बचाव हेतु अब लेनदेन को भी डिज़ीटल करने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसके लिये सरकार, बैंक के चार्जेस अगर कम कर दे अथवा समाप्त कर दे तो इससे बहुत ज्यादा राहत भी महसूस की जा सकती है।