ग्रीष्म ऋतु में अमृत तुल्य है आयुर्वेदिक आहार-विहार

विजय नगर में खुले पतंजलि चिकित्सालय के वरिष्ठ आयुर्वेदिक परामर्श चिकित्सक डॉ. विवेक दुबे का कहना है कि ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेदिक आहार-विहार अमृत तुल्य है। उन्होंने बताया कि चौत्र मास से ही वातावरण में गर्मी बढ़ने लगती है और आषाढ़ के मध्य तक ग्रीष्म ऋतु चलती है। वैशाख मास में ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर होती है और जैसे जैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ता है।

लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होने लगती हैं। उन्होंने बताया कि पेट में मरोड़, मास पेशियों में खिचाव, थकावट व लू लगने की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। शरीर से अत्याधिक पसीना निकलने से नमक और खनिज की कमी, थकावट व रक्तचाप का कारण बन रही है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में मास पेशियों में खिलाव जिसे हीट क्रेम्स भी कहते हैं। यह उन लोगों को होता है जो बहुत अधिक शारीरिक श्रम करते हैं। खिचाव शरीर में मुख्यता पेट, जांघ की मास पेशियों एवं पिंडलियों में होता है।

इससे बचने के लिए तरल पदार्थाे का सेवन लाभकारी है। उन्होंने बताया कि गर्मी में लू लगने की भी समस्या लोगों में बढ़ जाती है। लू लगने पर शरीर का उच्च तापमान हो जाता है। बिना पसीने त्वचा गर्म हो जाती है तथा ह्दय की गति भी तेज हो जाती है। ऐसे में तुरंत चिकित्सीय परामर्श आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर की कमजोरी आ जाती है। रक्तचाप की कमी व सिर दर्द होता है।

ऐसे में मरीज को ठंडे स्थान पर ले जाएं व तरल पदार्थाे का सेवन कराएं। इनसेट-आयुर्वेदिक जीवनशैली से बचा जा सकता है गंभीर बीमारियों से इटावा। डॉ.विवेक दुबे का कहना है कि आयुर्वेदिक जीवन शैली को अपनाकर गंभीरता बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि लोग अपने दिन की शुरूआत पानी पीने के साथ करें तथा खाली पेट आंवला व ऐलोवेरा का रस पिएं। तेज धूप में निकलने पर सिर पर कपड़ा लपेटकर तथा आंखों में धूप का चश्मा पहनकर ही जाएं।

खाली पेट घर से बाहर न निकलें कम से कम एक दो गिलास पानी जरूर पिएं। उन्होंने बताया कि व्यायाम हल्के करने चाहिए तथा बीच बीच में नीबू, चीनी व नमन पानी का मिश्रण भी लेते रहें। कम वजन वाले हल्के रंगों के कपडेम् पहने,एल्कोहल रहित ठंडे तथा कैफीन रहित पेयपदार्थाे जैसे दूध, दही, नारियल पानी, मट्ठा, लस्सी आदि तरल पदार्थाे का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि बहुत ठंडे पेय पदाथों से बचें क्योंकि इससे नसों में खिचाव की आशंका बढ़ जाती है।

खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, खीरा, अन्नास का सेवन करें, इसमें जल की मात्रा अधिक होती है। उन्होंने बताया कि गर्मियों में हरी सब्जियों लॉकी, तौरई, टिंडे, परवल आदि ज्यादा लाभकारी है। ऐलोवेरा को त्वचा पर लगाने पर यूबीए और यूबीबी अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा मिलती है। लॉकी को काटकर पैरों के तलवों पर रगड़ने से लू के कारण होने वाली जलन शांत होती है। तुलसी के पत्ते, पुदीना के पत्ते, पिपली व नमन को जल में उबालकर पीने से लू नहीं लगती है।

डॉ. दुबे ने बताया कि बड़ी हरण का सेवन वर्ष भर तक करने वालों को ग्रीष्म ऋतु में बड़ी हरण का चूर्ण समान मात्रा में गुण में मिलाकर सुबह सेवन करना चाहिए। इससे बहुत अधिक लाभ होता है।

(साई फीचर्स)

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