आदिनाथ जयंति पर 07 प्रतिमाओं सहित मानस्तंभ में हुआ अभिषेक

 

 

आर्यिका गुरूमती माताजी ने शांतिधारा का किया वाचन

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ के कार्यकाल में उन्होंने लोगों में भाईचारा मैत्रीयता का संदेश दिया।

साथ ही लोगों को संदेश देते हुए कहा कि अहिंसा के क्षेत्र में कार्य करते हुए कृषि करो और ऋषि बनो। लोगों ने उनके सिद्धान्तों को जीवन में अपनाया और जीवन का कल्याण किया लेकिन आज के दौर में इन सिद्धान्तों से मनुष्य दूर हो गया है और हिंसा की ओर अग्रसर हो रहा है। इसके कारण तरह – तरह के नये रोग हमारे जीवन में आ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अगर हम आध्यात्मिक रूप से जीवन यापन करें तो इन रोगों से मुक्ति मिल सकती है। जिस तरह तार का संबंध ट्रान्सफॉर्मर से न होने पर हमंे बिजली प्राप्त नहीं हो सकती। इसी तरह आध्यात्म के बिना हमंे शांति नहीं मिल सकती। उक्त उदगार आदिनाथ जयंति के अवसर पर आयोजित महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम में आर्यिका गुरूमती माताजी ने व्यक्त किये।

प्रथम तीर्थंकर जैन धर्म के भगवान ऋषभ देव प्रभु के जन्म एवं तप महोत्सव के शुभ उपलक्ष्य में मंदिरजी के सम्मुख इन्द्र भवन परिसर में स्थापित भव्य मानस्तम्भ वेदिका में विराजित युगादि पुरूष भगवान ऋषभदेव का महा मस्तकाभिषेक आचार्य विद्या सागर महाराज की प्रथम सुशिष्या ज्येष्ठ आर्यिका श्री गुरूमति माताजी के ससंघ सानिध्य में किया गया।

इस अवसर पर बा.ब्र. मनोज जबलपुर द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। प्रातःकाल प्रभात फेरी भक्तामर विधान एवं मंदिरजी में विराजित भगवान आदिनाथ ऋषभ देव की समस्त धातु की चल प्रतिमाओं का महाभिषेक मानस्तम्भ परिसर में किया गया। इस अवसर पर आर्यिकाश्री गुरूमति माताजी ने कहा कि असि मसी कृषि वाणिज्य शिल्प एवं विद्या की छः कलाएं गृहस्थ को अपने जीविका उपार्जन हेतु भगवान ने उपदेशित की उनका उपदेश कृषि करो या ऋषि बनों। सद्आचरण पूर्वक जीवन जीने की कला सिखाता है। भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के आद्य तीर्थंकर हैं किन्तु पाठ्यक्रमों के माध्यम से भगवान महावीर को जैन धर्म का संस्थापक बताया जा रहा है जो कि सर्वथा अनुचित है। भगवान ऋषभ से लेकर महावीर के मध्य बाईस तीर्थंकरों का फासला है। महावीर अंतिम तीर्थंकर हैं।

इस अवसर पर नरेश दिवाकर, नरेन्द्र गोयल, नरेन्द्र पाईया, चंद्रशेखर आज़ाद, नरेन्द्र जैन, नीरज चौधरी, शील कुमार, जैन, जिनेन्द्र जैन, नील कमल जैन, पवन दिवाकर, अशोक बाझल, अपूर्व जैन, रिंकू चौधरी, संयम चौधरी, प्रभात जैन, प्रभात बीडी जैन, राजा पटेल, यशु जैन, दिनेश जैन, संजय जैन सहित महिला मण्डल के शक्कर बाई, सुशीला बागड़, नीलम बाझल, सारिका जैन, सुनीता जैन, सोयल बाझल सहित समस्त महिला मण्डल आदि श्रावकों ने प्रमुख रूप से श्रीजी का प्रथम कलश एवं शांतिधारा का सौभाग्य प्राप्त किया। माताजी ने शांति धारा का वाचन किया।