काँग्रेस में लगने लगी स्तीफों की झड़ी!

 

ब्रजेश के बाद जनपद सदस्य व युवा काँग्रेस उपाध्यक्ष ने दिया त्यागपत्र

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। जिला काँग्रेस कमेटी के आला नेताओं को भले ही यह लग रहा हो कि उनकी कार्यप्रणाली से काँग्रेस के आम कार्यकर्त्ता खुश है पर काँग्रेस में एक के बाद एक स्तीफों से उनका भ्रम शायद टूट जाये!

सोशल मीडिया पर कान्हीवाड़ा जनपद पंचायत की सदस्य श्रीमति विनीता राजेश सौलंकी का त्याग पत्र वायरल हो रहा है। जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को संबोधित त्याग पत्र में उनके द्वारा कहा गया है कि वे और उनका परिवार अनेक वर्षों से काँग्रेस के छोटे से कार्यकर्त्ता के रूप में कार्य करते आ रहे हैं।

सोशल मीडिया पर डले उनके त्याग पत्र में यह भी कहा गया है कि जबसे प्रदेश में काँग्रेस की सरकार बनी है, उसके बाद से अब तक जिला काँग्रेस के द्वारा लगातार ही हर जगह उनकी उपेक्षा की गयी है और अपमानित भी किया गया है। इसके चलते उन्हें और उनके परिवार को काँग्रेस की सत्ता और सरकार के रहते हुए भी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से परेशान किया जाता रहा है। इससे व्यथित होकर उनके द्वारा काँग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र देने की बात कही गयी है।

इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर ही युवा काँग्रेस कमेटी के जिला उपाध्यक्ष उमंग बब्बी शर्मा का त्याग पत्र भी पोस्ट हुआ है। उन्होंने भी अपना त्याग पत्र जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को संबोधित किया है। अपने त्याग पत्र में उन्होंने कहा है कि वे सेवाभावी उद्देश्य से काँग्रेस परिवार में शामिल हुए थे। उन्होंने सदैव ही जनता की सेवा को प्राथमिकता दी है पर उन्हें ऐसा लग रहा है कि वे संगठन के माध्यम से अपने लक्ष्यों को पूर्ण नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि वे कुछ समय से पार्टी की रीति नीति से व्यथित हैं और अब वे संगठन के किसी पद पर न रहते हुए प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे रहे हैं।

काँग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि पार्टी में रहना या त्याग पत्र देना सामान्य प्रक्रिया है पर जिस तरह से त्याग पत्रों को सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है उसे देखते हुए यही प्रतीत हो रहा है कि जमीनी कार्यकर्त्ताओं की जमकर उपेक्षा हुई है और इसके चलते अब कार्यकर्त्ताओं की दबी कुचली भावनाएं सामने आने लगी हैं।

उक्त नेता का कहना था कि जिला स्तरीय संगठन में महत्वपूर्ण पदों को धारित करने वाले नेताओं में सत्ता का अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा था। नेता आत्म केंद्रित हो चुके थे। जिले में तबादला उद्योग चरम पर था, इतना ही नहीं प्रभारी मंत्री को भी एक काकस ने घेर रखा था, जिसके चलते प्रभारी मंत्री सुखदेव पांसे भी कार्यकर्त्ताओं से बहुत दूर हो गये थे।

उक्त नेता ने कहा कि प्रदेश में बन बिगड़ रहे सियासी समीकरणों के बाद अब जिस तरह से त्याग पत्र आने आरंभ हुए हैं, उससे तो यही लगता दिख रहा है कि जिला स्तर पर भी संगठन में बदलाव होना तय है और बदलाव के पहले दुःखी कार्यकर्त्ताओं के द्वारा अपनी पीड़ा का इज़हार खुलकर किया जा रहा है, जिससे संगठन के आला नेताओं को सबक लेने की आवश्यकता है।

उक्त नेता का यह भी कहना था कि संगठन में हाल ही में बलशाली हुए चुनिंदा नेताओं के द्वारा सोशल मीडिया पर भी जिस तरह से लोगों की टिप्पणियों के बाद तर्क की बजाय कुतर्क दिये जाते रहे हैं, उससे भी काँग्रेस संगठन की छवि बहुत ही ज्यादा खराब हुई है। संगठन के द्वारा काँग्रेस के दिवंगत नेताओं को जिस तरह से बिसारा गया है वह भी विचारणीय माना जा सकता है।

उक्त नेता का कहना था कि जिस तरह से ठेकेदारों को तवज्ज़ो दी जा रही थी एवं तबादला उद्योग के आरोप लग रहे थे, उसे देखते हुए काँग्रेस के अंदर यह बात जमकर उठने लगी थी कि काँग्रेस संगठन में नेत्तृत्व की जवाबदेही किसी खालिस नेता की बजाय किसी मंझे हुए व्यापारी को दे दी गयी हो। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में और भी नेताओं के त्याग पत्र अगर सामने आयें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।