चिकित्सकों, पेरा मेडिकल स्टॉफ को दिये जाने चाहिये एन 95 या एन 97 मास्क
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कंेद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा जिस तरह से ऐहतियात बरतने की अपीलें और उपाय किये जा रहे हैं, उसे देखते हुए जिला चिकित्सालय सहित सभी अस्पतालों, दवाखानों चाहे वे सरकारी हों या निज़ि, प्रत्येक स्थान पर ऐहतियात बरतने की महती आवश्यकता महसूस की जा रही है।
सीएमएचओ कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जिला प्रशासन के द्वारा उठाये जाने वाले ऐहतियातन कदम नाकाफी ही माने जा सकते हैं। प्रशासन को चाहिये कि स्वास्थ्य सेवाओं में संलग्न लोगों के बचाव के उपाय सुनिश्चित करवाये जायें।
सूत्रों ने कहा कि इसके लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर ही सामान्य सर्दी, खांसी, बुखार आदि के मरीज़ों का उपचार सुनिश्चित करवा दिया जाये। वर्तमान में जिले भर में स्वास्थ्य सुविधाओं के पटरी पर से उतर जाने के कारण गाँव – गाँव के मरीज़ भी जिला अस्पताल की ओर रूख करते दिख रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि जिले में एमडी मेडिसिन चिकित्सकों का टोटा किसी से छुपा नहीं है। जिला चिकित्सालय में दो और एक चिकित्सक लखनादौन में पदस्थ हैं। इसके अलावा निज़ि चिकित्सकों की अगर बात की जाये तो जिला मुख्यालय में डॉ.ए.के. तिवारी, डॉ.नेमा, डॉ.सौरभ जटार, डॉ.विमलेश चौधरी एमडी मेडिसिन हैं।
सूत्रों ने यह भी कहा कि कोरोना के उपचार के दौरान अगर किसी चिकित्सक को इसका संक्रमण हो गया या लक्षण मिले तो उस चिकित्सक की सेवाएं भी कम से कम 14 दिन तक मरीज़ों को नहीं मिल पायेंगी। इसके लिये चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ को भी एन 95 या एन 97 जैसे उच्च गुणवत्ता वाले मास्क मुहैया करवाये जायें।
सूत्रों ने यह भी कहा कि इसके साथ ही साथ सरकारी और निज़ि अस्पतालों में सर्दी खांसी और बुखार के लिये पृथक से ओपीडी की व्यवस्था की जाये। इस ओपीडी को भी समय – समय पर सेनेटाइज़ किया जाना आवश्यक है। जिला अस्पताल में इसके लिये अलग कक्ष बनाया जाकर सर्दी खांसी के मरीज़ों को सीधे वहाँ भिजवाया जाये। इतना ही नहीं इस तरह के मरीज़ों को पर्ची बनवाने के लिये लाइन लगाने से भी छूट प्रदाय की जाना आवश्यक है।
अनावश्यक भीड़ को हटाया जाये अस्पताल से : सूत्रों ने यह भी कहा कि बस स्टैण्ड के अलावा दूसरा सबसे भीड़भाड़ वाला अगर कोई क्षेत्र सिवनी शहर में है तो वह जिला अस्पताल है। जिला अस्पताल में भी अनावश्यक घूम रहे लोगों पर नियंत्रण के लिये न केवल निर्देश जारी हों, वरन इस पर कड़ाई से अमल भी किया जाना आवश्यक है।
एटीआर, पीपीई की है आवश्यकता : सूत्रों ने यह भी कहा कि जिले में कोरोना के उपचार के लिये एंटी रीट्रोवायरल थैरेपी (एटीआर) में दी जाने वाली दवाएं कारगर बतायी जा रही हैं। जिले में स्वास्थ्य विभाग के पास एटीआर की दवाएं भी पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। इन्हें बिना देर किये जिले में बुलाकर पर्याप्त स्टॉक में रखे जाने की आवश्यकता है।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसके अलावा पर्सनल प्रोटेक्शन इंस्ट्रूमेंट (पीपीई) के मामले में भी जिले का स्वास्थ्य विभाग समृद्ध नहीं माना जा सकता है। पीपीई के उपकरण भी प्रशासन को पर्याप्त मात्रा में बुलाये जाने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं, अगर कोरोना का संभावित मरीज़ मिलता है तो उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिये पृथक एंबुलेंस की व्यवस्था एवं उस एंबुलेंस को समय – समय पर सेनेटाइज़ करने की भी आवश्यकता महसूस हो रही है। ये सारी व्यवस्थाएं प्राथमिक तैयारियों के बतौर किया जाना आवश्यक है।
ली जायें निज़ि चिकित्सकों की सेवाएं : सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रशासन को चाहिये कि जिला मुख्यालय में निवास कर निज़ि चिकित्सा करने वाले एमडी मेडिसिन चिकित्सकों की (भले ही कुछ घण्टे) सेवाएं आवश्यक रूप से जिला चिकित्सालय में सर्दी खांसी के मरीज़ों के परीक्षण के लिये ली जायें ताकि सरकारी चिकित्सकों पर भार न पड़े। संभव है कि इसके लिये निज़ि चिकित्सक भी खुशी – खुशी अपनी सेवाएं दे सकेंगे।