लिमटी की लालटेन 102
(लिमटी खरे)
देश में कोरोना कोविड 19 के संक्रमित मरीजों का आंकड़ा छः अंकों में पहुंचना वाकई चिंता का विषय है। दुनिया भर में अब तक महज 10 देशों में इसके संक्रमित मरीजों की तादाद एक लाख से ज्यादा है। अब भारत भी इसी सूची में आकर 11वां देश बन गया है। देश में अब रोजाना पांच हजार से ज्यादा मामले सामने आने के बाद चिंता बढ़ना लाजिमी ही है।
लगभग दो माह पहले जब लॉक डाउन की पटकथा लिखी जा रही थी उस समय देश में कुल मामलों की तादाद 500 से भी कम थी। उस दौरान भारत विश्व भर में चालीसवीं पायदान पर खड़ा था। आज हम 11वीं पायदान पर जाकर खड़े हो गए हैं। अब वह समय आ चुका है जब हमें पहले से कहीं अधिक सचेत रहकर कोरोना के साथ युद्ध लड़ना है। अब हमें कुछ आक्रमक अंदाज को भी अपनाना होगा।
मास्क के जरिए इससे बचाव हो सकता है, पर मास्क भी अब हेलमेट की राह पर ही चल पड़ा है। जिस तरह पुलिस को देखकर दो पहिया वाहन सवार हेलमेट लगा लेता है, उसी तरह अब पुलिस को देखकर ही लोग मास्क भी लगाते दिखते हैं। आज भी हम भीड़ लगाने से बाज नहीं आते दिख रहे हैं।
देश और सूबे के हुक्मरानों को विचार करना होगा कि आखिर क्या वजह है कि देश में संक्रमित मरीजों की तादाद छः अंकों में पहुंच गई है। लाख का आंकड़ा पार कैसे कर लिया गया! देश की आबादी बहुत ज्यादा है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। माना कि आबादी के हिसाब से संक्रमण उस तादाद में नहीं फैल रहा है पर अगर हम अभी नहीं संभले तो आने वाले समय में दुश्वारियों को बढ़ने से रोका नहीं जा सकेगा!
जिस चीन से यह संक्रमण उपजा था, उस चीन में वर्तमान में सक्रिय मामलों की तादाद महज 82 ही बची है। हमें इन दो माहों के क्रिया कलापों पर विचार करना ही होगा। कामगारों की घर वापसी एक बहुत बड़ा कारक बनकर उभर रही है। एक अनुमान के हिसाब से साढ़े 13सौ संक्रमित मरीजों में 550 प्रवासी मजदूर ही हैं।
लॉक डाउन के तीन चरणों के बाद चौथा चरण भी आरंभ हो गया है। देश में इस संक्रमण से मरने वालों की तादाद भले ही अमेरिका और यूरोप से कम हो लेकिन संक्रमण फैलने की गति थम नहीं रही है। अब हमें यह बात गांठ बांधकर रखनी चाहिए कि जब तक इस बीमारी का मुकम्मल उपचार नहीं मिलता तब तक हमें इसके साथ ही रहना है।
देश में आज भी महज बुखार नापकर ही लोगों को आने जाने दिया जा रहा है। जिन लोगों को घरों पर ही कोरंटाईन रहने के लिए निर्देश दिए गए हैं, वे बाजारों में घूम रहे हैं। इस पर रोक लगाए जाने की महती जरूरत महसूस हो रही है। इस वायरस को लेकर यह अनुमान भी लगाया जा रहा था कि मई की गर्मी यह वायरस नहीं झेल पाएगा, पर मई में मिलने वाले संक्रमित मरीजों की तादाद को देखते हुए यह अनुमान भी गलत ही साबित हुआ है।
दो गज की दूरी, लॉक डाउन जैसे रास्ते अपनाने से देश की आर्थिक रीढ़ टूटी है। लगभग दो माह का समय बीत जाने के बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा यह कहा जा रहा है कि यह वायरस जल्द बिदा शायद ही ले। एड्स जैसी बीमारी के मानिंद ही हमें इसे हमारे बीच का अभिन्न अंग मानते हुए आने वाले समय में इससे बचकर चलने का मानस बनाना ही होगा। यह बात भले ही भयावह लग रही हो पर इसे आत्मसात करना ही होगा, भले ही इसके लिए खुद को तैयार करने में कुछ वक्त क्यों न लग जाए!
आप अपने घरों में रहें, घरों से बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखें, शासन, प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)

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