इस स्तंभ के माध्यम से मैं यातायात विभाग से अपील करना चाहता हूँ कि उसके द्वारा हेल्मेट के संबंध में हाई कोर्ट के आदेशों का पालन कब-कब करवाया जायेगा, इस संबंध में समय सारिणी जारी की जाये।
दरअसल शहर के अंदर सड़कें ऐसी नहीं रह गयी हैं कि उन पर दो पहिया वाहन चालक के साथ तेज गति से वाहन का चालन किया जाये। इसके चलते दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी अत्यंत कम ही हो गयी हैं। अन्य शहरों से यदि तुलना की जाये तो सिवनी की प्रमुख सड़कें, यातायात के दबाव के चलते अत्यंत संकरी हो चली हैं।
इन संकरी सड़कों पर गंभीर दुर्घटनाओं का अंदेशा कम ही है। वर्तमान में गर्मी का मौसम भी अपने शवाब की ओर बढ़ता दिख रहा है ऐसे में प्रत्येक वाहन चालक को अपने साथ हेल्मेट ढोना परेशानी भरा लगता है। गर्मियों में रेंगते हुए जब वाहन चालक हेल्मेट लगाकर चलता है तो वह पसीना छोड़ देता है।
ज्यादातर वाहन चालक हेल्मेट अपने साथ इसलिये रखते हैं क्योंकि उन्हें चालानी कार्यवाही का डर होता है। जिन वाहन चालकों को अपनी सुरक्षा के लिये हेल्मेट पहनना होता है वे तब भी हेल्मेट धारण करते हैं जबकि चालानी कार्यवाही नहीं हो रही होती है और जिन चालकों को हेल्मेट नहीं पहनना होता है वे चालानी कार्यवाही के दौरान सिर्फ उसी समय इसे धारण करते हैं जबकि वे चालानी कार्यवाही के स्थान से गुजर रहे होते हैं।
निश्चित रूप से यह पूरी तरह गलत है क्योंकि हेल्मेट न पहनकर वाहन चालक या उस पर सवार लोग अपनी ही जान के साथ खिलवाड़ कर रहे होते हैं लेकिन वाहन चालकों की परेशानियों को भी पूरी तरह से नजर अंदाज किया जाना ठीक शायद ठीक नहीं कहा जायेगा। हेल्मेट पहनने के बाद पीछे से आ रहे वाहनों के हॉर्न आदि की आवाज स्पष्ट सुनायी नहीं देती है जिसके कारण भी यातायात में बाधा उत्पन्न होती है।
पुलिस के द्वारा वैसे भी खाली वक्त में ही हाई कोर्ट के आदेशों की याद आती है वरना तो सामान्य समय में यातायात के सिपाही भी बिना हेल्मेट के वाहन का चालन करते हुए दिख जाते हैं अन्य पुलिस कर्मियों की बात ही अलग है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आम वाहन चालकों को भी कुछ रियायत, कुछ स्थान विशेष में दी जाये। और या फिर हेल्मेट पहनने के नियम का कड़ाई से पालन करवाया जाये जिसके चलते यह वाहन चालकों की आदत में ही शामिल हो जाये।
हेल्मेट पहनना वाहन चालकों के लिये सदैव हितकारी रहा है लेकिन अत्यंत संकरी सड़कों पर गहन यातायात के मध्य हेल्मेट पहनने से कई तरह की असुविधाओं का सामना वाहन चालकों को करना पड़ता है। हेल्मेट पहनने को अनिवार्य करने के लिये लगातार मुहिम चलाये जाने की आवश्यकता है लेकिन इस संबंध में चैंकिंग वर्ष के गिने चुने दिनों में ही किये जाने के कारण इस नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। इस तरह का अभियान उन रास्तों पर विशेष रूप से चलाये जाने की आवश्यकता है जो शहर से बाहर गाँव की ओर जाते हैं। इन मार्गों पर वाहनों की रफ्तार अपेक्षाकृत बहुत तेज होती है।
अभी स्थिति यह है कि ज्यादातर वाहन चालक यही समझते हैं कि हेल्मेट पहनना जरूरी करना पुलिस के लिये चालानी कार्यवाही करने का एक बहाना बन गया है जबकि पुलिस को हाई कोर्ट के आदेश से ज्यादा सरोकार नहीं है। चालानी कार्यवाही की अपेक्षा हेल्मेट पहनने के महत्व से यदि वाहन चालकों को अवगत कराया जाये तो संभव है कि वे विषम परिस्थितियों में भी हेल्मेट पहनने को वरीयता देंगे।
अभिषेक गुमाश्ता
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