हनीट्रैप केस में तीन महिला आरोपियों को मिली जमानत

(ब्यूरो कार्यालय)
इंदौर (साई)। हनीट्रैप केस (Honey Trap Accused Got Bail) में शामिल तीन महिलाओं को एमपी हाईकोर्ट (MP High court Hard Remarks) से 22 महीने बाद जमानत मिल गई है। हाईकोर्ट ने केस के शिकायतकर्ता अफसर की यह कहते हुए खिंचाई की है कि उसने अपने पद के विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया और खुद को अनैतिक लोगों का आसान निशाना बनने दिया। एमपी हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने हनीट्रैप कांड की तीन महिला आरोपियों को जमानत दी है।

कोर्ट ने इनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एक जुलाई को आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसकी प्रति आरोपियों के वकीलों को मंगलवार (छह जुलाई) को प्राप्त हुई। इसमें एकल पीठ ने मामले के गुण-दोषों पर टिप्पणी किए बगैर तीनों महिला आरोपियों को 50,000-50,000 रुपये की जमानत और इतनी ही रकम के मुचलके पर जेल से रिहा किए जाने को कहा है।

शिकायतकर्ता इंजीनियर पर तल्ख टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने महिला आरोपियों के साथ लम्पटता से बात की और वह उनका अंतरंग साथ पाने को तैयार हो गया और जब चीजें उसके नियंत्रण से बाहर होने लगीं, तो उसने मदद के लिए झूठी चीख-पुकार मचानी शुरू कर दी।

उच्च पद पर आसीन किसी व्यक्ति के गुणों के रूप में ऊंचे स्तर की सत्यनिष्ठा, नैतिकता और ईमानदार चरित्र को रेखांकित करते हुए एकल पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ताओं (महिला आरोपियों) ने अनैतिक और स्त्रियों की गरिमा के विरुद्ध कृत्य किया है। लेकिन केवल उन्हें इस कृत्य के लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि शिकायतकर्ता (सिंह) भी उसी प्रकार अपने कृत्य के लिए संभवत: अपेक्षाकृत ज्यादा जिम्मेदार है।
2019 में हनीट्रैप केस का हुआ था खुलासा
गौरतलब है कि पुलिस ने इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था। तब सिंह इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधीक्षण इंजीनियर के रूप में पदस्थ थे। हालांकि, बाद में उन्हें अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। आईएमसी (इंदौर नगर निगम) अफसर ने पुलिस को बताया था कि हनी ट्रैप गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किए गए थे।

दिसंबर 2019 में पुलिस ने दाखिल किया था चार्जशीट
पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में 16 दिसंबर 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लायी गईं युवतियों के इस्तेमाल से धनवान लोगों और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फांसता था। फिर उनके अंतरंग पलों के वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करता था।

चार्जशीट के मुताबिक हनीट्रैप गिरोह ने उसके जाल में फंसे रसूखदारों को धमकाकर उनसे सरकारी कारिंदों की “ट्रांसफर-पोस्टिंग” की सिफारिशें तक कराई थीं और इन कामों के आधार पर भी अवैध लाभ कमाया था।