(ब्यूरो कार्यालय)
सूरत (साई)। गुजरात चुनाव (Gujarat Elections 2022) में आतंकवाद और बाटला हाउस एनकाउंटर का मुद्दा उठ गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जोर-शोर से उठाया है। रविवार को गुजरात के खेड़ा और सूरत में चुनावी रैली करते हुए पीएम ने दोनों जगह इनका जिक्र किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास न तो शब्दों की कमी रहती है न किस्से-कहानियों की। लेकिन, लगातार दो रैलियों में वह आतंकवाद और बाटला हाउस को अपनी स्पीच में लाए। इनके बहाने उन्होंने युवाओं को याद दिलाया कि गुजरात और देश को कांग्रेस और उसके जैसे विचार रखने वाले दलों से सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे दल अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए बड़े आतंकवादी हमलों पर चुप रहते हैं।
बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र कर पीएम मोदी ने कांग्रेस को आतंकियों का हमदर्द करार दिया। आखिर कांग्रेस से बाटला हाउस एनकाउंट का क्या कनेक्शन है? क्या हुआ था तब? पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात चुनाव में इसके जरिये कांग्रेस को कैसे घेरा है?
क्या है बाटला हाउस एनकाउंटर की कहानी
बाटला हाउस एनकाउंटर की कहानी करीब 14 साल पुरानी है। 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में तीन जगह सीरियल ब्लास्ट हुए थे। करोलबाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में हुए इन सिलसिलेवार बम धमाकों में करीब 30 लोगों की जान गई थी। 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। कनॉट प्लेस के रीगल सिनेमा हॉल, इंडिया गेट और संसद मार्ग से चार बमों को पुलिस ने फटने से पहले बरामद करके डिफ्यूज किया था।
इसके बाद 19 सितंबर को दिल्ली का बाटला हाउस इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा था। दिल्ली पुलिस को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिदीन के जिन आतंकियों ने घटना को अंजाम दिया वो बाटला हाउस के एल-18 स्थित फ्लैट में छुपे बैठे हैं। इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के नेतृत्व में एक टीम इन आतंकियों को धर दबोचने के लिए धावा बोलती है। ये जैसे ही दरवाजा खटखटाते हैं, उन पर गोलियों की बौछार की जाती है। इसमें जांबाज मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। मुठभेड़ में दो आतंकी अमीन और मोहम्मद साजिद भी मारे गए थे। वहीं, दो अन्य मोहम्मद सैफ और आरिज खान फरार हो गए थे। आतंकियों की मदद करने के शक में पुलिस ने तब कुछ स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी की थी। इस पर राजनीतिक दलों और जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों ने जमकर प्रदर्शन किया था।
कांग्रेस के कई नेताओं ने एनकाउंटर को बताया था फर्जी
तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के नेताओं ने इस एनकाउंटर को फर्जी करार देकर खलबली मचा दी थी। आतंकियों को मासूम बताने से लेकर उनकी मौत पर आंसू भी बहाने की बात सामने आई थी। यहीं से सोनिया गांधी, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद का किरदार शुरू हुआ था। दिग्विजय सिंह ने कई बार इस एनकाउंटर को फर्जी बताया। वह अपनी बात पर अड़े भी रहे। फिर जब 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव आया तो सलमान खुर्शीद ने बोला कि बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए लड़कों की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी भावुक हो गई थीं। खुर्शीद के इस बयान पर खूब विवाद हुआ था। जब कांग्रेस ने देखा कि मामला उलटा पड़ गया है तो खुर्शीद ने अपने बयान पर सफाई दी। खुर्शीद ने पलटी मारते हुए कहा कि उन्होंने रोने की बात नहीं कही थी।
तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिंदबरम ने 2012 में पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराया था। साथ ही यह भी कहा था कि दिग्विजय सिंह का बयान उनकी अपनी राय है। कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) ने भी एनकाउंटर का विरोध किया था।
रैलियों में मोदी ने इसी के बहाने कांग्रेस को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि गुजरात की नई पीढ़ी ने अहमदाबाद और सूरत के सीरियल बम ब्लास्ट नहीं देखे हैं। वह उन्हें उन लोगों से सावधान करना चाहते हैं जो आतंकवादियों के हमदर्द हैं। बाटला हाउस एनकाउंटर आतंकवाद का कृत्य था। लेकिन, कांग्रेस नेताओं ने इस पर सवाल उठाया था। मोदी बोले कि कांग्रेस और उसके समान विचार वाले कई दल आतंकवाद को कामयाबी पाने का ‘शॉर्टकट’ समझते हैं।
रैलियों में प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस आतंकवाद को वोट बैंक के चश्मे से देखती है। कांग्रेस ही नहीं, उसके समान विचार वाले कई दल आ गए हैं जो आतंकवाद को कामयाबी पाने के शॉर्टकट के रूप में देखते हैं। ऐसे छोटे दलों की सत्ता की भूख और भी बड़ी है। उन्होंने नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा आम आदमी पार्टी (AAP) और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की तरफ था। गुजरात चुनाव में ये भी ताल ठोंक रहे हैं। जब प्रधानमंत्री ने यह कहा कि कांग्रेस और उनके समान विचार वाले दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक और सशस्त्र बलों की क्षमता पर संदेह जताया था तो उससे यह बात और साफ हो गई। पीएम ने नए वोटरों को आतंकवाद और बाटला हाउस का जिक्र कर यह संदेश देने की कोशिश की कि आतंकवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है। जबकि कांग्रेस की राजनीति नहीं बदली है। जब तक तुष्टीकरण की राजनीति चलती रहेगी, आतंकवाद का डर बना रहेगा।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.