क्या खड़गे के सामने खड़ग तानकर खड़े होने के मूड में हैं थरूर!

राजस्थान में पायलट तो दक्षिण में थरूर बन सकते हैं कांग्रेस अध्यक्ष के लिए सरदर्द!
(लिमटी खरे)


कांग्रेस के नव निर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे वैसे तो बहुत सुलझे हुए धीर गंभीर प्रवृत्ति के स्वामी हैं, पर कांग्रेस की जो हालत वर्तमान में चल रही है उसे देखते हुए हर कोई यही कहता दिख रहा है कि मल्लिाकुर्जन खड़गे ने कांटों भरा ताज ही अपने सर पर पहन रखा है। मल्लिाकुर्जन खड़गे के सामने अनेक चुनौतियां वैसे भी मुंह बाए ही खड़ी दिख रहीं हैं।
राजस्थान में लंबे समय से चल रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की रार किसी से छिपी नहीं है। दोनों ही नेता जब भी मौका मिलता है एक दूसरे पर सियासी वार करने से नहीं चूकते हैं। राजस्थान के इस प्रकरण के कारण देश भर के कांग्रेसी नेताओं की नजरें राजस्थान के सियासी घटनाक्रमों पर ही दिखाई देती हैं। मल्लिाकुर्जन खड़गे के लिए राजस्थान की इस लड़ाई को निपटाना आसान काम नजर नहीं आता है।
इसी बीच अब दक्षिण भारत में शशि थरूर के कदमताल देखकर यही लगने लगा है कि शशि थरूर ने भी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिाकुर्जन खड़गे से मात खाकर अब तलवार पजाना आरंभ कर दिया है। शशि थरूर की बढ़ती गतिविधियों से कांग्रेस मुख्यालय में एक तरह का सन्नाटा ही पसरा दिख रहा है। कांग्रेस मुख्यालय में यह चर्चा भी तेजी से चल रही है कि अगर शशि थरूर की मश्कें नहीं कसी गईं तो आने वाले समय में वे बहुत बड़ा सरदर्द भी साबित हो सकते हैं।
शशि थरूर तिरूवनंतपुर के सांसद हैं और उनके द्वारा वहां से लगभग 500 किलोमीटर दूर उत्तरी केरल में अपनी गतिविधियां बढ़ाना आरंभ किया तो कांग्रेस आलाकमान के कान खड़े होना स्वाभाविक ही था। थरूर के द्वारा मालाबार क्षेत्र में चार दिवसीय सियासी कार्यक्रम (वैसे ये कार्यक्रम गैर राजनैतिक ही थे) की घोषणा की तो केरल कांग्रेस में खलबली मचना स्वाभाविक ही था। थरूर के द्वारा साहित्यिक और बौद्धिक लोगों से मेल मुलाकात की, पर इसका असल उद्देश्य शायद कुछ और ही रहा होगा।
शशि थरूर केरल में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं तो उनके विरोधी भी एकजुट होकर थरूर को रोकने के लिए लामबंद होते दिख रहे हैं। इसके पीछे यह वजह भी बताई जा रही है कि राष्ट्रीय स्तर पर सियासत करने और उसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी के बाद मुंह की खाने के उपरांत शशि थरूर ने शायद अपने गृहराज्य में ही अपने आप को सीमित करने की कोशिश आरंभ कर दी है।
केरल कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि थरूर के कदम ताल देखकर तो यही लग रहा है कि वे 2026 में होने वाले केरल प्रदेश के विधान सभा चुनावों में खुद को कांग्रेस की ओर से बतौर मुख्यमंत्री का दावेदार प्रस्तुत करने की कवायद कर रहे हैं।
वहीं एआईसीसी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राहुल गंाधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान की ओर कूच कर रही है, पर राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच सामंजस्य का अभाव साफ तौर पर देखा जा रहा है। इस रार की आंच अगर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर आई तो इसके लिए मल्लिाकुर्जन खड़गे क्या उपाय करेंगे यह बात भविष्य के गर्भ में ही है, पर केरल में शशि थरूर के कदमताल से मल्लिाकुर्जन खड़गे की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक सकती हैं, क्योंकि इससे देश भर में क्या संदेश जाएगा! इसे लेकर कांग्रेस के रणनीतिकारों का चिंतित होना स्वाभाविक ही है. . .
(साई फीचर्स)