गुजरात माडल की परछाई दिखाई दे सकती है मध्य प्रदेश के चुनावों में!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में गुजरात चुनावों में जीत को रेखांकित कर दिए संकेत!
(लिमटी खरे)


मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा गुजरात माडल को अपनाया जा सकता है। इस तरह की चर्चाएं पूर्व में भी अनेक बार चलीं किन्तु वर्तमान में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में लोग बहुत ही भरोसे के साथ इस बात को कह रहे हैं कि चार महत्वपूर्ण राज्यों में इस साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनावों में गुजरात माडल को अपनाया जा सकता है।
हाल ही में संपन्न भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गुजरात चुनावों में भाजपा के द्वारा परचम लहराए जाने पर गुजरात माडल की प्रशंसा करते हुए मध्य प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के भाजपा विधायकों और नेताओं को इस तरह के संकेत दे दिए हैं कि मोदी शाह की जोड़ी की आगामी चुनावों के लिए रणनीति क्या हो सकती है। चारों राज्यों में भाजपा का परचम लहराने की दृष्टि से नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी की भावी रणनीति की झलक इसमें मिलती दिख रही है।
भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने बताया कि भाजपा के द्वारा गुजरात में चुनावों के एक साल पहले ही गुजरात में मुख्यमंत्री सहित समूचे मंत्रिमण्डल की पालिटिकल सर्जरी कर दी थी। इसके बाद गुजरात के लगभग तीस फीसदी सिटिंग एमएलए (विधायकों) की टिकिट काट दी गई थी। इस तरह एंटी इंकंबेंसी को थामने का एक प्रयास गुजरात में किया गया था, जो पूरी तरह सफल ही होता दिखा।
गुजरात चुनावों में परचम लहराने के बाद जहां जहां भी इसकी समीक्षा की गई हर जगह चुनावों में जीत का सेहरा गुजरात में किए गए परिवर्तनों को ही दिया गया। इस साल के अंत में जिन चार राज्यों में चुनाव होना है उसमें छत्तीसगढ़ को ही बाकी राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा राज्य माना जा सकता है। ये चारों राज्य भाजपा संगठन के मामले में पूरी तरह गुटबाजी और अंतर्कलह से जूझ रही है, यही कारण है कि इन राज्यों में चुनाव के पहले राजनैतिक गतिविधियों का सबसे बड़ा रोड़ा गुटबाजी और अंतर्कलह बनकर उभर रहा है।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि मध्य प्रदेश और कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर चरम पर ही है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में सत्ता और संगठन में परिवर्तन की बयार बहने की खबरें सियासी बियावान की सुर्खियां बनती रही है।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा जनसंपर्क कार्यक्रम के जरिए जनता तक पहुंचने और आम जनता के संतोषजनक रवैए के लिए तेलंगाना की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नेताओं को जमकर फटकार भी लगाई। अब इन प्रदेशों के नेताओं, विधायकों को यह डर सता रहा है कि अगर मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों में चुनाव के पहले गुजरात माडल लागू किया गया तो . . .
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)

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