सेहत का नया फार्मूला देसी गाय का दूध

देसी गाय के दूध के फायदों के बारे में,आपने परिवार के बुजुर्गों से सुना होगा। इतना ही नहीं उसके गोबर से उगाई गई सब्जियों के बारे में भी। खैर, नई बात यह है कि एक बार फिर दूध का बाजार देसी गाय के महत्व को समझ रहा है और छोटे-बड़े सभी ब्रैंड देसी गाय के दूध को प्रमोट करते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में बड़ा नाम है अमूल का, जिसने अहमदाबाद में देसी गाय के दूध से बने डेयरी प्रोडक्ट्स को लॉन्च किया है।

अमूल का अगला टारगेट सूरत का दूध बाजार है। अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आर.एस. सोढी के अनुसार, जब हम इस डेयरी प्रोडक्ट को प्रीमियम प्राइज पर सेल करते हैं तो इसका मार्केट बहुत सीमित हो जाता है। हालांकि धीरे-धीरे लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

वहीं तमिलनाडु के डेयरी संचालक और किसान वी. शिवकुमार स्थानीय नस्ल की गायों का संरक्षण कर रहे हैं और उन्हीं के दूध से बने डेयरी प्रोडक्ट्स सेल करते हैं। इन्होंने ए-2 मिल्क से बने प्रोडक्ट्स के लिए एक ऐप बना रखी है, जहां लोग आॅर्डर प्लेस करते हैं। शिवकुमार कहते हैं कि इस दूध की सोर्सिंग फिलहाल आसान नहीं है। देसी गाय का दूध या ए-1 मार्केट में उपलब्ध क्रॉसब्रीड या विदेशी गाय के दूध ए-2 से कई मायनों में बेहतर है। कई स्टडीज में सामने आया है कि ए-2 शरीर मे जलन का कारण हो सकता है। साथ ही हार्ट प्रॉब्लम और डायबीटीज के होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

वहीं ए-2 आसानी से पच जाता है। ए-2 दूध की बढ़ती लोकप्रियता को इसी बात से आंका जा सकता है कि इंटरनैशनल लेवल पर इसका बाजार तेजी से बढ़ रहा है। ए-2 मिल्क प्रोडक्ट बनाने वाली सिडनी बेस्ड एक कंपनी के प्रोडक्ट्स की न्यू जीलैंड के साथ ही चाइना में खासी मांग है। अब यह कंपनी यूएस में भी अपने प्रोडक्ट्स उतारने की तैयारी कर रही है।

मुंबई से सटे नंदगांव में स्थानीय नस्ल की गायों के ए-2 मिल्क से डेयरी प्रोडक्ट्स का उत्पादन करने वाले टीटू अहालुवालिया इन्हीं गायों के गोबर से आॅर्गेनिक खेती भी करते हैं। टीटू ने अपने बच्चों को स्वस्थ जीवन देने के इरादे से आॅर्गेनिक खेती के लिए गायों का पालन शुरू किया था। इनके दूध के महत्व के बारे में इन्हें बाद में पता चला। टीटू कहते हैं देसी गायों की नस्ल विलुप्त होने की कगार पर है।

दूसरी तरफ कई डेरी मालिकों का कहना है कि ए-1 मिल्क की खपत को लेकर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि वह यह बात स्वीकारते हैं कि देसी गाय भारतीय जलवायु के हिसाब से ज्यादा सुरक्षित हैं। पुणे की भाग्यलक्ष्मी फर्म से जुड़े अंकित के अनुसार,देसी नस्ल की गाय अपने देश की क्लाइमेट के हिसाब से एकदम फिट हैं। इनमें गर्मी बर्दाश्त करने की अच्छी क्षमता होती है। इसलिए हम अपनी यूरोपियन प्रजाती की गायों की देसी गायों के साथ क्रास ब्रीडिंग कराना चाहते हैं।

(साई फीचर्स)

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