चाय पकोड़े बेचकर अजीवोकापर्जन करते थे अन्नू कपूर!

(ब्यूरो कार्यालय)

मुंबई (साई)। स्ट्रगल की हर कहानी में कहीं न कहीं एक सफलता की कहानी और उसकी मिसाल छुपी होती है। बिना हाथ-पैर मारे न तो सफलता मिलती है और न ही पहचान। यह बात आम जिंदगी में ही नहीं बल्कि बॉलीवुड में भी एकदम फिट बैठती है। बल्कि बॉलीवुड में तो किसी एक्टर के स्ट्रगल को उसे मापने का पैमाना ही मान लिया जाता है।

अपने स्ट्रगल के दौर को छोड़कर अगर कोई चेहरा पहचान बना ले और नाम कमा ले, तब भी वह स्ट्रगल और स्ट्रगलरका टैग पीछा नहीं छोड़ता। कुछ ऐसा ही अन्नू कपूर के साथ भी रहा। एक्टर अन्नू कपूर को बॉलीवुड में 40 साल हो चुके हैं। चार दशक लंबे करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक दमदार किरदार निभाए और नैशनल अवॉर्ड समेत कई सम्मान जीते। लेकिन कभी उन्हें भी काफी स्ट्रगल करना पड़ा था।

पढ़ाई-लिखाई खत्म करने के बाद अन्नू कपूर मुंबई आ गए। अन्नू कपूर को एक्टिंग का चस्का था। इसी चस्के के कारण अन्नू कपूर ने फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया। अन्नू कपूर ने एक बार कहा था दुख बांटने से दिल हल्का हो जाता है और सच बांटने से हौसले और बुलंद हो जाते हैं। अन्नू कपूर आज भी इस बात पर अमल करते हैं।

अन्नू कपूर को बॉलीवुड में 40 साल हो चुके हैं और इतने लंबे समय में उन्होंने करियर से लेकर निजी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे। कोई सोच भी नहीं सकता कि जो अन्नू कपूर आज लोगों के दिलों पर राज करते हैं, उन्हें कभी छोटे-मोटे काम करके गुजारा करना पड़ता था। उनका करियर स्ट्रगल और मुश्किलों में हंसने का जज्बा किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

भोपाल के इतवारा में जन्मे अन्नू कपूर के परिवार का फिल्मी दुनिया से डायरेक्ट कनेक्शन नहीं था, लेकिन कहीं न कहीं उनके पिता और मां इंडस्ट्री से जुड़े थे। अन्नू कपूर के पिता एक पारसी थिएटर कंपनी चलाते थे और शहरों में घूम-घूमकर नाटक करते थे, वहीं उनकी मां एक टीचर और क्लासिकल सिंगर थीं। वहीं दादा ब्रिटिश आर्मी में डॉक्टर थे, जबकि परदादा लाला गंगाराम कपूर एक क्रांतिकारी थे, जिन्हें भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान फांसी दे दी गई थी।

अन्नू कपूर के परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। इस वजह से अन्नू कपूर को स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। अन्नू कपूर की मां को 40 रुपये सैलरी मिलती थी। इससे घर का गुजारा संभव नहीं था। तब पिता के कहने पर अन्नू कपूर थिएटर कंपनी से जुड़ गए और बाद में उन्होंने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जॉइन कर लिया। यहां अन्नू कपूर ने एक प्ले किया, ‘एक रुका हुआ फैसला‘, जिसके उनकी तकदीर बदल दी। इस प्ले में अन्नू कपूर ने 70 साल के एक बुजुर्ग का किरदार निभाया था।

अन्नू कपूर की एक्टिंग देख श्याम बेनेगल फिदा हो गए और उन्होंने एक्टर को फिल्म मंडीमें साइन कर लिया, जो 1983 में आई थी। इस तरह अन्नू कपूर की फिल्मों में शुरुआत हुई। लेकिन मंडीसे पहले अन्नू कपूर 1979 में फिल्म काला पत्थरमें नजर आए थे। पर इस फिल्म में उन्हें कोई क्रेडिट नहीं दिया गया था।

बता दें कि Annu Kapoor का जन्म (20 फरवरी 1956) भोपाल के इतवारा में हुआ था। उनका असली नाम अनिल कपूर था। इंडस्ट्री में आने से पहले एक्टर अनिल कपूर के साथ नाम का कन्फ्यूजन न पैदा हो इसलिए तेजाबके दौरान उन्होंने अपना नाम बदलकर अन्नू रख लिया। अन्नू कपूर के पापा पंजाबी थे जो पेशावर के थे और मां बंगाली ब्राह्मण थीं। पिता की थिएटर कंपनी (पारसी थिएटर) थी और उनके कहने पर उन्होंने उसे जॉइन कर लिया। इसके बाद साल 1976 में उन्होंने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जॉइन किया।

अन्नू कपूर ने साल 1979 में अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म काला पत्थरसे बॉलीवुड डेब्यू किया, हालांकि इस फिल्म में उन्हें उनके रोल के लिए क्रेडिट नहीं मिला। उन्होंने बतौर एक्टर फिल्म मंडीसे अपना प्रॉपर डेब्यू किया। इसके अलावा वह बेताब‘, ‘आधारशिला‘, ‘मंडी, ‘कांधारऔर उत्सवजैसी कई और फिल्मों में दिखे। इन सबके अलावा अन्नू मिस्टर इंडिया‘, ‘तेजाब‘, ‘राम लखन‘, ‘घायल‘, ‘हम‘, ‘डर‘, ‘ऐतराजऔर सात खून माफजैसे बेहतरीन फिल्मों में काम कर चुके हैं। अन्नू कपूर के म्यूजिकल शो अंताक्षरीको भला उनके फैन्स कैसे भुला सकते हैं, जो दूरदर्शन पर आनेवाला लोगों के पसंदीदा शो में से एक हुआ करता था।

इसके बाद अन्नू कपूर ने कई फिल्में कीं, जिनमें अर्जुन‘, ‘चमेली की शादी‘, ‘तेजाब‘, ‘बेताबऔर मशालजैसी फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों में अन्नू कपूर छोटे किरदारो में नजर आए, पर गहरी छाप छोड़ गए। अन्नू कपूर की फिल्मों में तो एंट्री हो चुकी थी, लेकिन स्ट्रगल खत्म नहीं हुआ था। वह छोटे-छोटे किरदार करके आगे बढ़ने लगे। पर किस्मत तब चमकी जब दूरदर्शन का शो अंताक्षरीकिया।

फिर उन्होंने एक और शो किया व्हील स्मार्ट श्रीमति‘, जिसने अन्नू कपूर को और ख्याति दिलवाई। इसके बाद अन्नू कपूर ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक बार फिर वह बॉलीवुड में छाए हैं। विक्की डोनरऔर ड्रीम गर्लजैसी फिल्मों में अन्नू कपूर को काफी सराहा गया। विक्की डोनरके लिए अन्नू कपूर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नैशनल अवॉर्ड मिला। वहीं अभयके लिए उन्होंने बेस्ट डायरेक्टर का नैशनल अवॉर्ड जीता।

लेकिन फिल्मों में आने से पहले अन्नू कपूर ने काफी स्ट्रगल किया। हिंदुस्तान टाइम्सको दिए इंटरव्यू में अन्नू कपूर ने एक बार बताया था कि गुजारे के लिए उन्होंने चाय की दुकान चलाई और फिर फ्राइड फूड का स्टॉल भी लगाते थे। अन्नू कपूर ने कहा था कि मुश्किलें उनकी जिंदगी में कोई नई बात नहीं थीं। शायद यही वजह रही कि जब तक उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री की, वह स्ट्रगल का असली मतलब समझ चुके थे। आज स्थिति ऐसी है कि अन्नू कपूर के साथ हर फिल्ममेकर काम करने को बेताब रहता है। उन्होंने कई वेब सीरीज भी की हैं। अन्नू कपूर के पास अभी भी तीन फिल्में हैं, जो रिलीज होंगी। ये हैं ड्रीम गर्ल 2‘, ‘सब मोहमाया हैऔर हम दो हमारे बारह