40 हजार करोड़ रूपए का कर्ज, बिक सकती है अंबानीज की यह कंपनी!

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। भारी कर्ज में डूबे उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (RCap) बिकने जा रही है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने मंगलवार को रिलायंस कैपिटल के ऋणदाताओं की याचिका पर सुनवाई पूरी कर दी और अपना आदेश सुरक्षित रखा।

याचिका में कर्ज में डूबी इस फर्म के लिए दूसरे दौर की फाइनेंशियल बिडिंग का अनुरोध किया गया है। कंपनी इस समय इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग प्रोसेस से गुजर रही है। रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं। इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है। आरबीआई ने (RBI) भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी। पिछले राउंड में टॉरेंट इन्वेस्टमेंट (Torrent Investment) ने इसके लिए 8,640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी।

टॉरेंट इन्वेस्टमेंट की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने अपनी दलीलें पूरी कीं और कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत अधिकतम मूल्य हासिल करने का इरादा रहता है, लेकिन साथ ही संपत्ति के रिवाइवल पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

रोहतगी ने तर्क दिया कि आईबीसी एक लोन रिकवरी प्लेटफॉर्म नहीं है और ऋणदाताओं की समिति (COC) को उनकी व्यक्तिगत वसूली से परे देखना चाहिए। मुख्य ध्यान व्यवहार्यता पर होना चाहिए। दूसरी ओर लेंडर्स की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सोमवार को कहा था कि आईबीसी का मकसद संपत्ति के मूल्य को अधिकतम करना है और सीओसी शर्तों पर बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है।

एनसीएलएटी रिलायंस कैपिटल को कर्ज देने वाली एक कंपनी विस्ट्रा आईटीसीएल (भारत) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है। रिलायंस कैपिटल को कर्ज देने वाले बैंकों ने एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें दिवालिया फर्म की आगे की नीलामी को रोक दिया गया है।

एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने दो फरवरी को कहा था कि वित्तीय बोलियों के लिए चुनौती व्यवस्था 21 दिसंबर, 2022 को खत्म हो गई है, जिसमें 8,640 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली टॉरेंट इन्वेस्टमेंट्स की थी। रिलायंस कैपिटल पर करीब 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।

एडमिनिस्ट्रेटर ने फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 23,666 करोड़ रुपये के दावों को वेरिफाई किया है। एलआईसी ने 3400 करोड़ रुपये का दावा किया है। सितंबर, 2021 में रिलायंस कैपिटल ने अपने शेयरहोल्डर्स को बताया था कि कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज है।

अनिल अंबानी की कई दूसरी कंपनियों पर भी भारी कर्ज है और वे इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के दौर से गुजर रही हैं। फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अनिल अंबानी नेटवर्थ 45 बिलियन अरब डॉलर थी और उस समय वह देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे। लेकिन आज उनकी नेटवर्थ जीरो है।