डेढ़ सौ से ज्यादा भाजपा सांसदों के टिकट पर मण्डरा रहा है खतरा!

आम चुनावों की तैयारियों जुटी भाजपा, सर्वे दर सर्वे ने उड़ाई आला नेताओं की नींद!
(लिमटी खरे)


2023 के अंत में भले ही चार बड़े राज्यों में विधान सभा चुनाव हों, पर भाजपा की राष्ट्रीय इकाई के द्वारा अब 2024 में होने वाले आम चुनावों की तैयारियां आरंभ कर दी हैं। वैसे भी मई 2024 में लोकसभा चुनाव हो सकते हैं, और आचार संहिता मार्च 2024 से प्रभावी हो सकती है। इस लिहाज से अब लोकसभा सांसदों को अपना परफार्मेंस दिखाने के लिए महज 12 माह से भी कम समय बचा है। इसमें जिन राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं, उन राज्यों के सांसदों के पास तो महज 10 माह की समय ही शेष रह गया है, क्योंकि विधान सभा चुनावों की आचार संहिता में दो माह का समय लग जाएगा।
वैसे फिलहाल इस बात पर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि चार बड़े राज्यों के विधान सभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव करवा लिए जाएं ताकि इन राज्यों को भी मोदी इफेक्ट की नैया के जरिए वेतरणी पार करवा दी जाए। चुनाव अपने तय समय से होंगे अथवा दिसंबर 2023 में विधान सभा चुनावों के साथ इस बारे में फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी ही प्रतीत हो रहा है।


नई दिल्ली स्थित भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय में चल रहीं चर्चाओं पर अगर यकीन किया जाए तो सर्वे दर सर्वे के बाद बनी रिपोर्ट पर गहन मंथन के बाद भाजपा के चुनावी रणनीतिकार अगले लोकसभा चुनावों में उन स्थानों पर जहां भाजपा ने पिछली बार मुंह की खाई थी और जहां भाजपा इस बार पराजय की कगार पर है, इस तरह की दो सूचियों को अंतिम रूप दिया गया है।
भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि उपरोक्त वर्णित तथ्यों से इतर उन लोकसभा सीटों पर भी मंथन किया गया है जहां संघ और भाजपा के काडर बेस्ड कार्यकर्ताओं की मदद के जरिए भाजपा परचम तो लहरा सकती है पर वहां के वर्तमान सांसद की छवि, कार्यप्रणाली, कार्यकाल का रिकार्ड दुरूस्त नहीं है। इसमें वे सांसद भी शामिल हैं जो खुद को तो क्षेत्र की जनता के बीच लोकप्रिय मानते हैं, पर उनकी लोकप्रियता बहुत ही कम है। इसका अंदाजा उनके द्वारा सोशल मीडिया पर की जाने वाली पोस्ट से ही लगाया जा सकता है, जिसे उन सांसदों को घेरकर रखने वालों के द्वारा ही तवज्जो दी जाती है। उक्त पदाधिकारी ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि इसके अतिरिक्त जिन संसदीय क्षेत्रों में भाजपा की जीत की उम्मीद आधी आधी (फिफ्टी फिफ्टी) है पर भी मंथन किया गया है।


इधर, भाजपा के दिल्ली स्थित मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि भाजपा की एक सूची में 127 सांसदीय क्षेत्र के सांसदों के नाम हैं। ये वे सांसद हैं जिनका अगले लोकसभा चुनावों में जीतना एक चमत्कार से कम नहीं होगा, क्योंकि इन पर अकर्मण्यता, निष्क्रियता, पैसों के लेनदेन के अघोषित आरोप, अपने सगे संबंधियों को प्रश्रय देने के आरोप आदि ले हैं।
सूत्रों ने यह भी बताया कि भाजपा के आला नेताओं के द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में रैंकिंग भी दिलवाई गई है। इसमें 45 सांसदों को एक से दस के बीच की रैंकिंग में 08 अंक मिले हैं, जिन्हें बेहतरीन सांसदों की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा 23 सांसदों को महज 02 अंक ही मिल पाए हैं। और तो और झारखण्ड के एक सांसद को तो शून्य अंक दिए गए हैं। मध्य प्रदेश के दो सांसदों को एक से भी कम अंक मिल पाए हैं।
सूत्रों ने बताया कि अभी मंथन का दौर जारी है। आने वाले समय में गहन मंत्रणा के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है, पर वर्तमान में हुए मंथन के बाद जो तस्वीर निकलकर सामने आ रही है, उसके अनुसार भाजपा के 135 से 155 वर्तमान सांसदों पर टिकट का खतरा मण्डराता ही दिख रहा है . . .!
(साई फीचर्स)