आठ माहों से राशि के लिए भटक रहीं मुख्यमंत्री प्रसूति योजना की हितग्राही!

करोड़ों की आसामी रोगी कल्याण समिति फिर भी एक अदद कंप्यूटर आपरेटर की दरकार!
(लिमटी खरे)


मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सब कुछ ठीक ठाक शायद नहीं चल रहा है। विशेषकर सिवनी जिले के स्वास्थ्य विभाग में बेलगाम अफसरशाही के घोड़े दौड़ते दिख रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग में बाबूराज चलता दिख रहा है। शासन की योजनओं का लाभ हितग्राहियों को मिल पा रहा है अथवा नहीं, इस बारे में भी देखने सुनने की फुर्सत जनप्रतिनिधियों को दिखाई नहीं दे रही है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि संबल योजना के तहत जिनके पास कार्ड हैं, उन हितग्राहियों को प्रसव के दौरान शासन के द्वारा सोलह हजार रूपए की आर्थिक इमदाद देने का प्रावधान होने के बाद भी जिले में अनेक प्रसूताओं को इस योजना के तहत मिलने वाली राशि नहीं मिल पा रही है।
सूत्रों का कहना था कि जिले के निर्वतमान जिलाधिकारी डॉ. राहुल हरिदास फटिंग स्वयं चिकित्सक होने के बाद भी स्वास्थ्य विभग की मश्कें कसने में पूरी तरह नाकाम ही रहे। उनके कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना के तहत मिलने वाली अर्थिक मदद नहीं मिल पाई।
सूत्रों ने बताया कि जिले में इस योजना के तहत ऑन लाईन इंद्राज (एंट्री) अनमोल पोर्टल में की जाना आवश्यक है। इसके बाद ही हितग्राही को आर्थिक मदद मिल सकती है। जिले के आठों विकास खण्ड में स्थित सरकारी चिकित्सालयों में प्रसूताएं पहुंचती हैं, एवं जिन प्रकरणों में कुछ परेशानी आती है, उन्हें जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है।
सूत्रों की मानें तो मजे की बात तो यह है कि जिले भर के चिकित्सालयों (जिला चिकित्सालय छोड़कर) में प्रसव के लिए आने वाली प्रसूताओं का रिकार्ड अनमोल पोर्टल में अद्यतन (अपडेट) कर उनमें से कुछ को जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है। जिला चिकित्सालय में जितने भी प्रसव कराए जाते हैं उनका रिकार्ड अनमोल पोर्टल में दर्ज नहीं किया जाता है
सूत्रों ने बताया कि निर्वतमान जिलाधिकारी डॉ. राहुल हरिदास फटिंग के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा चमड़े के सिक्के चलाए जाते रहे हैं, जिसके कारण इस योजना के तहत प्रसूताओं को प्रसव के दौरान मिलने वाली राशि नहीं मिल पाई। इसकी शिकायतें सीएम हेल्प लाईन में की जाने लगीं और स्वास्थ्य विभाग में सीएम हेल्पलाईन की पेंडेंसी बढ़ती ही गई।
सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन के मुखिया के बदलते ही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों के द्वारा इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। हाल ही में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रभारियों को इस काम को करने के निर्देश दिए गए, किन्तु अधिकारियों के द्वारा गेंद को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक कार्यालय के बीच झुलाना आरंभ कर दिया।
सूत्रों ने यह भी बताया कि जिला चिकित्सालय प्रशासन के द्वारा अनमोल पोर्टल में ऑन लाईन एंट्री हेतु कंप्यूटर आपरेटर का बहाना जड़ दिया गया, जबकि तिलहन संघ से एक कंप्यूटर आपरेटर का संविलियन स्वास्थ्य विभाग में किया गया और उनकी सेवाएं पहले मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के भण्डार में और बाद में जिला चिकित्सालय के भण्डार में ली जा रही हैं। बहरहाल, इसके बाद जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के द्वारा रोगी कल्याण समिति के जरिए कंप्यूटर आपरेटर रखे जाने की बात जिला चिकित्सालय प्रशासन को कहे जाने के बाद भी जिला चिकित्यालय प्रशासन के द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल प्रशासन की इस कथित अनदेखी के कारण सीएम हेल्प लाईन में न केवल प्रकरणों की तादाद बढ़ रही है, वरन प्रसूता हितग्राहियों को शासन की इस महात्वाकांक्षी योजना के लाभ से वंचित भी होना पड़ रहा है, जबकि कंप्यूटर आपरेटर के बतौर तिहलन संघ से स्वास्थ्य विभाग में आए एक कर्मचारी जिनकी सेवाएं अकारण ही भण्डार में ली जा रही हैं की सेवाएं इस हेतु ली जाकर सरकार की महात्वाकांक्षी योजना का लाभ प्रसूता हितग्राहियों को दिया जा सकता था।
सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन के एक आला अधिकारी के द्वारा रोगी कल्याण समिति (जिसमें करोड़ों रूपए का फंड जमा है) के जरिए दो कंप्यूटर आपरेटर की स्वीकृति दिए जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन के द्वारा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी की बात को हवा में ही उड़ा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप बीते दिनों उक्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा अस्पताल प्रशासन को आड़े हाथों लिया गया था।
क्या है योजना
दरअसल, मध्यप्रदेश राज्य में श्रमिक परिवारों की गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सरकार द्वारा एमपी मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना 2022 के तहत प्रसव पूर्व 3 (एएनसी) जाँच एवं शासकीय संस्था या आयुष्मान योजना में निजी अस्पतालों में प्रसव होने पर 16000 रूपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है।
मध्यप्रदेश असंगठित शहरी/ग्रामीण कर्मकार कल्याण मण्डल तथा म.प्र. भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल के अंतर्गत पंजीकृत श्रमिक कर्मकार महिलाओं के लिए “मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना” को 1 अप्रेल 2018 को शुरू किया गया था। योजना के तहत गर्भवती महिला के प्रसव पूर्व जांच (ंएनसी) पर 4000 रूपए के लाभ तथा प्रसव उपरांत 12000 रूपए के लाभ हेतु पंजीकृत श्रमिक महिला को कुल 16000 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। इस योजना में पहले से प्रचलित प्रसूति अवकाश सहायता योजना को समावेशित किया गया है।
इसके तहत प्रथम किश्त के बतौर मातृत्व वंदना योजना में 3000 रूपए, प्रसूति सहायता योजना में 1000 रूपए इस तरह कुल चार हजार रूपए एवं दूसरी किश्त में जननी सुरक्षा योजना में 1400 रूपए, प्रसूति सहायता योजना में 10 हजार 600 रूपए इस तरह कुल 16 हजार रूपए की राशि प्रदाय की जाती है।
(साई फीचर्स)