मां का प्यार

एक बार एक सौदागर राजा के महल में दो बड़ी ही खूबसूरत गायों को लेकर आया। दोनों ही गायें दिखने में बिल्कुल एक जैसी थीं। सौदागर राजा से बोलामहाराजइनमें एक मां है और एक बेटी। पर मुझे यह नहीं पता कि मां कौन है और बेटी कौन है क्योंकि दोनों में लेशमात्र भी अंतर नहीं है। मुझे किसी ने यह कहा कि भारत देश के राजा का मंत्री बेहद कुशाग्र बुद्धि है और यहां मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।

मंत्री ने दोनों का बारीकी से निरीक्षण किया किंतु वह भी यह नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटीदुविधा में फंसे मंत्री ने एक दिन की मोहलत मांगी। घर आने पर वह बेहद परेशान रहा। जब मंत्री की पत्नी ने उससे परेशानी का कारण जानना चाहा तो उसने सौदागर की बात बता दी। यह सुनकर पत्नी मुस्कुराते हुए बोलीबस इतनी सी बात है। यह तो मैं भी बता सकती हूं। हां इसके लिए मुझे उन दोनों गायों को देखना होगा। यह सुनकर मंत्री गायें ले आया।

मंत्री की पत्नी ने दोनों गायों के आगे अच्छा भोजन रखा। कुछ ही देर बाद उसने मां व बेटी में अंतर बता दिया। सुबह मंत्री ने मां व बेटी की पहचान कर दी। सौदागर ने जब अंतर का कारण जानना चाहा तो मंत्री की पत्नी बोलीमैंने बस दोनों को भरपेट भोजन कराया। मैंने देखा कि एक गाय जल्दी-जल्दी भोजन करने के बाद दूसरी गाय के भोजन में मुंह मारने लगी और दूसरी वाली ने पहली वाली के लिए अपना भोजन छोड़ दिया। ऐसा सिर्फ एक मां ही कर सकती है। यह सुनकर सभी दरबारी मंत्री की पत्नी के निर्णय पर वाह-वाह कर उठे और सौदागर के मुंह से स्वतः ही निकलाधन्य है मां का प्यार।

(साई फीचर्स)