मधुमेह में शीत ऋतु की उपयोगिता

स्वास्थ्य की दृष्टि से शीत ऋतु सभी के लिए अनुकूल मानी जाती है। खासकर यह मौसम मधुमेह के मरीजों के लिए ज्यादा अच्छा होता है।

इस मौसम में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैजो हमारे शरीर को अधिक आराम देती हैं। इस मौसम में हमारी मजबूत पाचन शक्ति हर प्रकार के आहार को बखूबी पचाकर शरीर को ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है।

मधुमेह में शरीर का पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव सिस्टम) कमजोर हो जाता है। शरीर ग्लूकोज को पचाने में सक्षम नहीं होतासाथ ही व्यक्ति भोजन को ठीक से पचा नहीं पाने की वजह से कब्जगैस्ट्राइटिस और कमजोरी का शिकार हो जाता है। मधुमेह के मरीजों में ग्लूकोज के बजाय प्रोटीन का पाचन होने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। जिस कारण मरीज दुबला होने लगता है। इसलिए मधुमेह के मरीजों के शरीर में प्रोटीन की मांग निरंतर बनी रहती है।

मधुमेह होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर हो जाती है। इससे शरीर मौसमी परिवर्तनों को आसानी से झेल नहीं पाताऔर बार-बार बीमार होने लगता है। चोट-घाव जैसे रोग भी जल्दी ठीक नहीं होतेव्यक्ति आये दिन कई प्रकार की समस्याओं से पीड़ित रहता है।

सर्दियों का मौसम मधुमेह में शरीर से प्रोटीन की हानि की पूर्ति करने का सबसे अच्छा समय होता है। क्योंकि सर्दियों के मौसम में मधुमेह के रोगी प्रोटीन को आसानी से पचा लेते हैं। जैसे सभी प्रकार की दालेंसूखे मेवे खासकर काजूबादामअखरोटमूँगफली आदि ऐसी खाने वाली चीजे हैं। जिनका उचित पाचन सिर्फ जाड़े के मौसम में ही हो सकता है।

मधुमेह रोगियों को इस मौसम में प्रोटीनयुक्त आहार का सेवन करना चाहिए। प्रोटीनयुक्त आहार को खाने के बाद कसरत और पैदल चलना शरीर के लिए अच्छा होता हैजिससे कमजोरी दूर होती है। इस मौसम में व्यायाम और सुबह-शाम पैदल चलना बेहद लाभदायक होता है।

मधुमेह रोग में रोगी की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इसलिए मधुमेह रोगियों को सर्दियों के मौसम में आंवलाहल्दीकालीमिर्चतुलसी जैसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली चीजों को खाना चाहिए।

मधुमेह में तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होती है। हाथ-पैरों की उंगलियों के सुन्न होने का अहसास होता है। सर्दियों के मौसम में हाथों व पैरों की उंगलियों को हिलाने या व्यायाम करने से तंत्रिकाओं में शक्ति और शरीर में रक्त का संचार सुधरता है।

एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि मछली खाने से डायबिटीज जैसी बीमारी दूर हो सकती है। इसलिए सर्दियों का मौसम मधुमेह से होने वाली अनेक तकलीफों से बचने के लिए सबसे अच्छा समय होता है।

सांस लेने में परेशानी आदि भी होते है इसके लक्षण: आॅफिस से आते बी राजेश ने छाती में दर्द की शिकायत की तो उसके घरवाले तुरंत ही उसे अस्पताल ले गए। घर वालों को संदेह था कि राजेश को हृ्दय संबंधी कोई रोग तो नहीं। पर डॉक्टरों के अनुसार राजेश के फेफड़ों में समस्या थी। अक्सर ऐसा होता है कि छाती में उठे दर्द को या तो हमा नजरंदाज कर देते है या फिर उये हृ्दय से संबंधित मान लेते है। पर आपको जानकार हैरानी होगी कि छाती का दर्द फेफड़ों से संबंधित बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण होता है। जानिए छाती के दर्द से क्या क्या बीमारी होने का खतरा रहता है।

सीने में उठने वाले दर्द के कई कारण होते होते है इनमें से एक महत्वपूर्ण फेफड़े का कैंसर का होना होता है। फेफड़ों के कैंसर का मुख्यह कारण स्मो किंग है। लंग कैंसर होने पर सांस लेने में दिक्कत होती हैसीने में दर्द और थूक के साथ खून निकलने लगता है। इतना ही नहीं अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं और ऐसे लोगों के साथ रहते हैं जो धूम्रपान करते हैं तो भी आपके फेफड़ों को खतरा हो सकता है। इससे भी छाती में दर्द की शिकायत हो सकती है।

फेफड़े के अंदर स्थित सांस की नली में सूजन हो जाने के कारण ब्रोंकाटिस की शिकायत हो जाती है।जिसकी वजह से इनका आकार नलीनुमा न रहकर गुब्बारेनुमा हो जाता है। यह रोग रोगी के फेफड़ों को धीरे-धीरे गला देता है और तेज ब्रोंकाइटिस में रोगी को सीने में तेज दर्द उठ सकता है। इसमें सांस की नली में संक्रमण के कारण मोटी सी दीवार बन जाती हैं जो हवा को रोक देती है।

फेफड़ों की बीमारी होने पर सामान्य त: छाती में दर्द होना होता है। यह छाती की मांसपेशियों और हड्डियों में किसी समस्यो की ओर संकेत करता है। यह समस्याा छोटी और गंभीर भी हो सकती है। कुछ मामलों में इसके कारण आदमी की जान भी जा सकती है। यदि छाती में दर्द के साथ खांसी और बुखार भी होतो यह संक्रमण की ओर संकेत करता है।खांसी एक प्रतिरक्षा प्रणाली है जो म्यूहकसयानी जहरीले पदार्थों और बाहरी तत्वोैं से श्विसन यानी रेस्पिरेटरी नली को साफ करती है। लेकिन यदि खांसी अधिक आये तो यह फेफड़ों की बीमारी के संकेत हैं।

जो धमनियाँ रक्त को फेफड़ों तक ले जाती है उसमें जब रक्त का चाप बढ़ जाता है तब सीने में दर्द होता है और इस अवस्था को उच्च रक्तचाप कहते हैं। जब रक्त धमनियों में थक्का जमने लगता है तब फेफड़ों के टिशु या ऊतकों में रक्त का प्रवाह रुकने लगता हैऐसा होने से बेचौनी होने लगती है और साँस लेने में मुश्किल होता हैजो बाद में दर्द का कारण बनता है।

छाती में दर्द छाती की अंदरूनी दिवारों में सूजन के कारण भी हो सकता है। दरअसल जब फेफडे की ऊपरी सतह पर स्थित झिल्ली में सूजन आ जाती है तो छाती की अंदरूनी दीवार की सूजी हुई सतह से सांस लेते वक्त हवा रगड़ खाने लगती है। जिस कारण असहनीय दर्द होता है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में प्ल्यूराइटिस कहते हैं।

(साई फीचर्स)