रेलवे के संबंध में पत्रकार शुभम शर्मा ने आरपीएफ से की पत्रकार लिमटी खरे के खिलाफ शिकायत!

फर्जी शिकायतों के जरिए प्रेस की आजादी का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास, रेलवे पुलिस जुटी जांच में!
(अपराध ब्यूरो)

सिवनी (साई)। आखिर वह कौन सी शख्सियत है जो पत्रकारों को आपस में लड़वाना चाह रही है! ईमानदारी के साथ मूल्य आधारित पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों के खिलाफ फर्जी शिकायत की जा रही हैं, इतना ही नहीं इन फर्जी शिकायतों पर तत्काल ही कार्यवाही भी हो रही है जो इस बात की ओर इशारा करती दिख रही है कि किसी न किसी पहुंच संपन्न या केंद्र सरकार में जिनका इकबाल बुलंद है, उनके द्वारा इस तरह की फर्जी शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही करने का दबाव बनाया जाकर प्रेस की आजादी का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।


इसी तरह का एक मामला मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में प्रकाश में आया है। दरअसल, सिवनी में नेरो गेज से ब्राडगेज के अमान परिवर्तन के काम में अधिकारियों, ठेकेदारों के द्वारा की जा रही लापरवाही के संबंध में ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के द्वारा सप्रमाण खबरों के प्रसारण और प्रकाशन के बाद इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है कि ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के संपादक के खिलाफ अब फर्जी शिकायतों का ताना बाना बुना जाकर षणयंत्र रचने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि 19 अप्रैल 2023 को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की मण्डल रेल प्रबंधक नमिता त्रिपाठी के द्वारा सिवनी रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया गया था। इस निरीक्षण के उपरांत आरपीएफ के एक अधिकारी के द्वारा ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के संपादक को रोककर स्टेशन प्रबंधक के द्वारा ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के संपादक के खिलाफ की गई शिकायत को पढ़कर सुनाया गया। जब ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के संपादक के द्वारा उसकी प्रति चाही गई तो आरपीएफ के अधिकारी ने प्रति मुहैया नहीं कराई। इस बात की जानकारी ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के संपादक के द्वारा रेलवे के उच्चाधिकारियों को व्हाट्सऐप, मोबाईल, ट्वीटर के जरिए लगातार ही दी जा रही है, किन्तु 19 अप्रैल की शिकायत पर 16 मई तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
इधर, वेब पोर्टल खबर सत्ता के द्वारा एक खबर का प्रसारण किया गया है। इस खबर के अनुसार रेलवे पुलिस (रपफ) ने बताया कि खबर एरीना मीडिया एंड नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड (खबर सत्ता) कंपनी जो कि सिवनी जिले से संचालित होती है इसके डायरेक्टर शुभम शर्मा के द्वारा लिमटी खरे के खिलाफ एक शिकायत रेलवे के अधिकारियों को की गयी।
आज 16 मई 2023 को रेलवे पुलिस आरपीएफ के जांच दल द्वारा खबर एरीना मीडिया एंड नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में दस्तक दी गयी। जांच दल द्वारा जब इस मामले में शुभम शर्मा से बातचीत की गयी तो यह बात सामने आई कि शुभम शर्मा के नाम से लिमटी खरे के खिलाफ जो शिकायत दर्ज हुई है। जबकि शुभम शर्मा का कहना है कि उनके द्वारा वह शिकायत की ही नहीं गई है। उनके नाम का उपयोग कर किसी के द्वारा फर्जी शिकायत की गई है।
खबर सत्ता की खबर के अनुसार शुभम शर्मा और मीडिया कंपनी के नाम का उपयोग कर फर्जी शिकायत किसी अन्य व्यक्ति द्वारा रेलवे पुलिस आरपीएफ में की गयी है। क्योंकि जो शिकायत की गयी है उसमे शुभम शर्मा का नाम गलत उल्लेखित है इसके साथ ही शुभम शर्मा के नाम से किए गए हस्ताक्षर भी फर्जी है। साथ ही देखा जाए तो शिकायत एक कोरे कागज़ पर की गयी है ना कि खबर एरीना मीडिया एंड नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के लैटर पेड पर जहां शिकायत पर कंपनी की मुहर भी नहीं लगी है।

किस माध्यम से हुई शिकायत, रेलवे पुलिस जांच दल को नहीं जानकारी

खबर सत्ता की खबर के अनुसार इस मामले में जब शुभम शर्मा द्वारा जांच दल के अधिकारीयों से जानकारी चाही गयी कि आखिर यह शिकायत (ई मेल, पत्राचार या वाट्सऐप) किस माध्यम से की गयी है, इसकी जानकारी चाही गई ताकि इससे यह साफ़ हो सके कि शुभम शर्मा के नाम से यह फर्जी शिकायत आखिर की किसने है तो जांच दल का साफ कहना था कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है, वो यहां आपके पास सिर्फ आपसे इस मामले में जानकारी के लिए आएं है। यह हास्यास्पद ही माना जाएगा कि शिकायत किस माध्यम के जरिए की गई है इसकी जानकारी रेलवे पुलिस आरपीएफ के पास नहीं है। यह आरपीएफ का गैरजिम्मेदाराना रवैया ही माना जा सकता है, जिसके खिलाफ आरपीएफ के उच्चाधिकारियों को कार्यवाही करना चाहिए, क्योंकि यह प्रेस की आजादी से जुड़ा संवेदनशील मामला है।

लिमटी खरे के मुद्दों से किसको परेशानी? जो दर्ज की जा रही फर्जी शिकायत!

खबर सत्ता की खबर के अनुसार अब यहां बात तो यह है कि आखिर लिमटी खरे द्वारा जो मुद्दे लगातार ही रेलवे स्टेशन के निर्माण, रैक प्वाईंट, कार्य की गुणवत्ता और रेल के परिचालन आदि को लेकर उठाए गए थे उनसे आखिर परेशानी है किसको! जिस वजह से इस प्रकार की फर्जी शिकायत दर्ज की जा रही है। फिलहाल तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि लिमटी खरे द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों से किसी समिति या नेताओं को ही परेशानी हो सकती है क्योंकि लिमटी खरे द्वारा उठाए गए सभी मुद्दे जनता के हित के दिखाई पड़ते है।

एक शिकायत पर युद्ध स्तर पर कार्यवाही, दूसरी शिकायत पर मौन!

इस संबंध में लिमटी खरे से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ 19 अप्रैल 2023 को सिवनी रेलवे स्टेशन के स्टेशन प्रबंधक के द्वारा बाकायदा लिखित तौर पर सील सिक्के लगाकर आरपीएफ को एक शिकायत की गई थी। इस शिकायत को आरपीएफ के अधिकारी के द्वारा सिवनी रेलवे स्टेशन पर कम से कम 50 लोगों के समक्ष पढ़कर भी सुनाया था, पर उसकी प्रति प्रदाय नहीं की गई थी।
लिमटी खरे ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक शिकायत जो स्टेशन प्रबंधक जैसे जिम्मेदार ओहदे पर बैठे केंद्र सरकार के कर्मचारी के द्वारा आरपीएफ से की गई, उस शिकायत के 28 दिन बाद भी आरपीएफ ने इस शिकायत के संबंध में पूरी तरह मौन साध रखा है, वहीं दूसरी ओर एक फर्जी शिकायत जिसमें शिकायतकर्ता का जो नाम लिखा है वह शिकायतकर्ता ही उसे फर्जी करार दे रहा है पर आरपीएफ ने युद्ध स्तर पर कार्यवाही करना आरंभ कर दिया, जो इस बात को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है कि ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के द्वारा सप्रमाण खबरों के प्रसारण और प्रसारण के कारण कुछ लोगों के पेट में उठने वाली मरोड़ के चलते ही दबाव बनाकर प्रेस की आजादी का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। जबकि होना यह चाहिए था कि 19 अप्रैल 2023 को स्टेशन प्रबंधक के द्वारा जो शिकायत की गई थी, उसकी जांच समय सीमा में कराई जाकर अगर ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ के संपादक इस मामले में दोषी हैं तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाना चाहिए थी, या स्टेशन प्रबंधक सिवनी के द्वारा अगर फर्जी शिकायत की गई थी तो उनके खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जाना चाहिए था।
लिमटी खरे ने इस बात की भी आशंका व्यक्त की है कि रेलवे के अधिकारियों को मोहरा बनाया जाकर उन तत्वों, जिनको ‘समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया‘ की निष्पक्ष रिपोर्टिंग के कारण तकलीफ हो रही है के द्वारा आने वाले समय में और भी फर्जी शिकायतें कराई जाकर प्रेस की आजादी पर प्रहार करने का प्रयास किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे भारत सरकार के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रेलमंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री आदि को पत्र लिखकर (वैसे पत्र लिखना उनकी फितरत में शामिल नहीं है) इस बात की मांग जरूर करेंगे कि भविष्य में अगर उनके खिलाफ किसी तरह की शिकायत होती है तो उसकी जांच पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी से करवाई जाए, एवं सबसे पहले शिकायतकर्ता के बयान लिए जाकर इस बात की पुष्टि अवश्य करवाई जाए कि शिकायत आधार सहित है निराधार नहीं, अन्यथा पत्रकारों का समय व्यर्थ ही जाया होता है।
खबर सत्ता की खबर के अनुसार इस सम्बंध में जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सम्पादक लिमटी खरे से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रेलवे में नियम विरुद्ध काम करने वाले एवं कुछ नेताओं को यह सब नागवार गुज़र रहा है इसलिए इस तरह की फर्जी शिकायत की जाकर प्रेस की आज़ादी का गला घोंटने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग बालाघाट सांसद ढालसिंग बिसेन को करना चाहिए।
लिमटी खरे ने कहा कि 19 अप्रैल को स्टेशन प्रबंधक सिवनी के द्वारा भी उनके खिलाफ एक बेबुनियाद शिकायत की गई थी, जिसकी जांच अब तक आरम्भ नहीं हो सकी है, जबकि लिमटी खरे स्वयं अपने खिलाफ की गई इस शिकायत की जांच की मांग लगातार ही प्रधानमंत्री, रेल मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सहित उच्चाधिकारियों से करते आ रहे हैं।