गोवंश को काटने ले जाने की पर्ची मंत्री देते हैं?

अपना एमपी गज्जब है..77

(अरुण दीक्षित)

आप से अगर यह कहा जाए कि जो शिवराज सिंह चौहान गाय और गोवंश की रक्षा के लिए कर्ज में डूबी राज्य सरकार के खजाने से हर साल अरबों रुपए खर्च कर रहे हैं उन्हीं की कैबिनेट का एक मंत्री गोवंश को काटने के लिए ले जाने की लिखित अनुमति देता है, तो आप एकाएक यकीन नही करेंगे! यकीन तो मुझे भी नही हुआ था। लेकिन जब एक गोसेवक संत को हजारों लोगों की मौजूदगी में सार्वजनिक मंच से यह आरोप लगाते सुना तो लगा कि जनता तो जनता यहां तो गोमाता भी ठगी जा रही है।

सबसे ज्यादा आश्चर्य तब हुआ जब इस खुलासे के तीन दिन बाद भी गोभक्त शिवराज की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। न ही उनके मंत्री ने साधु की बात का कोई उत्तर दिया। न हां की..न ना की! इसके साथ ही यह प्रमाणित हो गया कि सरकार चलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं गोपुत्र! गाय कुछ कहने आयेगी नहीं और गोसेवक संन्यासी की बात को क्यों सुनें! न तो गाय वोट देती है और न ही सन्यासी इतने हैं कि जो कोई चुनाव हरा या जिता सकें!

प्रदेश में गोमाता को लेकर किए जा रहे दावों और उनकी जमीनी हकीकत पर बात करने से पहले इस घटना के बारे में जान लेते हैं।

दो दिन पहले की बात है। मंदसौर जिले के सुवासरा क्षेत्र में गो रक्षा को लेकर एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में स्वामी गोशरण महाराज भी मौजूद थे। उन्होंने अपने भाषण में गाय और गोवंश की दुर्दशा पर बड़ा ही चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने जो कुछ कहा उसे मैं यथावत लिख रहा हूं। स्वामी जी ने कहा – गाय और गोवंश पर अत्याचार का एक ही कारण है! वह यह कि गोमाता वोट नही देती हैं। यही वजह है कि जिस गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिया जाता है उसके साथ कुछ भी हो रहा है। पिछले दिनों सुवासरा में गोवंश का मेला लगा था। उस मेले से कुछ लोग काटने के लिए गोवंश खरीद कर ले गए। जावरा में जब गोरक्षकों ने उनके वाहनों को रोका तो उन्होंने एक पत्र दिखाते हुए कहा – हम तो आपके पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग की अनुमति से गोवंश ले जा रहे हैं। वह पत्र मंत्री जी के लेटर पैड पर था और उस पर मंत्री जी के दस्तखत भी थे।

स्वामी गोशरण ने मंच से यह भी कहा कि हम लोग कुछ समय पहले एक गोशाला के संबंध में मंत्री से मदद मांगने गए थे। हरदीप सिंह डंग ने किसी भी तरह की मदद करने से साफ मना कर दिया था। स्वामी ने कहा कि मेरे पास सभी सबूत मौजूद हैं। जो चाहे उसे दिखा सकता हूं! सभा में मौजूद लोगों से स्वामी ने 6 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा।

स्वामी गोशरण जब यह सब कह रहे थे तब खुद मंत्री डंग सभा स्थल पर मौजूद बताए गए।

अब जानिए मंत्री के बारे में! हरदीप सिंह डंग मूलतः कांग्रेसी हैं। उन्होंने कमलनाथ की सरकार गिरवाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पाला बदला था। हालांकि वह सिंधिया खेमे के नही थे। लेकिन मौके का फायदा उठाया और शिवराज सरकार में मंत्री बन गए! उपचुनाव जीत कर बीजेपी विधायक भी बने! वह शिवराज कैबिनेट में वह एक मात्र अल्पसंख्यक(सिख) मंत्री हैं। वह बीजेपी में मंत्री बनने के लिए चले तो गए थे। लेकिन तीन साल बाद भी अपना मूल स्वभाव नही बदल पाए हैं।

कैबिनेट सदस्य पर गोवध में मददगार होने का आरोप लगने के बाद भी सब मौन हैं। न मुख्यमत्री कुछ बोले और न ही संगठन ने कोई सफाई दी। रही मंत्री की बात तो उनके सामने ही सब कुछ हुआ। वे कैसे बोल पाएंगे! चूंकि वे कैडर वाले नही हैं इसलिए उनका साथ कोई नही दे रहा।

आइए अब एमपी में गोमाता की हालत पर गौर करते हैं। भले ही राज्य सरकार पर बजट के बराबर की कर्ज है लेकिन वह, कम से कम कागजों में, गो माता की सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। इसी महीने की 12 वीं तारीख(12.5.23) को उन्होंने भोपाल में गोसेवा के नाम पर एक बड़ा जलसा किया था। सभी अखबारों में उनके और प्रधानमंत्री के बड़े बड़े फोटो वाले पूरे पन्ने के विज्ञापन पहले पन्ने पर छपे थे! इस जलसे का नाम था – गो रक्षा संकल्प सम्मेलन। इस मौके पर 406 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों का लोकार्पण भी किया गया था। एक मोटे अनुमान के मुताबिक पशु चिकित्सा इकाइयों के अलावा कई करोड़ रुपया इस आयोजन पर सरकारी खजाने से खर्च हुआ था। हमेशा की तरह गाय को लेकर बड़ी बड़ी घोषणाएं भी हुई थीं।

आप शायद भूल गए होंगे! याद दिला देता हूं। पिछले साल शिवराज सिंह चौहान ने अपने आधा दर्जन मंत्रियों की एक गो कैबिनेट भी बनाई थी। अब ये नही मालूम कि इस गो कैबिनेट की कितनी बैठकें हुईं और उसने गो कल्याण के लिए क्या ऐतिहासिक कदम उठाए!

हां सरकारी आंकड़े बताते हैं कि एमपी की सरकार गायों पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। वह रोज एक गाय को चारे के 20 रुपए देती है। इसमें गो शाला चलाने वाले कितना खा जाते हैं, यह मालूम नही। सरकार यह ऐलान भी कर चुकी है कि अगर कोई देसी गाय पालेगा तो वह उसे हर महीने 900 रुपए देगी। कितने लोग इस योजना का लाभ ले रहे हैं, नही मालूम!

प्रदेश में करीब 2200 गोशालाएं हैं। इनमें 1587 सरकारी और बाकी निजी हैं। इनमें करीब सवा चार लाख गाएं पल रही हैं। यह आंकड़ा आगे पीछे हो सकता है। क्योंकि प्रदेश की ज्यादातर गोशालाएं गायों का मुक्तिधाम बन चुकी हैं। आंकड़ों में अनुदान के लिए गायों की संख्या कुछ और है और मौके पर कुछ और। वैसे भी निजी और सरकारी गौशालाओं में अक्सर गाएं अपने जर्जर शरीर को छोड़ मुक्ति पाने में ज्यादा यकीन रखती हैं। यह अलग बात है कि गोशालाओं के प्रबंधक उनकी संख्या अपने रजिस्टर में कम नहीं होने देते हैं। क्योंकि जितनी ज्यादा संख्या उतना ज्यादा अनुदान! गिनती करने कौन आता है। आखिर 20 रुपए में सबका हिस्सा जो रहता है। हालांकि प्रदेश के गो पालन और पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेशानंद गिरी इस राशि को बढ़ाने की मांग सालों से कर रहे हैं। लेकिन अभी तक सरकार ने उनकी सुनी नहीं है। अब सुनेगी..इसकी उम्मीद कम ही है। क्योंकि बकौल स्वामी गोशरण गाय वोट जो नही देती है। सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि सरकार ने करीब 256 करोड़ खर्च करके 960 गो शालाएं भी बनाई हैं। आंकड़े गाय को लेकर शानदार तस्वीर पेश करते हैं। यह अलग बात है खुद राजधानी भोपाल की सड़कों पर गाय मारी मारी फिरती है।

एक आंकड़ा और है। केंद्र में 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद गाय से जुड़ी हिंसा के मामलों बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इनमें मरने वालों में करीब 86 प्रतिशत एक ही समुदाय के लोग थे।

आप सिर्फ कल्पना कीजिए…अगर गोवंश को काटने के लिए ले जाने का अनुमति पत्र देने वाला अगर कोई कांग्रेसी मंत्री होता तो अब तक क्या हालत हुई होती! लेकिन भले ही पहले कांग्रेसी था पर अब तो अपना है! इसलिए सरकार, संगठन और मुख्यमंत्री सब मौन हैं! जिस कांग्रेस को बोलना चाहिए वह भी मौन है। सब मौन हैं और गाय बोलने से रही। ऐसे में गोशरण बोलते हैं तो बोलते रहें। उनकी सुनता कौन है? हां हरदीप की जगह कोई फरदीन होता तो अब तक बुलडोजर उसका घर गिरा चुका होता। इन्होंने तो गिरी सरकार फिर बनवाई थी! इनसे कोई क्या कहेगा?

तो बताइए हैं न अपना एमपी गज्जब! है कि नहीं?

(साई फीचर्स)