आदिपुरूष को लेकर आई विंदू दारसिंह की यह प्रतिक्रिया!

(ब्यूरो कार्यालय)

मुंबई (साई)। ओम राउत के निर्देशन में बनी फिल्म आदिपुरुष रिलीज के बाद से ही सुर्खियों में बनी हुई है। फिल्म लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही है। कभी फिल्म फिल्म के डायलॉग्स को लेकर विवाद छिड़ जाता है। फिल्म भले ही तो कभी कास्ट पर निशाना साधा जा रहा है। फिल्म को लेकर अब तक कई सेलेब्स अपनी प्रतिक्रियाएं दे चुके हैं।

फिल्म भले ही थिएटर्स से बाहर हो चुकी हो लेकिन इसके बावजूद भी फिल्म को बुरी तरह से क्रिटिसाइज किया जा रहा है। अब हाल ही में एक्टर विंदू दारा सिंह ने एक बार फिर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने भगवान हनुमान के किरदार को गलत तरीके से पेश करने को लेकर फिल्म के मेकर्स की जमकर क्लास लगाई है। इसी के साथ उन्होंने आदिपुरुष के मेकर्स पर फिल्म को लापरवाही से बनाने और रामानंद सागर की रामायण के एक्टर्स की लीगसी को नुकसान पहुंचाने के लिए निशाना साधा है।

विंदू दारा सिंह ने हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत करते हुए कहा कि ‘हनुमान शक्तिशाली थे और हमेशा उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट रहती थी। उनका किरदार निभा रहे एक्टर देवदत्त नागे ठीक से हिंदी में बात भी नहीं कर पाते हैं। उन्होंने उसे दिए गए डायलॉग्स से उसे कुछ और ही बना दिया है। शायद वो यूथ को टारगेट में रखकर यह फिल्म बना रहे थे, जो थॉर या मार्वल देखते होंगे। लेकिन अपने इस एक्सपेरिमेंट में वो बुरी तरह से फेल हुए हैं।’ दरअसल 80 के दशक में विंदू के पिता दारा सिंह ने रामायण सीरियल में हनुमान का किरदार निभाया था। इस रोल की वजह से वह घर-घर में फेमस हो गए थे।

एक्टर ने आगे कहा कि ‘भविष्य में चाहे रामायण को कितनी ही बार क्यों न बनाई जाए लेकिन कोई भी मेरे पिता की बराबरी नहीं कर पाएगा। उन्होंने स्क्रीन पर जो किया है, कोई भी उसके करीब नहीं पहुंच सकता। उन्होंने इतिहास रच दिया है। हम सब कोशिश करते हैं, लेकिन जब हम कुछ नया करते हैं तो चीजों को अपनी क्षमताओं और जानकारी से और बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। हम यहां इसे बदलने की कोशिश नहीं करते हैं। उन्होंने जो किया वह शर्मनाक है। वे मेरे पिता की विरासत को नहीं छू सकते। वो उस किरदार के करीब भी नहीं पहुंच पाए हैं। रामानंद सागर की रामायण के बारे में बात करते हुए विंदू ने कहा कि वह पूरी तरह से एक अलग शो था, जिसे बनाने में मेकर्स ने अपना दिल, दिमाग और आत्मा सब कुछ लगा दिया था। तब जाकर ऐसा सीरियल बना पाए और उसे पूरी दुनिया ने देखा।

विंदू ने आगे कहा कि मैं यह नहीं समझ पाया कि आदिपुरुष के मेकर्स के मन में चल क्या रहा था। वो इसे बनाकर हासिल क्या करना चाहते थे। क्योंकि, यकीन मानिए वो कुछ भी नहीं कर पाए हैं। उन्होंने केवल एक घटिया फिल्म बनाई है, जिसे देखना शर्मनाक है। उन्हें इसका नाम कुछ और रखना चाहिए था।