आखिरकार तनख़्वाह लुट गयी . . .

सहमी, डरी हुई, कमसिन तनख़्वाह चुपचाप सर झुकाये आ रही थी..

और किश्त बिल और खर्चा नाम के गुंडे सीटी बजा रहे थे!!

आखिरकार तनख़्वाह लुट गयी।

(साई फीचर्स)