अजब गजब परंपराएं

भारत में अजब गजब परंपराएं हैं जिनमें से कुछ के बारे में हम जानते हैं लेकिन कई परंपराएं ऐसी हैं जिनके बारे में आम तौर पर हमें जानकारी नहीं होती। ऐसी ही 5 अजब गजब परंपरा हम आपको बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

छत्तीसगढ़

इस राज्य में एक जगह है रतनपुर। यहां शाटन देवी का मंदिर है जिसे बच्चों के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां एक अजब गजब परंपरा है। हर मंदिर में प्रसाद या पूजा के लिए फल फूलनारियल और प्रसाद चढ़ाया जाता है लेकिन शाटन देवी के मंदिर में अलग विधान है। यहां पर प्रसाद के रूप में लौकी और तेंदू की लड़कियों का प्रसाद लगता है। ये मंदिर खास तौर से बच्चों की मन्नत के लिए प्रसिद्ध है। भक्त यहां आकर बच्चों की सेहत के लिए प्रार्थना करते हैं और इसके लिए लौकी और तेंदू की लकड़ी चढ़ा कर जाते हैं।

उज्जैन

मध्यप्रदेश में इंदौर के पास स्थित है उज्जैन शहर। यहां भी एक अजीब परंपरा सालों से निभाई जा रही है। ये परंपरा दीवाली के अगले दिन होती है जिसमें लोग जमीन पर लेट जाते हैं और दौड़ती हुईं गायों उनके ऊपर से निकलती हैं। दीवाली के दिन एकादशी के दिन बड़े पैमाने पर इस कार्यक्रम का आयोजन होता है। इसके लिए बाकायद गायों को सजाया जाता है और उनके गले में माला डाली जाती है। दौड़ती हुईं गाय जमीन पर लेटे इंसान के ऊपर से निकलती हैं।

गछवाह समुदाय

ये परंपरा पूर्वी उत्तर प्रदेश में देखने को मिलती है। इनमें गोरखपुर और देवरिया जिला शामिल हैं। इनके अलावा बिहार के कुछ इलाकों में भी ये परंपरा निभाई जात है। ये परंपरा ताड़ी निकालने वाले समुदाय से जुड़ी है। इस समुदाय के लोग पेड़ पर चढ़ कर ताड़ी निकालते हैं जो काफी जोखिम भरा होता है। ये काम गछवाह समुदाय करता है और इस समुदाय की महिलाएं ताड़ी निकालने वाले चार महीनों के दौरान न तो सिंदूर लगाती हैं और न ही कोई श्रंगार करती हैं। इस दौरान सुहाग की सारी निशानियां तरकुलहा देवी के सामने रख दी जाती है। ये पति की सलामती की दुआ के लिए होती है।

जंगमवाड़ी मठ

वाराणसी के ये मठ सबसे पुराना माना जाता है। यहां आत्मा की शांति के लिए पिंड दान नहीं होता बल्कि शिवलिंग दान होता है। मठ में कई लाख शिवलिंग एक साथ विराजे रहते हैं।

झारखंड

यहां एक ब्लॉक है बेड़ो। इसका गांव है खुखरा। यहां पर एक पहाड़ है। इस पर चांद की आकृति खुदी हुई है इसलिए लोग इसे चांद का पहाड़ भी कहते हैं। कहा जाता है कि चांद की आकृति से मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में पता चल जाता है। बच्चा बेटा हो या बेटीये पहाड़ बता देता है। इसके लिए गर्भवती महिला को पत्थर फेंकना होता है जो चांद के भीतर लगता है तो लड़का होता है और यदि बाहर निकल जाता है तो लड़की होती है।

(साई फीचर्स)

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