हाजी अली की दरगाह के न डूबने के पीछे है यह चमत्कार

यूँ ही नहीं पूरी हो जाती है यहाँ आने वाले की मुराद

क्या आप भारत के उस पवित्र स्थल के बारे में जानते हैं जहाँ हिंदू – मुस्लिम जाकर एक जगह प्रार्थना करते हैंजहाँ समंदर की लहरें भी आकर नतमस्तक हो जाती हैं। हम बात कर रह हैं मुंबई में स्थित हाजी अली दरगाह की जहाँ समंदर की लहरें चाहें कितनी भी उफान पर होंलेकिन यह दरगाह कभी नहीं डूबती। आईये जानते हैं इस दरगाह के न डूबने के पीछे का राज़।

किवदंती है कि हाजी अली उज़्बेकिस्तान के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखते थे। एक बार जब हाजी अली उज़्बेकिस्तान में नमाज़ पढ़ रहे थे। तभी एक महिला वहाँ से रोती हुई गुज़री। हाजी अली के पूछने पर महिला ने बताया कि वह तेल लेने निकली थीलेकिन तेल से भरा बर्तन गिर गया और तेल ज़मीन पर फैल गया।

महिला ने कहा कि अब उसका पति उसे इस बात के लिये खूब मारेगा। यह बात सुनने के बाद हाजी अली महिला को उस जगह पर ले गये जहाँ तेल गिरा था। वहाँ जाकर उन्होंने अपना अंगूठा ज़मीन में गाड़ दियाजिसके बाद ज़मीन से तेल का फव्वारा निकलने लगा।

यह चमत्कार देखते ही महिला हैरान रह गयी। उसने तुरंत अपना बर्तन तेल से भर लिया और अपने घर चली गयी। कहा जाता है कि महिला तो खुश होकर वहाँ से चली गयीलेकिन हाजी अली को कोई बात परेशान किये जा रही थी। उन्हें रातों में बुरे सपने आने लगे। अंदर ही अंदर उन्हें लग रहा था कि उनसे बहुत बड़ा पाप हो गया है। उन्हें लगने लगा कि उन्होंने ज़मीन से तेल निकालकर धरती को ज़ख़््मी कर दिया है।

बस तभी से वह मायूस रहने लगे और बीमार भी पड़ गये। कुछ समय बाद वह अपना ध्यान भटकाने के लिये अपने भाई के साथ बंबई व्यापार करने आ गये। बंबई में वे उस जगह पहुँच गये जहाँ आज हाजी अली दरगाह है। कुछ समय वहीं रहने के बाद हाजी अली का भाई उज़्बेकिस्तान वापस चला गयालेकिन हाजी अली ने वहीं रहकर धर्म का प्रचार – प्रसार आरंभ कर दिया।

उम्र के एक पड़ाव के बाद उन्होंने मक्का की यात्रा पर जाने की सोची। उन्होंने मक्का जाने से पहले अपने जीवन की सारी कमाई गरीबों को दान कर दी। मक्का यात्रा के दौरान ही हाजी अली की मौत हो गयी। कहा जाता है कि हाजी अली की आखिरी ख्वाहिश थी कि उन्हें दफनाया न जाये।

उन्होंने अपने परिवार से कहा था कि उनके पार्थिव शरीर को एक ताबूत में रखकर पानी में बहा दिया जाये। परिवार ने उनकी आखिरी इच्छा पूरी कर दीलेकिन चमत्कार हुआ और वह ताबूत तैरता हुआ बंबई आ गया। हैरान कर देने वाली बात यह है कि इतने दिनों तक पानी में रहने के बाद भी ताबूत में एक बूंद पानी नहीं गया। इस चमत्कारी घटना के बाद ही हाजी अली की याद में बंबई में हाजी अली की दरगाह का निर्माण किया गया। कहते हैं कि समंदर के बीचों बीच होने के बाद भी दरगाह में लहरें जाने से कतराती हैं।

(साई फीचर्स)