छींकना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन आपने हमेशा महसूस किया होगा कि छींक के दौरान आपकी आंखें बंद हो जाती हैं। कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन आंखें खुली नहीं रख पाते हैं।
यूनिवर्सिटी आॅफ शिकागो के एक प्रोफेसर के मुताबिक, सांस लेने के क्रम में अगर नली में कोई धूलकण या महीन रेशा फंस जाता है, तो उसे बाहर निकालने के लिए छींकने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। अगर ये धूलकण भारी या बड़ा हो, तो दिमाग उसे बाहर निकाल फेंकने के लिए फेफड़ों को ज्यादा हवा भेजने का सन्देश देता है।
इस दौरान जो पलकें झपकती हैं, उसके लिए ट्राईजेमिनल नर्व जिम्मेदार होती हैं। ये नर्व चेहरे, आंख, मुंह, नाक और जबड़े को कन्ट्रोल करती है। दिमाग जो अवरोध हटाने का सन्देश भेजता है, वो इसे भी मिल जाता है। उस दौरान आंखें बंद हो जाती है।
(साई फीचर्स)

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