एक आध्यात्मिक उत्सव और श्रद्धा का पर्व माना जाता है गुरूपूर्णिमा को

गुरू के प्रति समर्पण, कृतज्ञता प्रदर्शित करने का उत्सव है गुरु पूर्णिमा, जानिए कब है गुरूपूर्णिमा!
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गुरु ब्रम्हा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात परब्रम्ह, तस्मै श्री गुरुवे नमः
यह आप बचपन से ही सुनते आ रहे होंगे। इस श्लोक गुरु के महत्व को बताता है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। गुरु ही वह मार्गदर्शक होते हैं जो हमें जीवन के सही पथ पर चलना सिखाते हैं, ज्ञान की ज्योति जलाते हैं और अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं। इसी गुरु – शिष्य परंपरा को सम्मान देने और गुरुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का महापर्व है गुरु पूर्णिमा।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से भारत, नेपाल और भूटान में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन गुरु पूजा का विशेष विधान है। शिष्य अपने गुरुओं के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए उनका पूजन करते हैं, उन्हें उपहार भेंट करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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गुरु पूर्णिमा का महत्व और इतिहास जानिए,
गुरु पूर्णिमा का संबंध कई पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है। सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेद व्यास को हिंदू धर्म के सबसे महान ऋषियों में से एक माना जाता है। उन्होंने वेदों का विभाजन किया, महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की और अठारह पुराणों को संकलित किया। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण उन्हें आदिगुरु का दर्जा प्राप्त है। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन व्यास जी का विशेष पूजन किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, बौद्ध धर्म में भी गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पहले पांच शिष्यों को प्रथम उपदेश दिया था। इस कारण बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इस दिन को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाते हैं और अपने गुरु भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं। जैन धर्म में भी यह पर्व महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ने अपने पहले शिष्य गौतम गणधर को ज्ञान प्रदान किया था, जिसके बाद वे प्रथम गुरु बने थे।
भारतीय संस्कृति में गुरु को परम पूजनीय स्थान प्राप्त है। वेदों से लेकर आधुनिक काल तक, गुरु को ब्रम्हा, विष्णु और महेश के समकक्ष माना गया है। गुरु पूर्णिमा एक ऐसा ही पर्व है, जो गुरु के ज्ञान, मार्गदर्शन और उनके प्रति श्रद्धा को अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में गुरु के अमूल्य योगदान को रेखांकित करता है।
गुरु पूर्णिमा का शाब्दिक अर्थ क्या है यह जानिए,
गुरु पूर्णिमा दो शब्दों से मिलकर बना है – गुरु और पूर्णिमा। गुरु का अर्थ है अंधकार (अज्ञान) को दूर करने वाला और पूर्णिमा का तात्पर्य है पूर्ण चंद्रमा की रात्रि। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण सौंदर्य में होता है और यह प्रतीक होता है पूर्ण ज्ञान, शुद्धता एवं उजास का। अतः गुरु पूर्णिमा उस पावन तिथि को कहा जाता है, जब शिष्य अपने गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनसे ज्ञान प्राप्त करने के लिए स्वयं को समर्पित करते हैं।
गुरु की महिमा को समझिए,
भारतीय संस्कृति में गुरु को ज्ञान का सागर, अंधकार का नाशक और मोक्ष का दाता माना गया है। गुरु न केवल हमें किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि वे हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं, नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाते हैं और हमारे भीतर छिपी क्षमताओं को बाहर निकालने में मदद करते हैं। एक सच्चा गुरु अपने शिष्यों को सही – गलत का भेद बताता है और उन्हें आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है।
इसी संबंध में महान संत कबीरदास जी ने भी गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा है कि
गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।।
इसका अर्थ है, जब गुरु और भगवान दोनों सामने खड़े हों तो पहले गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए, क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान तक पहुंचने का मार्ग बताया है। यह दोहा गुरु के सर्वाेच्च स्थान को स्पष्ट करता है।
जानिए गुरु पूर्णिमा कैसे मनाएं?
गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। फिर वे अपने गुरु के पास जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। यदि गुरु शारीरिक रूप से उपस्थित न हों, तो उनका चित्र या पादुका पूजन किया जाता है। कई स्थानों पर मंदिरों में विशेष पूजा – अर्चना और सत्संग का आयोजन किया जाता है। इस दिन छात्र अपने शिक्षकों और विद्यार्थी अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं। लोग गुरुओं को पुष्प, वस्त्र, फल और मिठाई जैसी वस्तुएं अर्पित करते हैं।
इस दिन कई आश्रमों और मठों में विशेष धार्मिक कार्यक्रम, प्रवचन और भंडारे का आयोजन किया जाता है। शिष्य गुरु – मंत्र का जाप करते हैं और गुरुओं द्वारा दिए गए उपदेशों का मनन करते हैं। गुरु पूर्णिमा केवल अपने गुरु का सम्मान करने का दिन नहीं है, बल्कि यह आत्म – चिंतन और आत्म – सुधार का भी दिन है। इस दिन हमें अपने जीवन में गुरुओं के योगदान को याद करना चाहिए और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।
आज के समय में गुरु का महत्व जानिए
आज के आधुनिक युग में भी गुरु का महत्व कम नहीं हुआ है। भले ही शिक्षा के तरीके बदल गए हों और सूचना तक पहुंच आसान हो गई हो, लेकिन एक मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत के रूप में गुरु की भूमिका हमेशा बनी रहेगी। हमारे जीवन में माता – पिता हमारे पहले गुरु होते हैं, जो हमें जीवन का प्रारंभिक ज्ञान देते हैं। स्कूल और कॉलेज के शिक्षक हमें अकादमिक ज्ञान प्रदान करते हैं। इसके अलावा, हमारे जीवन में कई ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो हमें किसी न किसी रूप में ज्ञान देते हैं या हमें प्रेरित करते हैं – वे सभी हमारे गुरु तुल्य हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जब तनाव और अनिश्चितता का माहौल है, गुरु हमें मानसिक शांति और सही दिशा प्रदान कर सकते हैं। वे हमें सही निर्णय लेने में मदद करते हैं और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देते हैं। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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विनीत खरे

मूलतः प्रयागराज निवासी, पिछले लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से नई दिल्ली में पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय विनीत खरे किसी पहचान को मोहताज नहीं हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.