जानिए अषाढ़ माह के महत्व को विस्तार से . . .

जानिए इस साल अषाढ़ का महीना कब होगा आरंभ . . .
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आषाढ़ महीना में, हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं, इसलिए इस महीने को चातुर्मास कहा जाता है। यह समय भजन-कीर्तन, तपस्या और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना जाता है।
हिंदू संस्कृति में आषाढ़ महीना का एक अनूठा महत्व है। इसे ऐसा मौसम माना जाता है, जिसमें विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन और ऐसे अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इसे लोकप्रिय रूप से सूर्य महीना भी कहा जाता है – जिसका अर्थ है बिना किसी मुहूर्त का मौसम । हालाँकि, यह पवित्र अवधि अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती है और अपने साथ विशेष परंपराएँ लेकर आती है, जिसमें सुंदर साड़ियों को उपहार में देना और खरीदना शामिल है। जैसे-जैसे हम आषाढ़ महीना 2025 के करीब पहुँच रहे हैं, सिंघानिया आपके लिए असाधारण संग्रह लेकर आया है, जिसमें असाधारण आषाढ़ बिक्री ऑनलाइन ऑफ़र हैं जो परंपरा और शैली दोनों का जश्न मनाते हैं।
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अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
जानिए 2025 में आषाढ़ महीना कब शुरू होगा?
2025 के लिए तेलुगु कैलेंडर (जिसे पंचांगम कहा जाता है) के अनुसार, आषाढ़ महीना 8 जुलाई, 2025 (शुक्ल पक्ष प्रतिपदा) से शुरू होगा और 6 अगस्त, 2025 (ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार) को समाप्त होगा। यह शुभ महीना हिंदू चंद्र कैलेंडर का चेथा महीना है, जो पूरे दक्षिण भारत में गर्मियों के चरम और शुरुआती मानसून के मौसम के दौरान पड़ता है।
इस अवधि के दौरान, कई परिवार विशेष अनुष्ठान और परंपराएँ मनाते हैं, विशेष रूप से आषाढ़ महीना के शुक्रवार (आदि वेल्ली) पर, जिन्हें देवी पूजा के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। हालाँकि इस दौरान प्रमुख उत्सव और समारोह स्थगित कर दिए जाते हैं, लेकिन इसे आध्यात्मिक अभ्यास और पारंपरिक पोशाक की खरीदारी के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
आषाढ़ महीना 2025 की तिथियाँ प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा और तेलंगाना में बोनालू जैसे क्षेत्रीय समारोहों सहित महत्वपूर्ण त्योहारों से मेल खाती हैं। जबकि आषाढ़ महीना 2025 के दौरान औपचारिक कार्यक्रम सीमित हैं, इस अवधि का सांस्कृतिक महत्व गहरा बना हुआ है।
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीना चेथा महीना होता है। इस माह में वर्षा होगी है। इस महीना का महत्व बहुत है। इस महीना में भगवान विष्णु 4 माह के लिए चिरनिद्रा में जाकर विश्राम करते है। इस साल आषाढ़ 4- 5 जून से व्रत, पूजा, साधना भक्ति का महीना आषाढ़ महीना शुरू हो गया। यह समय बारिश का होता है इसलिए कहा जाता है कि इस दौरान साफ पानी ही पीना चाहिए। आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास या चेमासा भी शुरू हो जाता है और देवी देवता विश्राम करने चले जाते हैं इसलिए इस अवधि में शादी ब्याह जैसे तमाम शुभ कार्य बंद कर दिये जाते हैं।
आषाढ़ कब से लगेगा?
हिन्दू महीनों में चेत्र से आरंभ होने वाले नववर्ष में यह चेथा महीना है। अंग्रेजी महीनों के क्रम में देखा जाए तो जून या जुलाई माह में यह आता है पड़ता है। जेठ और सावन के बीच में पड़ने वाले इस महीने से वर्षा ऋतु भी प्रारम्भ हो जाती है। खास बात यह है जेठ वैशाख महीना की तपती गर्मी के बाद यह महीना वर्षा ऋतु के आगमन का सूचक है। आषाढ़ महीना के धार्मिक कृत्यों के अन्तर्गत एकभक्त व्रत भी किया जाता है। जिसमें पूरे महीना यह व्रत चलता है। इस व्रत के तहत रखे जाने वाले उपवास में सूर्यास्त से पहले ही भोजन कर लिया जाता है और जितनी भूख हो उससे कम ही खाया जाता है। इस उपवास में भोजन की सीमा भी बताई गई है जो मुनि हैं या पूर्ण संन्यास में हैं वो सिर्फ आठ ही ग्रास खा सकते हैं।
जो लोग वानप्रस्थी हैं वो 16 ग्रास का सेवन करते हैं और गृहस्थ लोग 32 ग्रास खा सकते हैं। इस प्रकार ये उपवास पूर्ण होता है। व्रत पूर्ण होने पर खड़ाऊँ, छाता, नमक तथा आँवलों का ब्राम्हण को दान किया जाता है। इस व्रत और दान से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
जो लोग पूरे महीना का व्रत न ले पाएं वह यह कार्य आषाढ़ महीना के प्रथम दिन अथवा सुविधानुसार किसी भी दिन कर सकते हैं। आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेशजी की पूजा और व्रत आरंभ करना चाहिए। इस बार यह तिथि 7 जून को पड़ रही है। इस व्रत में गणेश जी के कृष्णपिंगाक्ष रूप की पूजा करनी चाहिए। गणेश पुराण में आषाढ़ महीने की संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में बताया गया है। इस व्रत का पूरा फल कथा पढ़ने पर ही मिलता है।
आषाढ़ महीना का महत्व जानिए,
सबसे पहले जानिए आध्यात्मिक विकास,
यह महीने आध्यात्मिक विकास, शुद्धि और दिव्य आशीर्वाद का समय माना जाता है।
आषाढ़ का सांस्कृतिक महत्व जानिए,
आषाढ़ महीना का दक्षिण भारत में गहरा सांस्कृतिक महत्व है, खासकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में। हालांकि, जीवन की प्रमुख घटनाओं के लिए शुभ मुहूर्तों की अनुपस्थिति के कारण इसे सूर्य महीना (खाली महीना) के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह निश्चित रूप से आध्यात्मिक अर्थ और प्रथाओं से भरपूर समय है।
आषाढ़ के दौरान, दिव्य स्त्री ऊर्जा को विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है। यही कारण है कि देवी के विभिन्न रूपों की पूजा सर्वाेपरि हो जाती है। तमिलनाडु में, इस महीने को आदि के रूप में जाना जाता है और इस अवधि के दौरान शुक्रवार देवी शक्ति को समर्पित होते हैं।
ऐतिहासिक रूप से, आषाढ़ महीना कृषि चक्र से जुड़ा हुआ था। मानसून की बारिश शुरू होने के साथ, किसान प्रमुख गतिविधियों को रोक देते थे और भरपूर फसल के लिए प्रार्थना करने के लिए तैयारी और आध्यात्मिक प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करते थे। इस कृषि संबंध ने इस अवधि के दौरान नए कपड़े पहनने की परंपरा को प्रभावित किया, जो नवीनीकरण और समृद्धि का प्रतीक है।
आषाढ़म की ऑनलाइन बिक्री की घटना की जड़ें इन परंपराओं में गहरी हैं। परंपरागत रूप से, परिवार के बड़े सदस्य इस अवधि के दौरान आशीर्वाद के रूप में छोटी महिलाओं को साड़ियाँ उपहार में देते थे। आज के आषाढ़म की ऑनलाइन साड़ियाँ आधुनिक खरीदारी की प्राथमिकताओं के अनुकूल होते हुए भी इस सार्थक परंपरा को जारी रखती हैं।
तेलंगाना में, आषाढ़ महीना के दौरान मनाया जाने वाला बोनालू का त्यौहार देवी महाकाली का सम्मान करता है। महिलाएं इन उत्सवों में भाग लेने के लिए अपनी बेहतरीन पारंपरिक साड़ियाँ, विशेष रूप से लाल और मैरून रंग की साड़ियाँ पहनती हैं। आषाढ़ साड़ियों की बिक्री का मौसम विशेष रूप से इन सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
अब जानिए चातुर्मास के बारे में,
इस दौरान मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है, लेकिन भजन-कीर्तन, तपस्या और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना जाता है।
प्रकृति का क्या स्वरूप होता है इस महीने में यह जानिए,
आषाढ़ महीना बरसात के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है, जो जीवन और नई शुरुआत का प्रतीक है।
इस दौरान, भगवान विष्णु योगनिद्रा में जाते हैं, इसलिए यह महीना शुभ नहीं माना जाता है।
आषाढ़ माह में भगवान शिव, विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी और सूर्य देव की पूजा होती है। इस वर्ष आषाढ़ माह का महत्व ग्रहों के गोचर के कारण भी काफी बढ़ रहा है।
कब से शुरू होगा आषाढ़ का महीना? जानें इस माह के व्रत-त्योहार जानिए,
कब से शुरू होगा आषाढ़ का महीनाः हिन्दू कैलेंडर का चेथा महीना आषाढ़ 12 जून से शुरू हो रहा है। आषाढ़ माह में भगवान शिव, विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी और सूर्य देव की पूजा होती है। इस वर्ष आषाढ़ माह का महत्व ग्रहों के गोचर के कारण भी काफी बढ़ रहा है। इस वर्ष आषाढ़ माह में सूर्य ग्रह का मिथुन राशि में, बुध ग्रह का कर्क राशि में और शुक्र ग्रह का वृषभ राशि में गोचर हो रहा है। इसके कारण इन राशियों के जातकों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के बाद आषाढ़ माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी। ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 10 जून सुबह 11 बजकर 35 मिनिट से 11 जून दोपहर 1 बजकर 13 मिनिट तक रहेगा। इसके बाद आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। प्रतिपदा तिथि 12 जून दोपहर 2 बजकर 38 मिनिट तक रहेगी, लेकिन उदया तिथि के कारण आषाढ़ माह 12 जून से शुरू माना जाएगा और इसका समापन 10 जुलाई को होगा। इस माह में हिन्दू धर्म के कई पर्व-त्योहार पड़ रहे हैं।
जगन्नाथ रथयात्रा कब यह जानिए, इस माह में 27 जून को जगन्नाथ रथयात्रा होगी। प्रत्येक वर्ष जगन्नाथ रथयात्रा के तर्ज पर पटना में अंतरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) की ओर से रथयात्रा का आयोजन होता है। इस्कॉन के नंद गोपाल दास बताते हैं कि इस वर्ष 27 जून को ही पटना में भी रथयात्रा होगी।
भगवान श्रीहरि जाएंगे योग निंद्रा में जाएंगे, प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि में भगवान श्रीहरि चार महीने के लिए योग निंद्रा में चले जाते है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 06 जुलाई को विशाखा और अनुराधा नक्षत्र में पड़ रहा है। भगवान विष्णु के योग निंद्रा में जाने के बाद उनके उठने तक शादी-विवाह का कोई मुहूर्त नहीं पड़ता है।
2025 की दूसरी गुप्त नवरात्रिः साल की दूसरी गुप्त नवरात्रि (आषाढ़ गुप्त नवरात्रि) 26 जून से 4 जुलाई के बीच पड़ रही है। इस दौरान शक्ति के साधक गुप्त रूप से मां शक्ति की आराधना व पूजा करेंगे।
जानें इस माह के व्रत-त्योहार
14 जून को संकष्टी गणेश चतुर्थी, 15 जून को मिथुन संक्रांति, 21 जून को योगिनी एकादशी, 23 जून को प्रदोष व्रत, महीना शिवरात्रि, 24 जून को रोहिणी व्रत, 25 जून को अमावस्या, आषाढ़ अमावस्या, 26 जून को गुप्त नवरात्रि आरंभ, चंद्र दर्शन, 27 जून को जगन्नाथ रथयात्रा, 06 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी, देवशयनी एकादशी, 08 जुलाई को भौम प्रदेाष व्रत, जया पार्वती व्रत प्रारंभ एवं 10 जुलाई को पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा, सत्य व्रत रहेगा। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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अखिलेश दुबे

लगभग 15 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो के रूप में लगभग 12 सालों से कार्यरत हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.