पूस माह की महिमा व नियमों को जानिए विस्तार से . . .
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पौष या पूस माह हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण महीना है, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने को देवताओं और पितरों की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। पौष माह में किए गए पूजा पाठ और दान का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में पौष महीने का बेहद महत्व होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पौष महीने की शुरुआत 16 दिसंबर से हो चुका है।
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यह सनातन विक्रम संवत के अनुसार साल का दसवां महीना होता है। भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर रखे गए हैं, जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उस महीने का नाम उसी नक्षत्र पर रखा जाता है। पौष महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसलिए इसे पौष महीना कहा जाता है। पौष महीने में सूर्यदेव की पूजा का खास महत्व है। उनकी उपासना से ऐश्वर्य, धर्म, यश, ज्ञान और वैराग्य मिलता है। शास्त्रों के अनुसार इस माह को लेकर कई नियम बताए गए हैं और इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है।
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पौष माह का महत्व जानिए
पौष महीने में मांगलिक कार्य जैसे शादी ब्याह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किए जाते हैं। इस महीने में सूर्य धनु राशि में होते हैं, जिसे खर माह कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार, खरमाह में शुभ कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है। हालांकि, इस महीने में आध्यात्मिक कार्यों, हवन, पूजा पाठ या किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करना शुभ माना गया है।
पौष माह की पूर्णिमा पर चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसलिए इस माह को पौष माह कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस माह में पिंडदान और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं, इस महीने में सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को तेज, बल और बुद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। पौष माह में विधिपूर्वक पिंडदान करने से पूर्वजों को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
जानिए क्या होता है पूस माह में,
पौष माह में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस महीने में सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और जीवन में उन्नति होती है।
पौष माह को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। इस महीने में पितरों का श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख शांति रहती है।
पौष माह में कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जैसे कि स्नान, दान, व्रत और हवन। इन अनुष्ठानों को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौष माह सर्दियों के मौसम में आता है। इस मौसम में ठंडक और ओस की बूंदें धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत शुभ मानी जाती हैं।
पौष माह में किए जाने वाले कार्यों को जानिए,
पौष माह में सूर्य नमस्कार करने का विशेष महत्व है। सूर्य नमस्कार से शरीर स्वस्थ रहता है और मन शांत होता है।
पौष माह में गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पौष माह में दान करने का विशेष महत्व है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख शांति रहती है।
पौष माह में कई तरह के व्रत रखे जाते हैं, जैसे कि सोमवती अमावस्या, एकादशी आदि। व्रत रखने से मन को एकाग्र किया जा सकता है और धार्मिक भावनाओं को बढ़ावा मिलता है।
पौष माह में हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पौष माह में पड़ने वाले दो त्योहारों को जानिए,
पहला है मकर संक्रांति, पौष माह में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं।
दूसरा है लोहड़ी, पौष माह में लोहड़ी का त्योहार भी मनाया जाता है। यह त्योहार फसल की कटाई के मौके पर मनाया जाता है।
पौष माह का महत्व पुराणों में क्या है यह जानिए,
पुराणों में पौष माह का बहुत महत्व बताया गया है। पौष माह में किए गए पूजा पाठ और दान का फल अक्षय होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पौष माह में देवता और ऋषि मुनि तपस्या करते थे।
पौष माह के नियमों को जानिए,
पौष माह में सूर्य देव के निमित्त रविवार का व्रत रखना चाहिए।
पौष माह में पूजा के दौरान सूर्य देव को चावल की खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए।
मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
पौष माह में मकर संक्रांति, अमावस्या और एकादशी पर पितरों की पूजा करनी चाहिए।
पौष माह में श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में विशेष चीजों का दान करना चाहिए।
पौष माह में तामसिक चीजों के सेवन दूर रहना चाहिए।
पौष माह में विधिपूर्वक सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
जानिए पौष माह में रखना चाहिए क्या, क्या सावधानियां
इस माह में रविवार को सूर्य देव को जल चढ़ाएं। तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। सूर्य मंत्र ‘ऊं सूर्याय नमः’ का जाप करें। रविवार को व्रत रखें और तिल चावल की खिचड़ी का दान करें। व्रत का पारण शाम को मीठे भोजन से करें। जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, गुड़ और तिल का दान करें। तिल और चावल से बनी खिचड़ी का दान करने से पुण्य मिलता है। भगवान सूर्य और विष्णु की पूजा करें। इस महीने सूर्यदेव और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करें। तांबे के पात्र से सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। मांस और शराब का सेवन न करें। बुरी आदतों और अनैतिक कार्यों से बचें।
पौष माह में ठंड अधिक होती है, इसलिए स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पौष माह में गर्म कपड़े पहनने चाहिए।
पौष माह में गरम भोजन करना चाहिए।
पौष माह में नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)
लगभग 15 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के सिवनी ब्यूरो के रूप में लगभग 12 सालों से कार्यरत हैं.
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