माल वाहक वाहनों की ऊॅचाई को क्यों नहीं मापते आरटीओ और पुलिस के जिम्मेदार!

ट्रक की ऊॅचाई किसी भी कीमत में जमीन से 04 मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए
(लिमटी खरे)


07 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के छपारा थानांतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 44 पर दो ट्रक चालकों के बीच हुए विवाद के बाद डायल 100 पर सूचना देने के बाद दोनों ट्रकों को छपारा थाने ले जाया गया। इसी दौरान एक ट्रक कथित तौर पर अनियंत्रित होकर छपारा थाने के गेट से टकरा गया और गेट क्षतिग्रस्त हो गया। बाद में मशीनों के जरिए ट्रक को वहां से हटाया गया।
यह खबर देखा जाए तो बहुत ही सामान्य खबर नजर आ रही है कि दो ट्रक चालकों के बीच विवाद हुआ। किसी अन्य ट्रक चालक के द्वारा डायल 100 को बुलाया गया और दोनों ट्रक को छपारा थाने ले जाकर खड़ा कर दिया गया। इसी बीच एक ट्रक कथित तौर पर अनियंत्रित होता है और छपारा थाने का गेट क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं।
मूल बात यह है कि जो भी फोटो वायरल हो रही हैं, उनमें ट्रक के द्वारा गेट को अपनी ऊपरी सतह से तोड़ा गया है। छायाचित्र देखकर ही लग रहा है कि ट्रक की ऊॅचाई कुछ ज्यादा है। सवाल यही है कि वाहनों की लंबाई, चोड़ाई, ऊॅचाई के लिए नियम कायदे हैं अथवा नहीं!
सुबह जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर तैरते मिली वैसे ही मन में प्रश्न कौंधा कि क्या मालवाहकों की ऊॅचाई निर्धारित है अथवा नहीं, क्या इसकी जांच परिवहन विभाग, परिवहन विभाग की जांच चौकी, टोल नाकों, पुलिस, यातायात पुलिस आदि के द्वारा की जाती है अथवा नहीं! मन में आए विचार उतार दिए सोशल मीडिया पर।
कुछ देर बाद वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्रनाथ त्रिपाठी का संदेश सोशल मीडिया पर मिला कि न केवल माल वाहक ट्रक की ऊॅचाई बाकायदा निर्धारित है, वरन सड़क पर चलने वाले हर वाहन चाहे वह दो पहिया हो या बड़ा वाहन, सभी की ऊॅचाई, लंबाई, मोटाई आदि भी निर्धारित हैं।
उन्होंने हमें इस संबंध में नियमों की जानकारी सविस्तार देना आरंभ किया। बाकायदा रूलिंग, नियमों की जानकारी यहां तक कि रविंद्रनाथ त्रिपाठी के द्वारा हाल ही में 26 जून 2020 को प्रकाशित राजपत्र जिसमें सब कुछ निर्धारत किया गया है की प्रति भी हमें भेजी, जो पाठकों के सुलभ संदर्भ के लिए चस्पा है।
इस पूरे मामले में नियम कायदों का जितना अध्ययन हम कर पाए उस लिहाज से माल वाहक ट्रक की ऊॅचाई किसी भी कीमत पर जमीन की सतह से चार मीटर अर्थात जहां टायर स्पर्श कर रहे हों, वहां से चार मीटर (13.12 फीट) से ज्यादा कतई नहीं होना चाहिए।
जब हमारे जैसे गैर सामान्य व्यक्ति को इस बात की जानकारी नहीं है तो बाकियों को भला कैसे होगी। हां, पुलिस, यातायात पुलिस और परिवहन विभाग को इसकी जानकारी न हो यह बात हजम नहीं होने वाली है। सामान्यतः हमारे घरों के भूतल की छत 10 फीट के लगभग होती है अर्थात इससे तीन फीट ज्यादा की ऊॅचाई से अधिक ऊॅचाई माल वाहकों की नहीं होना चाहिए।
सब कुछ नियम कायदों से चले इसके लिए परिवहन विभाग, यातायात पुलिस और अन्य थाना पुलिस के कांधों पर यह जवाबदेही आहूत होती है। याद नहीं पड़ता कभी किसी जिम्मेदार के द्वारा किसी मालवाहक वाहन की ऊॅचाई का माप किया जाकर उसका चालान बनाया हो। भूसे के वाहनों की ऊॅचाई तो देखते ही बनती है। वीडियो कोच स्लीपर बस की ऊॅचाई कितनी होना चाहिए यह भी तय है पर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी शायद ईमानदारी से निभा नहीं रहे हैं।
सिवनी जिले के छपारा थाने का मुख्य द्वार क्षतिग्रस्त करने वाले ट्रक की ऊॅचाई भी शायद ही मापी गई हो। सब कुछ मनमाने तरीके से चल रहा है। चारों तरफ अराजकता हावी दिख रही है। चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भी शायद नियम कायदों से सरोकार नहीं रह गया है। लगता है आने वाले कल की तस्वीर और भयावह होने वाली है …. अगर ऐसा हो तो किसी को आश्चर्य नहीं करना चाहिए।

विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिए राजपत्र को देखिए ….

rajpatra

(साई फीचर्स)

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