आखिर कैसे हुई गणेश उत्सव मनाने की शुरूआत . . .

जानिए क्यों मनाया जाता है भगवान गणेश का उत्सव दस दिनों तक . . .
गणेश उत्सव वैसे तो हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र व कर्नाटका में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नौ दिन बाद धार्मिक गीतों गाजे बाजे के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब, महासागर इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है। गणेशजी को लंबोदर के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के पीछे कई पौराणिक कथाएं और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आईए गणेश चतुर्थी के महत्व, इसके इतिहास और विभिन्न पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
शिवपुराण में भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश जी की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि गणेशपुराण के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। गण और पति मिलकर गणपति। संस्कृत कोष के अनुसार गण अर्थात पवित्रक। पति अर्थात स्वामी, गणपति अर्थात पवित्रकों के स्वामी माना गया है।
गणेश चतुर्थी मनाने की शुरुआत कैसे हुई, इसके बारे में कई मतभेद हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गणेश चतुर्थी को 19वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक ने एक सामाजिक सुधार आंदोलन के रूप में शुरू किया था। उन्होंने इस त्योहार को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकता और राष्ट्रीयता की भावना जगाने के लिए इस्तेमाल किया था।
हालांकि, कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि गणेश चतुर्थी का इतिहास बहुत पुराना है और यह प्राचीन काल से ही मनाया जाता रहा है। पुराणों में भी गणेश जी के जन्म और पूजा के कई उल्लेख मिलते हैं।
आईए जानते हैं भगवान गणेश जी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और उन्हें पुष्प और फल अर्पित करें। इसके बाद गणेश मंत्रों का उच्चारण करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में गणेश जी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें। गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें मोदक, लड्डू और दूर्वा घास अर्पित करना चाहिए।
आईए अब जानते हैं भगवान एकदंत की गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथाओं के बारे में . . .
गणेश चतुर्थी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कथाओं के अनुसार
पार्वती जी के पुत्र थे लंबोदर भगवान
सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, गणेश जी पार्वती जी के पुत्र हैं। जब शिव जी ध्यान में लीन थे, तब पार्वती जी ने अपने शरीर से उबटन से एक बालक बनाया और उसे द्वारपाल बना दिया। जब शिव जी आए तो उन्होंने बालक को रोक लिया। बालक ने शिव जी को जाने से मना कर दिया जिससे शिव जी क्रोधित हो गए और उन्होंने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया। पार्वती जी के रोने पर शिव जी ने किसी हाथी का सिर लेकर बालक के धड़ पर लगा दिया और उसे जीवनदान दिया। इस प्रकार गणेश जी का जन्म हुआ।
एक अन्य कथा के अनुसार, गणेश जी का विवाह सिद्धि और बुद्धि नामक दो अप्सराओं से हुआ था।
गणेश जी का वाहन चूहा है। इस संबंध में भी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी एक नदी पार कर रहे थे। इसी दौरान एक चूहा नदी में डूबने लगा। गणेश जी ने चूहे को बचा लिया और उसे अपना वाहन बना लिया।
भगवान गणेश प्रथम पूज्य माने जाते हैं। किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही होती है। गजानन की पूजा करने से व्यक्ति के कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है। हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की हर घर में स्थापना की जाती है। इस बार 07 सितंबर से गणेश उत्सव की शुरुआत हो रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बप्पा 10 दिनों तक ही क्यों विराजित रहते हैं। सिर्फ 10 दिनों के लिए ही गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है। आइए, जानते हैं कि इसका क्या कारण है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार . . .
पुराणों में गणेश उत्सव को लेकर कई कथाएं हैं। मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी का जन्म हुआ था। इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाने का यह कारण है कि वेद व्यास जी ने भगवान गणेश से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की थी, जिसके लिए उन्होंने 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत लिखी थी। जब वेदव्यास जी ने देखा, तो गणेश जी का तापमान बहुत बढ़ा हुआ था, जिसके कारण 10वें दिन उन्हें नदी में स्नान करवाया। तभी से गणेश उत्सव की शुरुआत हुई है।
आईए आपको बताते हैं आदि गणेश के संबंध में गणेश का अर्थ होता है गणों का ईश और आदि का अर्थ होता है सबसे पुराना यानी सनातनी।
गणेश चतुर्थी का महत्व जानिए . . .
गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी की पूजा करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते हैं। गणेश जी बुद्धि, विवेक और समृद्धि के देवता भी माने जाते हैं। इसलिए लोग गणेश चतुर्थी के दौरान इन गुणों को प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं।
गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भजन-कीर्तन और आरती होती है। अंतिम दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है। यह त्योहार धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। गणेश चतुर्थी के दौरान लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर मिठाई खाते हैं और गप्पे लगाते हैं। यह त्योहार लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।
अगर आप बुद्धि के दाता भगवान गणेश की अराधना करते हैं और अगर आप एकदंत भगवान गणेश के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय गणेश लिखना न भूलिए।
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