जानिए पितृ दोष का कारण, लक्षण एवं इसके निराकरण के उपाय . . .

कहीं आपकी कुण्डली में भी पितृ दोष तो नहीं है . . .
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
वैदिक ज्योतिष अनुसार कुंडली में कुछ ऐसे अशुभ दोष विद्यमान होते हैं, जिनकी वजह से मनुष्य को जीवन में कामयाबी नहीं मिल पाती। आपको बता दें कि ऐसा ही एक दोष होता है पितृ दोष। जिसके कारण मनुष्य कर्म तो बहुत करता है पर उसको भाग्य का साथ नहीं मिलता है। साथ ही जिंदगी भर उसे संघर्ष करना पड़ता है। करियर और व्यापार में बार बार असफलता हाथ लगती है। जानकार विद्वानों के अनुसार ज्योतिष शास्त्र यह भी व्यवस्था देता है कि भगवत गीता के सातवें अध्याय का पाठ करके भी पितृ ऋण से मुक्ति पाई जा सकती है।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
शास्त्रों के अनुसार जब व्यक्ति इस संसार में जन्म लेता है तो उसके भाग्य का निर्धारण पहले से हो जाता है। जन्म के समय ज्योतिष विद्या के माध्यम से उस व्यक्ति की ग्रहों और नक्षत्रों की चाल से कुंडली बनाई जाती है। कुंडली में कई तरह के दोष पाए जाते हैं उन्हीं में से एक दोष होता है पितृ दोष। ज्योतिष में पितृ दोष को अशुभ और दुर्भाग्य का कारक माना जाता है। कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब सूर्य, चन्द्र, राहु या शनि में दो कोई दो एक ही घर में मौजूद हो। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष बनता है उन्हें तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है। पितृदोष होने पर उस व्यक्ति के जीवन में उसे कई तरह के संकेत मिलते हैं।
दरअसल, पितृ दोष शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है पितृ और दोष। पितृ का अर्थ होता है पूर्वज या हमारी पिछली पीढ़ी के संदर्भ में इसका उपयोग किया जाता है और दोष का अर्थ होता है श्राप। ऐसे में पितृ दोष का अर्थ हुआ हमारे पितरों से संबंधित श्राप। ज्योतिष की दुनिया में सबसे व्यापक ग्रन्थों में से एक माने जाने वाला बृहत पाराशर होरा शास्त्र भी इस बारे में दावा करता है कि पितृ दोष का संबंध हमारे पिछले जन्मों से भी होता है।
इस आलेख को वीडियो में देखने के लिए क्लिक कीजिए . . .

https://www.youtube.com/watch?v=gjJb-Jdl7PM
जानकार विद्वानों का मत है कि पितृ दोष कुल आठ तरह के होते हैं जो किसी कुंडली में ग्रहों के अलग अलग संयोजन के चलते बनते हैं। लेकिन उन सभी में से पितृ दोष के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। सर्प श्राप, पितृ श्राप, मातृ श्राप, भ्रातृ श्राप, मातुल श्राप, ब्रह्मा श्राप, पत्नी श्राप और प्रेत श्राप ये 8 प्रकार के श्राप हैं।
इन श्रापों का प्रभाव विभिन्न तौर पर हमारे जीवन पर नकारात्मकता के रूप में पड़ता है। हालांकि मुख्य रूप से यह युवाओं को प्रभावित करते हैं। हालांकि जानकार विद्वानों के द्वारा यह बात पूरी तरह स्पष्ट की गई है कि, यह योग जटिल ग्रह विन्यासों के चलते निर्मित होते हैं जिन्हें एक आम व्यक्ति या किसी नवसिखिया के लिए समझ पाना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में इन विषयों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपको खुद गहन शोध करने या फिर किसी प्रसिद्ध और अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है। आपसे अनुरोधर है कि इन योगों के बारे में जानने के बाद चिंतित या घबराने से बचें और बल्कि अपने लाभ और इन दोषों का अपने जीवन से दुष्प्रभाव हटाने के लिए उपाय के बारे में विचार करने और जानकार विद्वानों से परामर्श अवश्य कीजिए।
सबसे पहले जानते हैं कि कुण्डली में पितृ दोष कैसे बनता है एवं उससे क्या समस्याएं उतपन्न हो सकती हैं . . .
वैदिक ज्योतिष अनुसार अगर कुंडली में राहु ग्रह अगर केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो और उनकी राशि नीच यानि की नकारात्मक स्थित हों तो पितृ दोष का निर्माण होता है। अगर राहु का सम्बन्ध कुंडली में सूर्य और चंद्र ग्रह से हो, तो ऐसी कुंडली में पितृ दोष बनता है। वहीं, अगर कुंडली में राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो, तो भी कुंडली में पितृ दोष बनता है। राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो तो भी ऐसी कुंडली में पितृ दोष का निर्माण होता है। नवम स्थान में अगर नीच के राहु विराजमान हैं तो भी पितृ दोष लगता है।
अब जानिए कि पितृ दोष के चलते क्या समस्याएं उतपन्न हो सकती हैं, …
कुंडली में पितृ दोष होने पर संतान संबंधी समस्याएं होती है। जातक को संतान पैदा करने में दिक्कतें आती हैं। पितृ दोष होने पर पीडित व्यक्ति को हमेशा धन की कमी बनी रहती है और पैसा का नुकसान होता है। कुंडली में पितृ दोष होने पर शादी में तमाम तरह की परेशानियां आती है। शादी होने के बाद भी पति पत्नी में अक्सर विवाद बना रहता है। पितृ दोष होने पर व्यक्ति हमेशा विवाद और मुकादमों के चलते परेशान रहता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष के लक्षण होते हैं तो उसके परिवार के सदस्य हमेशा बीमार रहते हैं जिसके कारण से हमेशा अस्पताल के चक्कर काटने को मजबूर रहते हैं। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के विवाह में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और मनचाहा जीवन साथी मिलने में परेशानी आती है।
अब जानिए क्या होते हैं पितृ दोष के लक्षण
पितृ दोष हो तो इंसान को जीवन में कई समस्याएं आती हैं। अगर आपके घर मे या आपके जीवन मे पितृ दोष है तो जरुर आपके साथ असमान्य घटनाये घटित होती होंगी। साथ ही परिवार मे कलेश, या बीमारी, रिश्तो मे दूरीयां, हर वक्त तनाव, उन्नति मे रुकावट, आर्थिक समस्या आदि होती रहती है। व्याापार में घाटा होता है। साथ ही कोई असाध्य रोग हो जाना। कई बार बिजनेस का बदलना। संतान होने या संतान के भविष्य की चिंता हमेशा रहना, कोई भी प्लानिंग का सफल ना होना, ऐसे कई संकेत हैं जो इशारा करते हैं कि कुंडली में पितृ दोष हो सकता है। संतान प्राप्ति में परेशानी। संतान के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित परेशानियां। परिवार में योग्य जातकों का विवाह ना हो पाने की समस्या या रुकावटें। घर में नव विवाहितों के वैवाहिक जीवन में परेशानियां। परिवार के सदस्यों को बार बार स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। परिवार के सदस्यों के बीच कलह लड़ाई झगड़ा और घर में अशांति का माहौल। आर्थिक परेशानियां, अनिश्चितताएं और नुकसान। व्यावसायिक जीवन में लाभ न मिल पाना। सपने में अपने पूर्वजों को परेशान या दुखी देखना। या परिवार में अपमान और सम्मान की हानि होना। कुछ मामलों में अगर पितृ दोष ज्यादा प्रबल होता है तो यह परिवार में अचानक मृत्यु का कारण भी बन सकता है।
अब जानिए पितृ दोष के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए पितृ दोष निवारण पूजा है सबसे सटीक उपायों के बारे में . . .
जानकार विद्वानों का कहना है कि पितृ दोष के निवारण हेतु अनुष्ठान आदि करवाना उचित होता है, इसके साथ ही आप कुछ उपाय कर पितृ दोष के प्रभावों को कम करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं। इन उपायों में . . .
घर के दक्षिण दीवार पर अपने पूर्वजों की तस्वीर लगाएँ और उनकी तस्वीर के सामने दिया धूप या अगरबत्ती जलाएं। विशेष रूप से ऐसा अगर आप श्राद्ध पक्ष के दौरान करते हैं तो आपको विशेष रूप से लाभ मिलेगा। हमेशा अपने बड़ों का सम्मान करें और उनके द्वारा आपको दिए गए जीवन के लिए उनका आभार व्यक्त करें। तांबे के लोटे में थोड़ा सा जल लेकर इसमें काले तिल डालें और फिर इससे सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करते समय अपने पूर्वजों को याद करें और उनसे प्रार्थना करें। विशेष तौर पर यह उपाय आप श्राद्ध पक्ष के दौरान रोजाना नियमित रूप से कर सकते हैं।
भगवान शिव की पूजा करें। आटे का दिया बनाकर रात के समय उनके सामने प्रज्वलित करें और अपने पितरों की तृप्ति के लिए उनसे प्रार्थना करें। श्राद्ध पक्ष के दौरान यह उपाय भी आप रोजाना कर सकते हैं। पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और उसकी पूजा करें। श्राद्ध पक्ष के दौरान आप यह उपाय नियमित रूप से करें। रोजाना सुबह सवेरे पहली रोटी गाय को खिलाएं, उसके बाद कौवों को और फिर गली के कुत्तों को खिलाएं। यह उपाय भी आप श्राद्ध पक्ष के दौरान नियमित रूप से करें। घर मे पितृ दोष के निवारण हेतु, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करे, प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें, पूर्वजो के फोटो के साथ पूजा करे, पीपल को जल चढाए, घर मे तुलसी का पौधा लगाये, आदि उपाय आप अपना सकते है।
परिवार के बुजुर्ग व्यक्ति, पितरों की संतुष्टि के लिए भागवत गीता का पाठ कर सकते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्ध पक्ष के दौरान मृत्यु तिथि पर अपने पूर्वजों के नाम से श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, दान करने से आपके पूर्वजों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है। पुजारी को अपने घर पर आमंत्रित करें, उन्हें कपड़े, भोजन, मिठाई, फल, और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्रदान करें।
अमावस्या तिथि पितृ देवताओं के लिए निर्धारित की गई है। ऐसे में इस दिन अपने पितरों के नाम से दान अवश्य करें। श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि बेहद ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस दिन कोई भी व्यक्ति अपने मातृ पक्ष या पितृ पक्ष के पूर्वज यहां तक की अज्ञात और असंतुष्ट पितरों के लिए भी श्राद्ध कर सकता है इसलिए अपने सभी पितरों और पर दादाओ की संतुष्टि के लिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि पर उन्हें वस्त्र, भोजन, मिठाइयां, फल, और अन्य आवश्यक वस्तुएं पुरोहित को भेंट करें। श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि पर यथाशक्ति अनुसार गरीबों और ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराएं।
पितृदोष निवारण के लिए महामृत्युंजय मंत्र से शिव जी का अभिषेक करें। श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें इससे पितरों को शान्ति मिलती है। प्रतिदिन पितृ कवच का पाठ करें ऐसा करने से पितृदोष की शान्ति होती है। प्रतिदिन इष्ट देव व कुल देवता की पूजा करें ऐसा करने से भी पितृ देव शान्त होते हैं। शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीप जलाएं और नाग स्तोत्र महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। नियमित रूप से रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें। जिससे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। घर के दक्षिण वाली दिवाल पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर फूल माला से पूजा करें ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
श्राद्ध पक्ष में श्रद्धा भाव से विधिवत तर्पण करने से आपके पितृ जरूर तृप्त होते है तर्पण मात्र से ही पितृ प्रसन्न होते जाते है और आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही आपको पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। पितृ पक्ष में हर दिन सुबह आप पहली रोटी गाय और दूसरी कुत्ते के लिए अलग रखेंगे और कुत्ते को रोटी खिलाने से पितृदोषों का प्रभाव कम होता है।
पितृ पक्ष में प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर कच्चे दूध के साथ जल चढ़ाना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है ये उपाय सभी को पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और घर में गीता का पाठ करना चाहिए जब तक पितृपक्ष चल रहें हो नियमित रूप से आपको गीता का पाठ करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर कौओं के रूप में इस धरती पर आते हैं। तो आप पितृ पक्ष में प्रति दिन कौओं को खाना खिलाने के लिए घर की छत पर भोजन जरूर रखे यदि आप हर रोज़ नहीं रख सकते तो विशेषकर अमावस्या पर कौओं को खाना अवश्य खिलाएं। इससे पितर देवता प्रसन्न होते हैं।
प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। सोलह बताशे लीजिये उन पर दही रख कर पीपल के वृक्ष पर रख दीजिये पीपल के वक्ष पर बताशे रखने के बाद आप पीछे मुद कर न देखे इन 15 दिनों में आपको ये उपाय कम से कम तीन बार तो करना ही है
आप पितृ पक्ष में सूर्य को अर्घ्य दें और साथ ही 11 बार ओम घृणि सूर्याय नमः इस मंत्र का जाप करें। जगत को प्रकाशित करने वाले सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय आप पुष्प, रोली या फिर लाल चन्दन मिश्रित जल से ही अर्घ्य दें, सादे जल से अर्घ्य न दें इस उपाय को करने से पितरों को शांति मिलती है साथ ही आपके पितृ प्रसन्न होते है।
आप कोई भी एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या तक यानि पुरे एक महीने तक पीपल के वृक्ष पर सूर्याेदय के समय घी का दीपक जलयें आपको ये क्रम नहीं तोडना है आपको पुरे महीने ये उपाय करना है। तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़ और घी के मिश्रण को कंडे (उपले) पर जलने से भी पितृ दोष का निवारण होता है।
घर के उत्तर पश्चिम घर का वास्तु सुधारे और ईशान कोण को मजबूत एवं वास्तु अनुसार बनाएं। में आप पितृ पक्ष में हर रोज़ एक दीपक जलाएं दीपक में आप सरसों और अगर का तेल बराबर मात्रा में डालें, दीपक कम से कम दस मिनट तो जलना ही चाहिए, ये बहुत ही सरल और लाभकारी उपाय है आप सभी को पितृ पक्ष में ये उपाय जरूर करने चाहिए।
पितृ पक्ष में अगर आप भगवान विष्णु जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा अथवा हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
अगर आपको समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में खबरें आदि पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईक, शेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम नई जानकारी लेकर फिर हाजिर होंगे तब तक के लिए इजाजत दीजिए, जय हिंद, . . .
(साई फीचर्स)