जल के कुण्ड से निकलता है प्रसाद . . ., लगा रहता है यहां भक्तों का मेला . . . .

भक्तों से सजीव संवाद करती हैं बुंदेलखण्ड के इस स्थान पर विराजीं अछरू माता . . .
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
वैसे तो भारत भूमि चमत्कारों से भरी हुई है, क्या आप यकीन करेंगे कि देश में एक ऐसा भी सिद्ध स्थान है जहां देवी माता न केवल भक्तों से सीधा संवाद करती हैं, वरन वहां एक कुण्ड है जिसमें से भक्तों को प्रसाद भी तैरता हुआ मिलता है। दरअसल यह मध्य प्रदेश के बुंदेलखण्ड अंचल में टीकमगढ़ जिले की सुप्रसिद्ध अचरू माता हैं जो क्षेत्र अब निवाड़ी के जिला बनने के बाद निवाड़ी में शामिल हो गया है।
अगर आप जगत जननी माता दुर्गा की अराधना करते हैं और अगर आप माता दुर्गा जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय भवानी, जय दुर्गा अथवा जय काली माता लिखना न भूलिए।
अचरू माता कुंड से भक्तों को मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद देती हैं। माता रानी का यह मंदिर निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मडिया में देवी अछूरू माता के नाम से विख्यात है। जहां पर माता कुंड से आने वाले हर भक्त से सजीव संवाद करती है माता भक्तों की फरियाद सुनती है, माता भक्तों के प्रश्नों के उत्तर भी देती है और माता भक्तों को मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद भी प्रदान करती है। आपका कार्य पूरा होगा अथवा नहीं माता रानी यह भी बता देती हैं।
जिला मुख्यालय टीकमगढ़ से झांसी की ओर जाने पर केवल 59 किलो मीटर दूर यह प्रसिद्ध मंदिर है। बुंदेलखंड की देवी प्रतिमाओं में अछरू माता के दर्शनों का विशेष पुण्य लाभ मिलता है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। नवरात्रि के आरंभ होते ही मेला लग जाता है और हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं। माता के चमत्कारों की कहानियां क्षेत्र के हजारों बुर्जुर्गों की जुबान पर आज भी सुनने के लिए मिलती हैं।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि माता अछूरू माता के अद्भुत दरबार में शामिल होने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। हाजिरी लगाते हैं, माता को अपनी फरियाद सुनाते हैं और साथ ही उनसे अपने कार्यों की पूर्ण करने की गुहार लगाते हैं। माता भी भक्तों को मनोकामना पूर्ण होने की आशीर्वाद देती हैं।
भक्तों का कहना है कि अछरू माता के इस अद्भुत कुंड से माता भक्तों को प्रसाद के रूप में नींबू, नारियल गरी, फूल, जलेबी, दही, चिरौंजी इत्यादि प्रसाद के रूप में प्रदान करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस भी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होनी होती है, उसी अनुसार माता उसे प्रसाद प्रदान करती हैं। कई भक्तों को कोयले का प्रसाद भी मिलता है।
जानकारों का कहना है कि वह स्थान जहां पर माता का कुंड है, एक पहाड़ी पर स्थित है और कुंड हमेशा जल से लबालब भरा रहता है। कई बार बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की चपेट में आया लेकिन कुंड में सदैव ही जल भरा रहा। पहाड़ी पर यह स्थान होने के बावजूद भी कुंड का पानी कभी कम नहीं होता है। लोगों का कहना है कि माता दैवीय आपदाओं का भी संकेत देती हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है इस कुंड में जल कहां से आता है और प्रसाद कहां से आता है। इस बात की खोज कई बार लोगों ने करने की कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। लाखों लोगों की श्रद्धा इस स्थान से जुड़ी हुई है, लोग अपने कार्यों की अपेक्षा लेकर माता के दरबार में पहुंचते हैं और माता सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
इस तरह का अनोखा व अद्भुत दरबार माता अछूरू माता का है। जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंचते हैं। हाजिरी लगाते हैं, माता को अपनी फरियाद सुनाते हैं और साथ ही उनसे अपने कार्यों की पूर्ण होने की मनोकामना करते हैं। माता भी भक्तों को मनोकामना पूर्ण होने की आशीर्वाद भी प्रदान करती हैं।
आईए अब हम आपको यहां की मान्यता के बारे में बताते हैं,
अछरू माता मंदिर देश के उन कुछ देवी मंदिरों में से है, जहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंच कर अपनी विनती करते हैं, माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस स्थान पर माता के उद्भव की भी कहानी बड़ी अजीब है। जानकार विद्वानों के अनुसार इस तरह की जनश्रुति है कि लगभग 500 साल पहले यादव समाज का एक चरवाहा जिसका नाम अछरू था, अपनी भैंसे जंगल में चारा रहा था। इसी दौरान इस घने जंगल में चरवाहे की भैंस गुम हो गई। कई दिन तक चरवाहा घने जंगल में अपनी भैंसों की खोज करता रहा। दिन दोपहर में थक हार गया चरवाहा आसपास कोई जल का स्त्रोत ना होने के कारण प्यास से व्याकुल होने लगा। चरवाहा इसी पहाड़ी के पास एक वृक्ष के नीचे छाया बैठ गया तो माता ने उसे कुंड से निकल कर दर्शन दिए व उसे कुंड से जल ग्रहण करने की बात कही व चरवाहे को अपने भैंसों की जानकारी दी। जानकारी कुंड में पानी पीने के बाद चरवाहे ने अपनी लाठी कुंड में डाली तो वह अंदर चली गई। माता ने जिस स्थान पर उसकी वैसे होने की बात बताई थी। उसी स्थान पर उसकी लाठी भी मिल गई तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। तभी से नित्य प्रति दिन चरवाहा इस स्थान पर आकर माता की पूजा करने लगा। धीरे-धीरे यह बात आसपास फैलने लगी और लोग इस स्थान पर पहुंच कर अपनी मनोकामना पूरी करने हेतु विनती करने लगे।
प्राचीन ओरछा स्टेट की यह धार्मिक भूमि जो पहले टीकमगढ़ जिले में आती थी, अब निवाड़ी जिले का हिस्सा हो गई है। पृथ्वीपुर के पास स्थित माता अछरूमाता का यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र वर्षों से रहा है। एक समय यहां माता की छोटी से मढ़िया हुआ करती थी। समय का पहिया घूमता गया और उसके साथ हुए बदलाव के चलते अब यहां विशाल मंदिर और धर्मशालाएं बन चुकी हैं। यहां नवरात्रि पर लगने वाले मेले के लिए दुकानों का लगना आरंभ हो गया है। यहां पर नवरात्रि में नौ दिन तक विशाल मेले का आयोजन किया जाएगा। मंदिर में भजनों के साथ ही अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अछरू माता मंदिर पर नौ दिन तक लगने वाले मेले में समूचे बुंदेलखंड से हजारों भक्तों का आना होता है। जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन द्वारा मेले की सुरक्षा व्यवस्था बनाए हेतु अपने अपने स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। राम रजा की नगरी कही जाने वाले ओरछा से 20 किलो मीटर दूर पृथ्वीपुर के करीब अछरू माता का दरबार लगा है, यहां बना कुंड चमत्कारिक होने से लोगों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है, इसके साथ ही मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अपनी अपनी मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मनोकामनाएं पूरी होने का अशीर्वाद लेकर वापस लौटते हैं।
सती का आंसू गिरने की कहानी भी जुड़ी है इस देवालय से,
जानकार विद्वानों के अनुसार यहां यह भी मान्यता प्रचलित है कि दक्ष प्रजापति ने जब अपना यज्ञ किया था और देवाधिदेव महादेव भगवान शिवजी का अपमान किया था, उस वक्त माता पार्वती की आंखों में आंसू आ गए थे और यह वही स्थान हैं, जहां पर आंसू गिरे थे। कहा जाता है कि यह स्थान पृथ्वी का मध्य स्थल है।
यहां की और भी कथाएं प्रचलित हैं, जब लाल हो गया कुंड का पानी,
मंदिर से जुड़े कई किस्से लोग सुनाते हैं, लोगों का कहना है कि एक बार इस कुंड के आसपास की सफाई की जा रही थी, किसी ने लोहे की साग से कुंड के मुहाने पर लगी काई कुरेद कर साफ करने की कोशिश की, तब इस कुंड का पानी खून की तरह लाल हो गया था।
नवरात्रि पर लगता है मेला
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस स्थान पर वर्षों पूर्व इस स्थान की खोज करने वाले माता अछरू मैया के अनन्य भक्त अछरू के परिवार के लोग ही मंदिर की पूजा करते हैं। लाखों भक्त प्रतिवर्ष श्रद्धा भक्ति भाव से माता के दरबार में पहुंचते हैं, चौत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्रि में यहां पर मेले का आयोजन होता है। बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।
अगर आप अछरू माता के दरबार में जाना चाहते हैं तो सबसे करीबी बस अड्डा टीकमगढ़ ओरछा, झांसी, पृथ्वीपुर, रेलवे स्टेशन झांसी और टीकमगढ़ तथा हवाई अड्डा झांसी और ग्वालियर है।
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यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंतकथाओं, किंवदंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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(साई फीचर्स)