जानिए क्यों मनाया जाता है दीवाली के एक दिन पूर्व नरक चौदस का त्यौहार . . .
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माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कार्तिक मास की अमावस्या का बहुत ज्यादा महत्व होता है। सनातन हिंदू धर्म में दीवाली के त्योहार के साथ साथ इसकी पूजा विधि और उपाय भी उतने ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। धनतेरस से लेकर दीवाली के दिन तक मनाया जाने वाला पांच दिवसीय त्योहार का हर तरफ काफी जोश देखने को मिलता है। दीवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन दीपक जलाने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु और यातना से मुक्ति मिलती है। इससे व्यक्ति को नर्क की बजाय स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को काली चौदस का पर्व मनाया जाता है। दीवाली के पंच दिवस उत्सव का यह दूसरा दिन होता है। काली चौदस का पर्व भगवान विष्णु के नरकासुर पर विजय पाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है तथा इस पर्व का देवी काली के पूजन से गहरा संबंध है। तंत्रशास्त्र के अनुसार महाविद्याओं में देवी कालिका सर्वाेपरीय है। काली शब्द हिन्दी के शब्द काल से उत्पन्न हुआ है। जिसके अर्थ हैं समय, काला रंग, मृत्यु देव या मृत्यु। तंत्र के साधक महाकाली की साधना को सर्वाधिक प्रभावशाली मानते हैं और यह हर कार्य का तुरंत परिणाम देती है। साधना को सही तरीके से करने से साधकों को अष्टसिद्धि प्राप्त होती है।
काली चौदस के दिन कालिका के विशेष पूजन उपाय से लंबे समय से चल रही बीमारी दूर होती है। काले जादू के बुरे प्रभाव, बुरी आत्माओं से सुरक्षा मिलती है। कर्ज़ मुक्ति मिलती हैं। व्यापार की परेशानियां दूर होती हैं। दांपत्य जीवन से तनाव दूर होता हैं। यही नहीं काली चौदस के विशेष पूजन उपाय से शनि के प्रकोप से भी मुक्ति मिलती है।
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यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो आज रात्रि में पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीड़ित हो तो आज रात में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर काले धागे में पिरोकर उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेवन कराते रहें। इससे आपको लाभ मिलने की संभावनाएं प्रबल मानी जाती हैं।
काली मिर्च के पांच दाने सिर पर से 7 बार वारकर किसी सुनसान चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में एक एक दाना फेंक दे व पांचवे बचे काली मिर्च के दाने को आसमान की तरफ फेंक दें व बिना पीछे देखे या किसी से बात घर वापिस आ जाए। जल्दी ही पैसा मिलने की संभावनाएं प्रबल मानी जाती हैं।
निरन्तर अस्वस्थ्य रहने पर आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ व पिसी काली हल्दी को दबाकर खुद पर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। काली चौदस की रात काली मिर्च के 7 या 8 दाने लेकर उसे घर के किसी कोने में दिए में रखकर जला दें। घर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी।
अगर आपके बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इससे भी समस्या से राहत मिलने की संभावनाएं प्रबल मानी जाती हैं।
अब जानिए नरक चतुर्दशी पौराणिक कथा के बारे में,
छोटी दीवाली के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए छोटी दीवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्याेदय से पहले स्नान करने के बाद भगवान यमराज की विधि विधान से पूजा की जाती है। इसके बाद घर में दीपक जलाएं। इस उपाय को करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। ऐसा करने से जीवन की परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं। साथ ही व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।
नरक चतुर्दशी से जुड़ा मुख्य कारण भगवान श्री कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा द्वारा राक्षस नरकासुर का वध करना है। इसलिए, यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर पर विजय का स्मरण करता है। इस दिन, भक्त भगवान कृष्ण से आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं। वे तेल के दीपक जलाते हैं और सुबह जल्दी स्नान करते हैं। इसी तरह, इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर को हराना धर्म के रक्षक के रूप में उनकी भूमिका की याद दिलाता है। भगवान कृष्ण की पूजा करके, भक्त न्याय और सत्य के लिए खड़े होते हैं और उनके दिव्य हस्तक्षेप के लिए कृतज्ञता का अनुभव करते हैं, जो भक्तों के जीवन में प्रकाश और खुशी लाता है।
नरक चतुर्दशी पर करें ये उपाय,
इस दिन महिलाओं को यम के नाम पर 14 दीपक जलाने चाहिए। इन दीयों को अपने घर के बाहर रखें और आंगन में एक चौकी पर चावल और आटा बिछा दें। इसके बाद यमराज की पूजन करें और पूजा समाप्त करने के बाद जब वह महिला वापस लौटे, तो भूलकर भी उन दीपकों को पलट कर न देखें। ऐसा करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलती है।
नरक चतुर्दशी तिथि का शुभ मुहूर्त,
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग के आधार पर 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। साथ ही नरक चतुर्दशी की शाम को दीपदान किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस मौके पर दीपदान करना बहुत उत्तम माना जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाया जाता है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा।
नरक चतुर्दशी का महत्व जानिए,
मान्यता है कि नरक चतुर्दशी की रात को यम का दीपक जालने और मां महाकाली की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं। इस दिन प्रातः काल ब्रम्ह बेला में गंगाजल और अपामार्ग युक्त पानी से स्नान करने पर साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा नरक चतुर्दशी को यमदेव का दीपक जलाने से नरक के द्वार बंद कर देते हैं और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। हरि ओम,
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(साई फीचर्स)