उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस साल किस दिन रहेगा, 26 या 27 नवंबर को!
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
भगवान विष्णुजी की पूजा आराधना के लिए एकादशी व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि विष्णु जी की पूजा करने से साधक को सभी दुख कष्ट और पापों से छुटकारा मिलता है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को आरोग्यता, संतान सुख की प्राप्ति, मोक्ष और पापों से मुक्ति मिलती हैं और साधक पर प्रभु श्रीहरि विष्णुजी की आशीर्वाद बना रहता है।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार उत्पन्ना एकादशी की तिथि को लेकर लोगों में संशय दिख रहा है। कुछ लोग उत्पन्ना एकादशी 26 नवंबर की बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उत्पन्ना एकादशी व्रत 27 नवंबर को करने की बात कह रहे हैं।
जानिए उत्पन्ना एकादशी कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, 26 नवंबर 2024 को सुबह 1 बजकर 1 मिनट पर मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत होगी और अगले दिन 27 नवंबर 2024 को सुबह 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाना उचित बताया जा रहा है।
इस आलेख को वीडियो को साई न्यूज चेनल में देखने के लिए क्लिक कीजिए . . .
https://www.youtube.com/watch?v=Zgxkfhm__FE
अब जानिए उत्पन्ना एकादशी 2024 व्रत पारण समय
एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि में किया जाता है। उत्पन्ना एकादशी का पारण 27 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से लेकर 3 बजकर 18 मिनट के बीच कर सकते हैं। व्रत का पारण करने के बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करना चाहिए। मान्यता है कि दान करने से जातक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
इस दिन का पंचांग जानिए,
सूर्याेदय सुबह 6 बजकर 53 मिनट पर, सूर्यास्त शाम 5 बजकर 24 मिनट पर, चन्द्रोदय सुबह 3 बजकर 13 मिनट से, चन्द्रास्त दोपहर 2 बजकर 26 मिनट पर, ब्रम्ह मुहूर्त सुबह 5 बजकर 5 मिनट से 5 बजकर 59 मिनट तक, विजय मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 21 मिनट से 5 बजकर 49 मिनट तक, निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा अब आपको अशुभ समय के बारे में बताते हैं, राहुकाल दोपहर 2 बजकर 46 मिनट से 4 बजकर 5 मिनट तक एवं गुलिक काल दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
उत्पन्ना एकादशी की कथा जानिए,
जानकार विद्वानों के अनुसार पौराणिक कथाओं के अनुसार, विष्णुजी के शरीर से ही देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी। विष्णुजी योग निद्रा में सो रहे थे, दैत्य मुर उन पर आक्रमण ही करने वाला था, उसी समय विष्णुजी के शरीर से एक दिव्य स्वरूप वाली देवी प्रकट हुईं। उन्होंने युद्ध में राक्षस मुर का वध कर दिया था। जिससे प्रसन्न होकर देवी को एकादशी का नाम दिया था और वरदान दिया था कि एकादशी देवी की पूजा करने से सुख सौभाग्य में वृद्धि होगी। इसलिए उत्पन्ना एकादशी के दिन प्रभु श्रीहरि विष्णुजी के साथ देवी एकादशी की भी पूजा अर्चना का महत्वपूर्ण मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत पूजन से व्यक्ति को सभी सुखों और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जानिए क्यों खास है उत्पन्ना एकादशी?
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार हर माह दो एकादशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल कृष्ण पक्ष में। सभी धर्मों के नियम भी अलग अलग होते हैं। खास कर हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए। इन दिनों कुछ चीजों को सेवन निषेध माना गया है। आइए जानते हैं कि क्या निषेध माना गया है,
एकादशी के दिन यथाशक्ति अन्न दान करें, किंतु स्वयं किसी अन्य का दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें। किसी कारणवश निराहार रहकर व्रत करना संभव न हो तो एक बार भोजन करें। इस दिन दूध या जल का सेवन कर सकते है। एकादशी व्रत में शकरकंद, कुद्दू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं।
एकादशी का उपवास रखने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन प्रातः लकड़ी का दातुन न करें। इस दिन वृक्ष से पत्ता तोड़ना वर्जित है। अतः स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें। यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें।
एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी पर श्री विष्णु की पूजा में मीठा पान चढ़ाया जाता है, लेकिन इस दिन पान खाना भी वर्जित है। फलों में केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें। सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन किया जा सकता है। एकादशी तिथि पर जौ, बैंगन और सेमफली नहीं खानी चाहिए। इस व्रत में सात्विक भोजन करें। मांस मदिरा या अन्य कोई भी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करें। प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसी दल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।
पूजा अनुष्ठान हेतु उत्पन्ना एकादशी पर क्या करें?
उत्पन्ना एकादशी के अनुष्ठानों का विवरण प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है और कहा जाता है कि इन्हें भगवान शिव ने निर्दिष्ट किया था। भगवान श्री कृष्ण महाभारत के पांडव भाइयों में से एक युधिष्ठिर के प्रश्न का उत्तर देते समय अनुष्ठान के बारे में बताया कि,
उत्पन्ना एकादशी से एक दिन पहले, जो कृष्ण पक्ष की 10वीं तिथि है, व्यक्ति को दोपहर में अपने दांतों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए और सूर्यास्त के समय भोजन करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी के दिन प्रातःकाल व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। व्रती को नदी (जो सबसे पवित्र मानी जाती है) या सरोवर में स्नान करना चाहिए, और यदि दोनों उपलब्ध न हों तो तालाब के जल में स्नान करना चाहिए।
स्नान करते समय व्यक्ति को अपने शरीर पर मिट्टी मलते हुए धरती माता से प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना हे अश्वक्रांते! हे रथक्रांते! हे विष्णुक्रांते! हे वसुंधरे! हे मृत्तिके! अर्थात हे धरती माता! कृपया मेरे पिछले जन्मों के सभी संचित पापों को दूर करें ताकि मैं परम भगवान भगवान विष्णु के धाम में प्रवेश कर सकूं।
पूर्ण समर्पण के साथ भगवान गोविंदा की पूजा करें और फूलों और अन्य चीजों के साथ एक उत्कृष्ट भोग (ईश्वर को भोजन) अर्पित करें। भगवान के सम्मान में घर पर एक दीपक जलाएं, भगवान विष्णु का भजन गाएं या स्तुति करें, पूरे दिन भगवान विष्णु की स्तुति का जप या गायन करें और व्रत के दौरान परम आनंदित रहें।
पूरी रात पूरी चेतना के साथ जागते रहें। हो सके तो भगवान को प्रसन्न करने के लिए रात भर वाद्य यंत्र बजाते रहें। अगली सुबह व्यक्ति को ब्राह्मणों को दान देना चाहिए और उनसे आदरपूर्वक किसी भी अपराध के लिए क्षमा मांगनी चाहिए। जो लोग अगले दिन तक पूर्ण उपवास रखते हैं, उन्हें प्रार्थना करनी चाहिए हे पुण्डरीकाक्ष, हे कमलनेत्र भगवान, अब मैं भोजन करूंगा। कृपया मुझे आश्रय दें।
पूजा के बाद भगवान विष्णु के चरण कमलों पर पुष्प और जल अर्पित करें तथा भगवान से भोजन करने का निवेदन करते हुए अष्टाक्षर मंत्र का तीन बार उच्चारण करें। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भगवान को अर्पित किया गया जल ग्रहण करना चाहिए। यदि भक्त चाहें तो अग्नि यज्ञ किया जा सकता है। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंत कथाओं, किंव दंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा ना मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
अगर आपको समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में खबरें आदि पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईक, शेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम नई जानकारी लेकर फिर हाजिर होंगे तब तक के लिए इजाजत दीजिए, जय हिंद, . . .
(साई फीचर्स)
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.