परिवहन के दौरान वाहन में ताला नहीं लगाने से 12 चीतल कैसे हो गए गायब!

छपारा में शिकारियों के पास से पकड़े गए पैंगोलिन को लगा था जीपीएस!
(लिमटी खरे)


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही सरकारी सिस्टम में कसावट की कवायद डेढ़ दशक से अधिक समय से कर रहे हों, पर कसावट महसूस नहीं हो पा रही है। अफसरशाही के बेलगाम घोड़े दौड़ते ही नजर आ रहे हैं। हाल ही में सिवनी जिले में वन विभाग के दो घटनाक्रम भी चर्चाओं में हैं।
पहला घटनाक्रम पेंच नेशनल पार्क से कूनो पार्क में आयतित चीतों की खुराक के लिए चीतलों की संख्या बढ़ाने के लिए चीतलों का परिवहन लगातार ही किया जा रहा है। इस दौरान हाल ही में 12 चीतल भाग जाने की खबर से वनाधिकारियों के हाथ पैर फूलना स्वाभाविक ही है।
पेंच नेशनल पार्क के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जब भी किसी जानवर का परिवहन एक स्थान से दूसरे स्थान पर किया जाता है तब इनका परिवहन एक विशेष वाहन में किया जाता है। इस विशेष वाहन के आगे एक पायलटिंग करता हुआ चार पहिया वाहन चलता है और पीछे एक फालो वाहन चलता है।
सूत्रों ने बताया कि दो विशेष वाहनों में 66 चीतल का परिवहन किया जा रहा था। इसमें से एक वाहन में 40 चीतल थे जो सभी सकुशल गंतव्य तक पहुंच गए थे। दूसरे वाहन में 26 चीतल भरे थे, जिनमें से गंतव्य पर महज 14 चीतल ही पहुंचे, शेष 12 चीतल रास्ते में ही फरार हो गए।
देखा जाए तो यह पूरा घटनाक्रम जिस तरह का बताया जा रहा है वह घटनाक्रम सत्तर अस्सी के दशक के सिनेमा का घटनाक्रम ही प्रतीत होता है, जिसमें खूंखार विलेन को पुलिस की सुरक्षा में विशेष वाहन से ले जाया जाता है और इस वाहन के आगे एक पायलटिंग वाहन और एक पीछे फालो वाहन रहता था, फिर भी अचानक ही रास्ते में धुंआ किया जाकर विलेन भागने में सफल हो जाता था।
सिवनी से कूनो न तो विलेन जा रहा था न ही रास्ते में कहीं धुंआ ही हुआ। इसमें चीतल जा रहे थे, जिनमें शायद ही इतना इल्म हो कि वाहन का गेट किस तरह खोलना है और पीछे वाले फालो वाहन को किस तरह चकमा देकर वहां से भागना है! इसके बाद भी अगर चीतल गायब हुए हैं तो यह अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
सवाल यही उठता है कि विशेष वाहन जिसमें चीतल थे, उस वाहन में क्या ताला लगा हुआ था! अगर हां तो ताला खुला कैसे? और अगर नहीं तो ताला क्यों नहीं लगाया गया? वन विभाग में वन्य जीवों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवहन किए जाने के लिए दिशा निर्देश क्या हैं! अगर ताला लगाकर परिवहन के निर्देश हैं और बिना ताला लगाए परिवहन हो रहा था तो इसके लिए क्षेत्र संचालक भी उतने ही जवाबदेह हैं, जितना कि वह वनकर्मी जिसे निलंबित किया गया है!
कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि इस घटना के उपरांत विशेष वाहन में ताला लगाने के निर्देश भी बाकायदा जारी कर दिए गए हैं। एक तरफ तो करोड़ों अरबों रूपए पेंच नेशनल पार्क को संरक्षित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा दिए जा रहे हैं, पर इस राशि का क्या उपयोग हो रहा है यह देखने सुनने की फुर्सत किसी को भी नहीं है। विभागीय सूत्रों के अनुसार फर्जी बिल वाऊचर के जरिए राशि डकारी भी जा रही है। इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से वह भी विभिन्न पहलुओं के मद्देनजर कराए जाने की महती जरूरत महसूस हो रही है।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि यहां दूसरी घटना पेंगोलिन के शिकारियों की प्रकाश में आई है। वन वृत्त सिवनी के उड़न दस्ता के द्वारा छपारा के पास से पांच आरोपियों को पैंगोलिन बेचने की फिराक में पकड़ा है। इनके पास से 03 मोटर सायकल भी जप्त की है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो जप्त किए गए पैंगोलिन की पीठ पर एक निशान मिला है। यह निशान ठीक उसी तरह का माना जा रहा है जिस तरह का निशान किसी वन्य जीव में कॉलर या जीपीएस लगाते समय होता है। इस निशान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि जप्त किया गया पैंगोलिन वही पैंगोलिन हो सकता है जिसे पहले वन विभाग के द्वारा जीपीएस लगाकर पेंच नेशनल पार्क के क्षेत्र में छोड़ा गया था। पेंच नेशनल पार्क प्रबंधन भी इस मामले को शायद हल्के रूप में ही ले रहा है। अन्यथा अब तक इस बात की पतासाजी आरंभ करा दी गई होती कि आखिर जीपीएस लगाया गया पैंगोलिन किस स्थान पर है!
कुल मिलाकर ये दोनों घटनाएं इस ओर इशारा कर रही हैं कि वन विभाग में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। दो सांसद और चार विधायकों वाले सिवनी जिले में वन तस्करों की पदचाप आज से नहीं वरन उस वक्त (अस्सी के दशक) से मानी जाती रही है जब कटंगी रोड स्थित चंदन बगीचा पूरे शवाब पर होता था। इसके बावजूद भी अब तक इन घटनाओं में सांसदों और विधायकों का मौन आश्चर्य का ही विषय है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष में बैठी कांग्रेस सदा की भांति स्थानीय मामले में मौन ही नजर आ रही है।
इस मामले में मुख्य वन संरक्षक एस.के. उद्दे ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि हो सकता है जप्त किया गया पैंगुलिन वही हो जिसमें जीपीएस लगा हो और उसका जीपीएस कहीं गिर गया हो। उन्होंने कहा कि इस बारे में पेंच नेशनल पार्क ही वास्तविक स्थिति बता सकता है क्योंकि जीपीएस भी उनके द्वारा लगाया गया और छोड़ा भी उनके द्वारा ही गया था।
वहीं, जब इस मामले में पेंच नेशनल पार्क के क्षेत्र संचालक देवेंद्र प्रसाद जे. को फोन लगाया गया तो पहले तो उन्होंने मोबाईल नहीं उठाया, बाद में जब उनका फोन आया तब उनसे जानकारी चाही गई तो उन्होंने कहा कि वे एक वीडियो कांफ्रेंस में व्यस्त हैं, बाद में बात करेंगे। सवाल यही है कि जब वे वीसी में व्यस्त थे तो कॉल बैक तभी किया जाना चाहिए था जब वे वीसी से फारिग हो जाते। इसके बाद शाम तक उनका मोबाईल आऊट ऑफ कव्हरेज ऐरिया ही बताता रहा।
(साई फीचर्स)