पौष माह की अमावस्या पड़ रही है विशेष योगों के साथ, जानिए अमावस्या के बारे में विस्तार से . . .

जानिए इस साल की अंतिम अमावस्या कौन सी और कब पड़ने वाली है . . .
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पौष अमावस्या इस साल की अंतिम अमावस्या है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को पौष अमावस्या मनाई जाती है। इस बार पौष अमावस्या के दिन ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसमें आप जो भी कार्य करेंगे, उसके फल में बढ़ोत्तरी ही होनी है। इस दिन पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण से मुक्ति के उपाय करते हैं। इस दिन आप पवित्र नदियों में स्नान करें और उसके बाद दान, पूजा पाठ करके पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पौष अमावस्या, जिसे हिंदू महीने पौष की अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखती है। यह विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करने और ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। इस साल की अंतिम अमावस्या सोमवार को पड़ रही है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
पौष अमावस्या 2024 को हिंदू पौराणिक कथाओं में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे अपार आध्यात्मिक शक्ति का दिन माना जाता है। यह दिन पूर्वजों का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित है। पौष अमावस्या पर अनुष्ठान और प्रार्थना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
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पौष अमावस्या क्यों महत्वपूर्ण दिन है यह जानिए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देने और अपने वंशजों से शांति और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए धरती पर आते हैं। इस दिन दान पुण्य और अच्छे कर्म करने से पितृ दोष और कालसर्प दोष जैसे कर्म दोषों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अपने पूर्वजों का सम्मान करने से हम उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त हो सकते हैं। पौष का महीना सूर्य और हमारे पूर्वजों की पूजा के लिए पवित्र माना जाता है। इस दिन प्रार्थना करने, श्राद्ध कर्म करने और जरूरतमंदों को दान देने से हमारे पूर्वजों को शांति और संतुष्टि मिलती है और अंततः उन्हें मोक्ष (मुक्ति) की ओर ले जाया जाता है।
इसके अलावा, भक्त इस दिन भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद भी लेते हैं और पवित्र ग्रंथ भगवद गीता के श्लोकों का पाठ करते हैं। भगवान कृष्ण की पूजा करके और उनकी शिक्षाओं का पालन करके आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है और एक पुण्य जीवन जीया जा सकता है।
जानिए कब है पौष अमावस्या 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष अमावस्या 30 दिसंबर दिन सोमवार को है। पौष अमावस्या की तिथि 30 दिसंबर को प्रातः 4 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 31 दिसंबर को तड़के 3 बजकर 56 पर खत्म होगी। पौष अमावस्या का सूर्याेदय 30 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 13 मिनिट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार पौष अमावस्या तिथि 30 दिसंबर 2024 को मनाया जाना शुभ है।
सोमवती अमावस्या 2024 स्नान दान मुहूर्त जानिए,
पंचांग के अनुसार, पौष अमावस्या यानी सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान करने के लिए ब्रम्ह मुहूर्त सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। अमावस्या के दिन स्नान दान करने के लिए यह मुहूर्त सबसे उत्तम रहेगा। इसके बाद इन दोनों मुहूर्त में भी स्नान दान किया जा सकता है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। वृद्धि योग सुबह से लेकर रात 8 बजकर 32 मिनट तक है।
दुर्लभ संयोग में पौष अमावस्या मनेगी इस बार,
30 दिसंबर को पौष अमावस्या के अवसर पर सोमवार दिन और वृद्धि योग का दुर्लभ योग बन रहा है। सोमवार होने से यह सोमवती अमावस्या है, जिसमें शिव और शक्ति की कृपा प्राप्त होती है। उस दिन वृद्धि योग प्रातःकाल से रात 8 बजकर 32 मिनट तक है। वृद्धि योग शुभ योगों में से एक है। इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसमें सफलता प्राप्त होगी और उसके फल में बढ़ोत्तरी ही होनी है।
वृद्धि योग का महत्व जानिए,
इस योग के नाम से ही आप जान सकते हैं कि यह वृद्धि करने वाला योग है। वृद्धि योग में आप जो भी काम करेंगे, वह बिना किसी विघ्न और बाधा के सफल होगा। वृद्धि योग में कोई भी नया कार्य या बिजनेस शुरू करना उत्तम होता है क्योंकि उसमें सफलता मिलती है और उसमें हमेशा बढ़ोत्तरी होती है।
पौष अमावस्या पर वृद्धि योग क्यों है विशेष यह जानिए?
पौष अमावस्या के दिन वृद्धि योग में आप अपने पितरों के लिए तर्पण करेंगे, पिंडदान या श्राद्ध कर्म करेंगे तो वे तृप्त होंगे। उससे मिलने वाले पुण्य और आशीर्वाद में बढ़ोत्तरी होगी। यह आपके उन्नति में सहायक होगा।
पौष अमावस्या पर वृद्धि योग में दान करने से पितर, देव और ऋषि तीनों ही प्रसन्न होंगे। आपके पुण्य फल में बढ़ोत्तरी होगी। जो भी सदकर्म करेंगे, उसका फल आपको बढ़कर ही प्राप्त होगा। अन्न और वस्त्र का दान आपको पितृ, ऋषि और देव तीनों ऋणों से मुक्ति प्रदान कर देगा।
पौष अमावस्या महत्व जानिए,
हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों के लिए प्रार्थना और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। पौष माह में होने के कारण इस अमावस्या को विशेष रूप से शुभ और लाभकारी माना जाता है। आज के दिन लोग मुख्य रूप से भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा और प्रार्थना करते हैं। कई लोग अपने पूर्वजों के नाम पर व्रत रखते हैं और स्नान, पूजा, श्राद्ध और दान जैसे अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन ये धार्मिक कार्य करने से अधिक आध्यात्मिक फल मिलता है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और पैसे दान करने से भी अज्ञात पापों से मुक्ति मिलती है। पौष अमावस्या पर की गई पूजा और दान जीवन के संघर्षों को कम करने और मोक्ष दिलाने में मदद करते हैं।
जानिए, अनुष्ठान या पौष अमावस्या पूजा विधि,
पौष अमावस्या के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करना बहुत ज़रूरी है। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। नहाने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएँ। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।इस दिन विधि विधान से भगवान शंकर की पूजा अर्चना भी करें।
पौष अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा बहुत श्रद्धा से की जाती है। अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो आप उनकी पूजा कर सकते हैं और उन्हें पीले फूल, मिठाई और कपड़े चढ़ा सकते हैं। माना जाता है कि पौष अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से आशीर्वाद और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसे अपने अनुष्ठानों में ज़रूर शामिल करें। सभी अनुष्ठान और प्रार्थनाएँ पूरी करने के बाद अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देना न भूलें। उन्हें भोजन, जल और प्रार्थना अर्पित करें और उनका आशीर्वाद लें।
जानिए, पौष अमावस्या 2024 के लिए क्या करें और क्या न करेंः
साल 2024 की आखिरी अमावस्या के दिन जरूर करें ये काम,
अमावस्या के दिन गंगा नदी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान दान जरूर करें।
अमावस्या के दिन गरीब और जरूरतमंद को भोजन कराएं।
अमावस्या के दिन दूध, दही, काला तिल, चीनी और कपड़े का दान करें।
अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। ऐसा करने से घर में धन धान्य में वृद्धि होती है।
सोमवती अमावस्या के दिन ईशान कोण में घी का दीया जलाएं। इससे देवी देवता प्रसन्न होते हैं।
अमावस्या के दिन सूर्य देव तांबे के लोटे में जल और काला तिलकर रखकर जल अर्पित करें।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितरों के नाम का दीया भी जलाएं। साथ ही पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करें।
अमावस्या के दिन व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है।
इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा करने से आशीर्वाद और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर दान पुण्य करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन बड़ों और दादा दादी से आशीर्वाद लें।
अब जानिए इस दिन क्या न करें,
अमावस्या के दिन कोई भी नया या आवश्यक कार्य शुरू करने से बचें।
इस दिन तुलसी या बरगद के पत्ते न तोड़ें।
मांस, मछली, अंडे, लहसुन और प्याज जैसे मांसाहारी खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।
इस दिन किसी भी तरह के वाद विवाद या विवाद से बचें। हरि ओम,
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PREETI BHOSLE

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