आमलकी एकादशी तिथि कब से कब तक, पूजा मुहूर्त, आमलकी एकादशी का महत्व

जानिए आंवला एकादशी व्रत रखने से जीवन में कौन सी परेशानियों से मिलती है निजात . . .
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आमलकी या आंवला एकादशी इस बार 10 मार्च को है। होली और महाशिवरात्रि के बीच में पड़ने वाली इस एकादशी को आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। फाल्घ्गुन मास के शुक्घ्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्घ्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा और उसका इस्तेमाल खास तरीके से किया जाता है। यह व्रत उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए माना जाता है। इस दिन मंदिर में आंवला का पेड़ लगाना भी शुभ होता है। मान्यता है कि आंवले के वृक्ष की पूजा और उसका सेवन करने से अच्छा स्वास्थ्य और भाग्य मिलता है। आइए आपको बताते हैं इस दिन का खास महत्घ्व, पूजाविधि और पूजा का शुभ मुहूर्त कब से कब तक है।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
जानिए आमलकी एकादशी तिथि कब से कब तक रहेगी,
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आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को है। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी 9 मार्च, रविवार सुबह 7 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 10 मार्च, सोमवार सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, आमलकी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी। आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा।
आमलकी एकादशी 2025 के शुभ संयोग जानिए,
जानकार विद्वानों के अनुसार इस साल आमलकी एकादशी पर तीन शुभ योग बनने वाले हैं,
इसमें सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 36 मिनिट से लेकर देर रात 12 बजकर 51 मिनिट तक रहेगा।
इस दिन शोभन योग प्रातः आरंभ होकर दोपहर 1 बजकर 57 मिनिट तक रहेगा, एवं
पुष्य नक्षत्र यह पूरे दिन प्रभावी रहेगा और देर रात 12 बजकर 51 मिनिट पर समाप्त होगा।
आमलकी एकादशी 2025 का पूजा मुहूर्त जानिए,
ब्रम्ह मुहूर्त में पूजन महूर्त मुंह अंधेरे सुबह 4 बजकर 59 मिनिट से 5 बजकर 48 मिनिट तक,
अभिजीत मुहूर्त रहेगा दोपहर 12 बजकर 8 मिनिट से 12 बजकर 55 मिनिट तक, एवं,
सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 36 मिनिट से प्रारंभ होगा, इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त में पूजा करना शुभ माना जाता है क्योंकि इस समय शोभन योग भी रहेगा।
आमलकी एकादशी व्रत पारण का समय जानिए,
इस वर्ष व्रत का पारण 11 मार्च 2025 को सुबह 6 बजकर 35 मिनिट से 8 बजकर 13 मिनिट के बीच किया जाएगा। द्वादशी तिथि का समापन उसी दिन सुबह 8 बजकर 13 मिनिट होगा।
आमलकी एकादशी का महत्व जानिए,
आमलकी एकादशी का व्रत करने से कई फायदे मिलते हैं। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, यह व्रत सैकड़ों तीर्थयात्राओं और यज्ञों के बराबर पुण्य देता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष मिलता है। इससे जीवन के दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। यह व्रत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और साथ ही करियर कारोबार में आगे बढ़ने के प्रयासों को सफलता मिलती है।
आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी क्यों कहते हैं, यह जानिए,
आमलकी एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहते हैं और इस दिन से रंग खेलने का सिलसिला आरंभ हो जाता है। काशी में रंगभरी एकादशी धूमधाम से मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे। रंगभरी एकादशी पर भक्त शिव जी पर रंग, अबीर और गुलाल उड़ाकर खुशी मनाते हैं। इस दिन से काशी में छह दिन तक रंग खेलने की परंपरा शुरू होती है। मान्यता है कि शिव जी पर गुलाल चढ़ाने से जीवन सुखमय होता है। रंगभरी एकादशी का त्योहार शिव और पार्वती के काशी आगमन का प्रतीक है। इसे काशी की संस्कृति का हिस्सा माना जाता है।
जानिए इस दिन आंवला एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा के लिए सामग्री के बारे में,
आंवले का फल, फल और फूल, धूप, दीपक और घी, अनाज, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चंदन, नारियल, मिठाई, दान सामग्री, कच्चा सूत या मौली, दूध और जल आदि को ले लें।
आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा विधि
आमलकी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करें। आंवले के पेड़ को जल, फूल, फल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें। मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की कथा सुनें। आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान दें। व्रत के दिन उपवास रखें और केवल फल और दूध का सेवन करें। अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करें। आमलकी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें। प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
रंगभरी एकादशी के दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान शिव को लाल गुलाल अर्पित किया जाता है, जो उनके उग्र स्वरूप का प्रतीक है। माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। रात में जागरण और भजन-कीर्तन से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों वाला दीपक जलाकर रात भर रखने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा के नियम जानिए,
सबसे पहले, आंवले के पेड़ के आसपास की जगह को साफ करें। फिर, उस जगह को गाय के गोबर से पवित्र करें। इस दिन मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन न करें। व्रत के दिन फलाहार खाएं। शाम को बिना पूजा किए फलाहार न खाएं। अगले दिन पूजा के बाद व्रत खोलें। इस दिन आंवले से संबंधित चीजों को पूजा-पाठ में शामिल करें। इससे भाग्योदय हो सकता है।
आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा का महत्व जानिए,
आमलकी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। आंवले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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श्वेता यादव

कर्नाटक की राजधानी बंग्लुरू में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो के रूप में कार्यरत श्वेता यादव ने नई दिल्ली के एक ख्यातिलब्ध मास कम्यूनिकेशन इंस्टीट्यूट से पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि लेने के बाद वे पिछले लगभग 15 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.