जानिए वैशाख के महीने के महत्व को विस्तार से . . .

वैशाख या माधव महीना में स्नान, दान, ध्यान आदि का होता है बहुत ज्यादा महत्व . . .
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वैशाख माह, जिसे माधव महीना के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार दूसरा महीना है। इसे भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है और इस महीने में स्नान, दान, और धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। आज के युग में जहाँ भौतिकता की अंधी दौड़ है, वहां वैशाख महीना आत्मशुद्धि का अवसर देता है। यह महीना मनुष्य को स्मरण कराता है कि जीवन केवल उपभोग के लिए नहीं, अपितु सेवा, त्याग और साधना के लिए भी है। यह समाज को यह सिखाता है कि दूसरों की सेवा और प्रकृति के संरक्षण से ही स्थायी सुख और संतुलन पाया जा सकता है।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
वैशाख महीना केवल एक कालखंड नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति, सामाजिक सेवा, पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक साधना का एक समर्पित काल है। इसमें किए गए शुभ कार्य, व्रत, जप, तप, दान और सेवा के माध्यम से व्यक्ति जीवन की वास्तविक पूर्ति की ओर अग्रसर होता है। यह महीना हमें आत्मा की शुद्धि और परमात्मा की ओर जाने का मार्ग प्रदान करता है।
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जानकार विद्वानों के अनुसार इस माह में भगवान विष्णु जी की विशेष कृपा बरसती है,
स्कंद पुराण के अनुसार, वैशाख महीना में भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। जो व्यक्ति इस महीने में सूर्याेदय से पहले स्नान करता है, दान देता है, और व्रत रखता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी सुखों की प्राप्ति होती है। वैशाख माह में भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। वैशाख माह में गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है, ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस महीने में दान-पुण्य का विशेष महत्व है, जो व्यक्ति इस महीने में दान करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। वैशाख माह में विभिन्न व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कि वैशाख एकादशी, अक्षय तृतीया आदि। वैशाख माह को शुभ कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है, जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश आदि, यह हिन्दू पंचांग में विशेष स्थान रखने वाला माह माना जाता है।
आईए जानते हैं वैशाख महीना का परिचय क्या है,
वैशाख महीना हिन्दू पंचांग का दूसरा महीना है जो चैत्र महीना के बाद आता है। यह सामान्यतः अप्रैल एवं मई के मध्य आता है। इस महीना की पूर्णिमा को विशेष महत्व प्राप्त है क्योंकि इसे वैशाखी पूर्णिमा कहा जाता है और यह बुद्ध पूर्णिमा भी कहलाती है। वैशाख महीना का वर्णन पुराणों विशेषतः स्कंद पुराण, पद्म पुराण, विष्णु धर्माेत्तर पुराण आदि में किया गया है।
वैशाख महीना का काल निर्धारण कैसे होता है यह जानिए,
वैशाख महीना हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमांत एवं अमावस्यांत दोनों ही गणनाओं में आता है। पूर्णिमांत पंचांग का अनुसरण करने वाले क्षेत्रों में यह महीना चैत्र पूर्णिमा के अगले दिन से प्रारंभ होकर वैशाख पूर्णिमा तक चलता है। वहीं अमावस्यांत पंचांग (जो प्रायः दक्षिण भारत में प्रचलित है) के अनुसार यह महीना चैत्र अमावस्या के बाद से शुरू होकर वैशाख अमावस्या तक चलता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह महीना सामान्यतः अप्रैल एवं मई के मध्य आता है।
वैशाख महीना की धार्मिक मान्यताओं को जानिए,
वैशाख को सभी महीनाों में श्रेष्ठ माना गया है, हिन्दू धर्मग्रंथों में वैशाख महीना को समस्त महीनों में श्रेष्ठ कहा गया है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि,
महीनाानां वैशाखः श्रेष्ठो इसका अर्थ है कि अर्थात् महीनाों में वैशाख श्रेष्ठ है क्योंकि इसमें किया गया प्रत्येक पुण्यकर्म सौगुना फलदायी होता है।
पुण्यकारी स्नान इस माह में किया जाता है, वैशाख महीना में प्रातःकाल तीर्थों, नदियों अथवा किसी भी शुद्ध जल स्रोत में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। विशेषतः गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस महीना में सूर्याेदय से पूर्व स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैशाख महीना को स्नानदान महायज्ञ का महीना कहा गया है। इस महीना में विशेष रूप से ब्रम्हमुहूर्त में पवित्र नदियों दृ जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा आदि में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि वैशाख महीना में सूर्याेदय से पूर्व स्नान करने से मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और वह विष्णुलोक की प्राप्ति करता है।
इस महीना में भगवान मधुसूदन की उपासना की जाती है, इस महीना में भगवान विष्णु के मधुसूदन स्वरूप की पूजा की जाती है। इस काल में विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ, भागवत कथा आदि का श्रवण वाचन अत्यंत पुण्यकारी होता है।
इस माह में दान और सेवा का महत्व बहुत ज्यादा माना गया है, इस महीना में अन्न, जल, वस्त्र, छाता, जूते, पंखा, गौ, सुवर्ण, ताम्रपात्र, शीतल जल, शर्बत आदि का दान विशेष पुण्यकारी माना गया है। जल से भरे घड़े का दान अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसे घटदान कहा जाता है।
इस महीने का धार्मिक महत्व जानिए,
इस माह के व्रत एवं उपवास के बारे में जानिए,
वैशाख महीना में एकादशी, अक्षय तृतीया, नारद जयंती, परशुराम जयंती आदि अनेक पर्व आते हैं। इन दिनों व्रत-उपवास करके भगवान विष्णु का पूजन विशेष फलदायी होता है।
इस महीने में तुलसी और पीपल की पूजा की जाती है, वैशाख महीना में तुलसी एवं पीपल वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करना विशेष पुण्यकारी होता है। पीपल वृक्ष में ब्रम्हा, विष्णु और शिव तीनों की उपस्थिति मानी जाती है।
वैशाख महीना में किए जाने वाले प्रमुख कार्य जानिए,
वैशाख के महीने में जिन कामों को किया जाना चाहिए उसके बारे में जानकार बताते हैं कि ब्रम्हमुहूर्त में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस महीना में ब्रम्हमुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। यह पापनाशक और पुण्यवर्धक माना गया है।
तुलसी एवं पीपल की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। दीपदान करने से घर में शांति रहती है। विशेष रूप से तुलसी, मंदिर या नदी के तट पर दीपक जलाकर दान करना शुभ होता है। इसके अलावा अन्न, जल, वस्त्र दान करने से पुण्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस महीने एकादशी, अक्षय तृतीया व्रत करने से चिरंजीवी होने के फल की प्राप्ति होती है। भागवत, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होती है। गौ सेवा करने से पुण्यवृद्धि होती है।
इस महीने में जल दान की परंपरा है, मिट्टी के घड़े में शीतल जल भरकर राहगीरों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर रखना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। इस कृत्य को प्याऊ सेवा कहा जाता है।
इस महीने में व्रत-उपवास विशेष फलदायी होते हैं। विशेषकर एकादशी, अक्षय तृतीया, पूर्णिमा आदि व्रतों का पालन कर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।
इस महीने में धार्मिक कथा-श्रवण करना चाहिए, भगवत कथा, श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भागवत, विष्णु सहस्रनाम आदि ग्रंथों का पाठ या श्रवण इस महीना में करना विशेष पुण्यदायक है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से वैशाख माह महत्व जानिए,
वैशाख महीना मन और आत्मा की शुद्धि का काल है। यह समय साधना, तपस्या और आत्मनिरीक्षण के लिए उपयुक्त है। इस महीना में प्रातःकालीन ध्यान, जप और कीर्तन मन को निर्मल करता है। कहा गया है कि,
वैशाखे मासि स्नानेन सर्वतीर्थफलं लभेत, इसका अर्थ होता है कि वैशाख महीना में स्नान करने से सभी तीर्थों के स्नान का फल प्राप्त होता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से वैशाख महीना का महत्व जानिए,
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वैशाख महीना में सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करता है, जो स्थिरता और भौतिक समृद्धि का प्रतीक है। इस महीना में ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है कि मनुष्य का मानसिक और आध्यात्मिक विकास सुगमता से हो सकता है। शनि, बृहस्पति, शुक्र जैसे ग्रह इस समय कुछ महत्वपूर्ण राशियों में रहते हैं, जिससे कुछ विशिष्ट योग बनते हैं। इस महीना में उपाय करने से रोग, दरिद्रता और शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व जानिए,
सबसे पहले जानते हैं पर्यावरण संरक्षण के बारे में, इस महीना में वृक्षारोपण, पीपल और तुलसी की पूजा के माध्यम से प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया गया है। जल का महत्व बढ़ जाता है और लोग प्याऊ लगवाते हैं, जिससे सार्वजनिक सेवा की भावना को बढ़ावा मिलता है।
इस महीने में सामूहिक पर्व आयोजन किया जाता है, अक्षय तृतीया के दिन विवाह, उपनयन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य सम्पन्न किए जाते हैं, जिससे सामाजिक एकता और समरसता में वृद्धि होती है।
इस माह प्यासों के लिए जलसेवा होता है पुण्य का काम, गर्मी के कारण इस महीना में यात्रियों और पशु-पक्षियों की प्यास बुझाने हेतु जगह-जगह मटके, छायादार स्थल और जल वितरण की व्यवस्था की जाती है।
वैज्ञानिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से वैशाख महीना क्या है यह जानिए,
वैशाख महीना का संबंध वसंत ऋतु के अंतिम चरण और ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ से है। इस समय शरीर में गर्मी और पित्त का प्रकोप बढ़ जाता है। ऐसे में जल का अधिक सेवन, सात्विक भोजन और संयमित दिनचर्या स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। जल दान और प्याऊ सेवा से समाज में सहानुभूति, सेवा-भाव और दया का विकास होता है। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
यहां बताए गए उपाय, लाभ, सलाह और कथन आदि सिर्फ मान्यता और जानकारियों पर आधारित हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि किसी भी मान्यता या जानकारी की समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है। यहां दी गई जानकारी में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, दंत कथाओं, किंव दंतियों आदि से संग्रहित की गई हैं। आपसे अनुरोध है कि इस वीडियो या आलेख को अंतिम सत्य अथवा दावा ना मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया पूरी तरह से अंधविश्वास के खिलाफ है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
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