जानिए क्यों मनाया जाता है प्रकाश पर्व, गुरू गोविंद सिंह जी के बारे में जानिए विस्तार से . . .

सिख धर्म का एक महान व उल्लासयुक्त उत्सव माना जाता है प्रकाश पर्व को . . .
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सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है प्रकाश पर्व। यह पर्व गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व सिखों के लिए आध्यात्मिक जागरण और एकता का प्रतीक है। प्रकाश पर्व को गुरूपर्व या गुरु नानक जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
प्रकाश पर्व का इतिहास जानिए,
गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने सिख धर्म की नींव रखी और सत्य, करुणा और सेवा के मार्ग पर चलने का उपदेश दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी, दसवें और अंतिम सिख गुरु थे, जिनका जन्म 5 जनवरी, 1666 को पटना साहिब में हुआ था। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और सिखों को एक सैन्य संगठन के रूप में संगठित किया।
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प्रकाश पर्व सिख धर्म में मनाया जाता है। सिख धर्म में 10 धर्म गुरु हुए हैं। सिख धर्म में नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मोत्सव को प्रकाश पर्व या प्रकाश उत्सव के रुप में मनाया जाता है। इस दिन को सिख धर्म में लोग हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं और नगर कीर्तन करते हैं।
साल 2025 में जनवरी में गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। साल 2025 में 6 जनवरी, सोमवार को प्रकाश पर्व है। इस दिन सिख धर्म के आखिरी और दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह जी महज दस साल की उम्र में वह गुरु बन गए थे।
पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। नानकशाी कैलेंडर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना, बिहार में 22 दिसंबर 1666 में हुआ था। वह एक कवि, भक्त, और आध्यात्मिक नेता थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी।
जानिए क्यों कहते हैं इस दिन को प्रकाश पर्व?
गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती को प्रकाश पर्व इसीलिए कहते हैं क्योंकि प्रकाश पर्व या प्रकाश उत्सव का अर्थ है मन से बुराइयों को दूर करते उसे सत्य, ईमानदारी, और सेवाभाव से प्रकाशित करना। गुरु नानक देव और गुरु गोबिंद सिंह ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाया था, इसीलिए इस दिन को इस नाम से जाना जाता है। इस खास दिन पर गुरुद्वारों को सजाया जाता है। नगर कीर्तिन, अरदास, भजन, कीर्तिन, प्रभात फेरी आयोजित होती हैं। साथ ही लंगर का भी आयोजन किया जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह शौर्य और साहस का प्रतीक हैं, उन्होंने अंधकार को दूर किया। साथ ही उन्होंने खालसा वाणी दी, यानि वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह। इतना ही नहीं, खालसा पंथ की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगलों और उनके सहयोगियों से कई बार लड़ाई की। इसी वजह से उनके जन्मोत्सव को प्रकाश पर्व कहा जाता है।
प्रकाश पर्व का महत्व जानिए,
प्रकाश पर्व सिखों के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि इस दिन गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी ने दुनिया को प्रकाश दिखाया। यह पर्व सिखों को एकजुट होने और गुरुओं के उपदेशों को याद करने का अवसर प्रदान करता है। प्रकाश पर्व के दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन, भजन और अरदास की जाती है।
जानिए, कैसे मनाया जाता है प्रकाश पर्व,
प्रकाश पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सिख गुरुद्वारों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है। सिख श्रद्धालु गुरुद्वारों में जाकर गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं, कीर्तन करते हैं और लंगर में भाग लेते हैं।
कीर्तन प्रकाश पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सिख संगत गुरु ग्रंथ साहिब के शबदों का कीर्तन करते हैं।
लंगर प्रकाश पर्व का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा है। सभी को निःशुल्क भोजन करवाया जाता है।
कई गुरुद्वारों में नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें सिख श्रद्धालु गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में रखकर शहर की परिक्रमा करते हैं।
प्रकाश पर्व का संदेश जानिए,
प्रकाश पर्व का संदेश सत्य, करुणा, सेवा और एकता का है। गुरु नानक देव जी ने सिखों को सिखाया कि सभी मनुष्य समान हैं और हमें एक-दूसरे से प्रेम और भाईचारा रखना चाहिए। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को सिखाया कि हमें हमेशा न्याय के लिए लड़ना चाहिए और कमजोरों की रक्षा करनी चाहिए।
प्रकाश पर्व सिख धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व सिखों को एकजुट होने और गुरुओं के उपदेशों को याद करने का अवसर प्रदान करता है। प्रकाश पर्व का संदेश सत्य, करुणा, सेवा और एकता का है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।
प्रकाश पर्व को भारत में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। प्रकाश पर्व के दिन कई स्कूलों और कॉलेजों में अवकाश होता है। प्रकाश पर्व के दिन कई राज्यों में सार्वजनिक अवकाश होता है।
गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे। उनका जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना साहिब, बिहार में हुआ था। वे गुरु तेग बहादुर जी के पुत्र थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म को एक सैन्य संगठन के रूप में संगठित किया और खालसा पंथ की स्थापना की।
गुरु गोबिंद सिंह जी का बचपन युद्ध और संघर्ष में बीता। मुगल शासकों द्वारा सिखों पर अत्याचार किए जा रहे थे। गुरु जी ने बचपन से ही शस्त्र अस्त्रों का प्रशिक्षण लिया और युद्ध कला सीखी। उन्होंने कई भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया।
1699 में, गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। खालसा पंथ के सदस्यों को खालसा कहा जाता है। खालसा पंथ के सदस्यों को पांच ककार धारण करने होते हैंः कंघा, कड़ा, कच्छा, करा और किरपान। खालसा पंथ ने सिखों को एकजुट किया और उन्हें मुगल शासकों का सामना करने की शक्ति प्रदान की। सत श्री अकाल,
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(साई फीचर्स)

ASHISH KOSHAL

आशीष कौशल का नाम महाराष्ट्र के विदर्भ में जाना पहचाना है. पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 30 वर्षों से ज्यादा समय से सक्रिय आशीष कौशल वर्तमान में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के नागपुर ब्यूरो के रूप में कार्यरत हैं . समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.