जानिए आखिर क्यों किया जाता है गौण योगिनी एकादशी का व्रत

इस साल पड़ने वाली गौण योगिनी एकादशी की तिथि, महत्व और व्रत विधि जानिए,
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हर वर्ष आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार योगिनी एकादशी 21 जून को पड़ रही है। गौण योगिनी एकादशी 22 जून, 2025 को है। यह आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, जिसे योगिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। 21 जून को एकादशी तिथि शुरू होगी और 22 जून को समाप्त होगी, इसलिए व्रत 22 जून को रखा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की खास पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं। तो आइए जानते हैं योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, कथा और पूजा विधि के बारे में।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
दरअसल, हिंदू धर्म में एकादशी तिथियों का विशेष स्थान होता है एवं ये भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं।
योगिनी एकादशी का परिचय जानिए, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी दरअसल, पापों का शमन करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है।
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विष्णु पुराण और पदम पुराण के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर फल की प्राप्ति होती है। एक बात का ध्यान रखें इस दिन अन्न का सेवन न करें। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करना और व्रत रखना बहुत फलदायी होता है। आपको बता दें कि महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। इस दिन सच्चे मन से भगवान की भक्ति करने से सारी मुरादें पूरी होती हैं। जून माह में कृष्ण पक्ष को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। विष्णु पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, योगिनी एकादशी व्रत करने से 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
जानिए इस साल कब है योगिनी एकादशी,
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 7 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और 22 जून को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, योगिनी एकादशी का व्रत 21 जून 2025 को रखा जाएगा। वहीं, योगिनी एकादशी का पारण 22 जून को होगा, जिसका शुभ मुहूर्त 22 जून को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट से शाम 4 बजकर 35 मिनट के बीच है।इस दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 9 बजकर 41 मिनट है।
योगिनी एकादशी का महत्व जानिए,
योगिनी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा माना जाता है। यह व्रत भौतिक समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है, धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का पुण्य 88 हजार ब्राम्हणों को भोजन कराने के बराबर है।
योगिनी एकादशी का पौराणिक महत्व जानिए, कथा का वर्णनः कुबेर के माली हेममाली और उसकी पत्नी विशालाक्षी की कथा। हेममाली का शिव पूजा से विमुख होना। कुबेर द्वारा दिया गया श्रापः कुष्ठ रोग और पतन। मार्कंडेय ऋषि से भेंट और उनके द्वारा योगिनी एकादशी व्रत का विधान बताना। व्रत के प्रभाव से श्राप मुक्ति और पूर्व रूप की प्राप्ति।
कथा से मिलने वाली शिक्षा के अनुसार व्रत का महत्व, भक्ति की शक्ति, पापों से मुक्ति का मार्ग ज्ञात होना है।
व्रत और पूजा विधि जानिए,
ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार करें। शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और आरती करें। अगले दिन, द्वादशी तिथि में पारण करें।
योगिनी एकादशी व्रत की विधि जानिए,
व्रत का संकल्प लें, दशमी तिथि की तैयारी एवं सात्विक भोजन, ब्रम्हचर्य का पालन। एकादशी के दिन सूर्याेदय से पूर्व उठना, स्नान करना। स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना।
पूजन सामग्री क्या हो, यह जानिए, भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र, गंगाजल, तुलसी दल, फूल, फल, धूप, दीप, चंदन, नैवेद्य (पंचामृत, मिठाई)।
पूजा विधि इस प्रकार है, भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना। चंदन का तिलक लगाना। पुष्प अर्पित करना। धूप-दीप जलाना। विष्णु सहस्रनाम या अन्य विष्णु मंत्रों का जाप। योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ या श्रवण। आरती करना। प्रसाद वितरण।
फलाहार और नियमों का पालन करने में क्षमतानुसार जल ग्रहण करना या निराहार रहना, अन्न का त्याग। तामसिक भोजन से परहेज। क्रोध, लोभ, मोह का त्याग। रात्रि जागरण का महत्व और भजन-कीर्तन।
द्वादशी को पारण किया जाएगा, द्वादशी के दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा। ब्राम्हणों को भोजन कराना और दान देना। पारण के शुभ मुहूर्त में व्रत खोलना।
योगिनी एकादशी व्रत का महत्व और लाभ जानिए,
पहला लाभ पापों से मुक्ति है, सभी प्रकार के पापों का शमन होता है, विशेषकर कुष्ठ रोग जैसे शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। अंत में स्वर्ग लोक की प्राप्ति और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति। समृद्धि और आरोग्य, शारीरिक स्वास्थ्य और धन-धान्य की वृद्धि। मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और मन की शुद्धि। पितरों का उद्धार, यह व्रत पितरों को भी शांति प्रदान करने वाला माना जाता है। अन्य धार्मिक लाभ, अश्वमेध यज्ञ के समान फल।
इस दिन क्या करें और क्या न करें, सबसे पहले जानते हैं कि क्या करें, ब्रम्हचर्य का पालन। सात्विक विचार। भगवान विष्णु का स्मरण। दान-पुण्य। ईमानदारी और सत्यनिष्ठा।
क्या न करें यह जान लीजिए, अन्न का सेवन। तामसिक भोजन। क्रोध, निंदा, झूठ। बाल काटना, नाखून काटना। शारीरिक संबंध बनाना।
योगिनी एकादशी व्रत कथा जानिए,
प्राचीन समय में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के महल में हेम नामक एक माली रहता था। उसका काम भगवान शिव की पूजा के लिए मानसरोवर से फूल लाना था। एक दिन, अपनी पत्नी के साथ समय बिताने के कारण वह देर से फूल लेकर दरबार में पहुंचा। इससे क्रोधित होकर राजा कुबेर ने उसे कोढ़ रोग का श्राप दे दिया।
श्राप के कारण हेम माली भटकने लगा और एक दिन मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। ऋषि ने अपनी दिव्य दृष्टि से हेम की स्थिति का कारण समझ लिया और उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत के प्रभाव से हेम का कोढ़ ठीक हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
जानिए, क्यों मनाई जाती है योगिनी एकादशी?
स्वर्ग लोक में कुबेर नाम का राजा रहता था, जो भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था। रोजाना वो शिव जी की पूजा करता था। एक दिन उसका हेम नाम का माली था, जो उसके लिए रोज फूल-माला लाता था। माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था। वह बेहद सुंदर थी। एक बार जब सुबह माली मानसरोवर से फूल तोड़कर लाया, लेकिन कामासक्त होने की वजह से वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद करने लगा। राजा को पूजा करने में देरी हो गई, जिसकी वजह से वह क्रोधित हुआ। ऐसे में राजा ने माली को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि तुमने ईश्वर की भक्ति से ज्यादा कामासक्ति को प्राथमिकता दी है, तुम्हारा स्वर्ग से पतन होगा और तुम धरती पर स्त्री वियोग और कुष्ठ रोग का सामना करोगे।
जब माली को कुष्ठ रोग हो गया तब क्या हुआ जानिए,
इसके बाद वह धरती पर आ गिरा, जिसकी वजह से उसे कुष्ठ रोग हो गया और उसकी स्त्री भी चली गई। वह कई वर्षों तक धरती पर कष्टों का सामना करता रहा। एक बार माली को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। तब उसने अपने जीवन की सभी परेशानियों को बताया। ऋषि माली को बातों को सुनकर आश्चर्य हुआ। ऐसे में मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया।
व्रत का प्रभाव जानिए,
मार्कण्डेय ने कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे जीवन के सभी पाप खत्म हो जाएंगे और तुम्हे दोबारा से स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाएगी। माली ने ठीक वैसा ही किया जैसा कि ऋषि ने बताया था। इसके बाद भगवान विष्णु ने उसके समस्त पापों को क्षमा करके उसे दोबारा से स्वर्ग लोक में स्थान दिया।
क्षेत्रीय भिन्नताएं और आधुनिक परिप्रेक्ष्य जानिए,
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस एकादशी को मनाने के तरीके में कुछ भिन्नताएं हो सकती हैं। आज के समय में व्रत का महत्वः भागदौड़ भरी जिंदगी में आत्मशुद्धि और आध्यात्मिकता का अवसर। पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के साथ व्रत का पालन। योगिनी एकादशी का सारः भक्ति, त्याग और पापों से मुक्ति। इस व्रत को सच्ची श्रद्धा और नियमों के साथ करने से मिलने वाले फल। आध्यात्मिक उन्नति और लौकिक सुखों की प्राप्ति का मार्ग। सभी दर्शकों एवं पाठकों को व्रत के लिए मंगल कामनाएं। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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श्वेता यादव

कर्नाटक की राजधानी बंग्लुरू में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो के रूप में कार्यरत श्वेता यादव ने नई दिल्ली के एक ख्यातिलब्ध मास कम्यूनिकेशन इंस्टीट्यूट से पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि लेने के बाद वे पिछले लगभग 15 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.