नरेंद्र मोदी, अमित शाह के साथ ही साथ संघ भी संतुष्ट दिखते हैं सिन्हा की कार्यप्रणाली से . . .
(लिमटी खरे)
विश्व के सबसे बड़े राजनैतिक दल के अगले मुखिया के नाम को लेकर कयासों का बाजार तेजी से गर्माता दिख रहा है। दिल्ली के सियासी बियावान में कल तक जिन नामों पर चर्चा चल रही थी उनमें शिवराजा सिंह चौहान का नाम सबसे आगे दिखाई दे रहा था। इसी बीच अब जम्मू काश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम राजनैतिक परिदृश्य में बहुत तेजी से उभरकर सामने आया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को इस बात के संकेत दिए हैं कि संघ और भाजपा में गहरी पैठ रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा मनोज सिन्हा के पक्ष में दोनों ही जगह लाबिंग आरंभ कर दी गई है। सूत्रों ने बताया कि इसी सब के चलते मनोज सिन्हा पिछले दिनों सत्ता के एक शीर्ष पदाधिकारी से भेंट भी कर चुके हैं। मनोज सिन्हा के बारे में यह कहा जाता है कि उनकी नजदीकियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के शीर्ष नेताओं के साथ लगभग बराबर ही है। यह बात उनके पक्ष में सबसे मजबूत ही है।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि संघ और पीएम से नजदीकियां ही प्रमुख यही कारण है कि अब शिवराज सिंह चौहान से आगे मनोज सिन्हा के नाम की चर्चा होती दिख ही है। उनका कहना था कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की योजनाएं और उनके नेतृत्व में बार बार भाजपा की सरकार बनने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद से हटाकर केंद्र में ले जाया जाना भी सियासी हल्कों में चर्चा का विषय बना रहा, जो अब नए भाजपाध्यक्ष के रूप में उनके नाम से जोड़कर देखा जा रहा है।
वहीं, इस नए समीकरण के बनते ही देश को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश में मनोज सिन्हा की मुखालफत अब तेज होती दिख रही है। उत्तर प्रदेश में मनोज सिन्हा के विरोधियों के द्वारा यह बात तेजी से प्रचारित की जा रही है कि मनोज सिन्हा के कहने पर गाजीपुर का टिकिट दिया गया था पर उनका प्रत्याशी बहुत ही बड़े अंतर से पराजित हुआ था, उनके कहने का लब्बो लुआब यही है कि जो एक संसदीय क्षेत्र को संभाल नहीं सका वह देश की सबसे ताकतवार पार्टी को किस दिशा में ले जाएंगे। हलांकि सिन्हा विरोधियों के तर्कों में बहुत दम दिखाई नहीं दे रहा है।
मनोज सिन्हा पूर्व में रेलवे राज्य मंत्री और संचार राज्य मंत्री का दायित्व संभाल चुके हैं। उन्होंने 07 अगस्त 2020 को बतौर राज्यपाल कार्यभार ग्रहण किया था। एक समय था जब यह माना जाता था कि अगर किसी को राज्यपाल बना दिया गया तो उसका सक्रिय राजनीतिक कैरियर समाप्त हो जाता था। यह मिथक पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के द्वारा तोड़ा गया जब उन्होंने पंजाब के राज्यपाल पद से लौटकर केंद्र में एक बार फिर दमदारी के साथ प्रवेश किया और संचार, मानव संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाला।
01 जुलाई 1959 को गाजीपुर के मोहनपुरा में जन्मे मनोज सिन्हा के द्वारा बीएचयू के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से बीटेक और एमटेक की उपाधियां हासिल की हैं। वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे कई बार संासद भी चुने गए हैं। इस लिहाज से उनके पास नेतृत्व की क्षमता पर्याप्त मानी जा सकती है। दिल्ली की सियासी फिजा में यह बात तेजी से तैर रही है कि मनोज सिन्हा के सर अगर भाजपा संगठन का ताज रख दिया जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
वैसे मनोज सिन्हा और शिवराज सिंह चौहान के नामों अलावा जिन नामों की चर्चाएं भाजपाध्यक्ष के लिए चल रही हैं, उनमें मनोहर लाल खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान, वसुंधरा राजे सिंधिया और स्मृति ईरानी के नामों का भी शुमार है।

43 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. दिल्ली, मुंबई, नागपुर, सिवनी, भोपाल, रायपुर, इंदौर, जबलपुर, रीवा आदि विभिन्न शहरों में विभिन्न मीडिया संस्थानों में लम्बे समय तक काम करने का अनुभव, वर्तमान में 2008 से लगातार “समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया” के ‘संस्थापक संपादक’ हैं.
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