गुजरात के कांग्रेस अधिवेशन में सेवादल पर पूरा फोकस करने की कवायद कर सकते हैं राहुल!
(लिमटी खरे)
देश भर में औंधे मुंह गिरी कांग्रेस को नए सिरे से संवारने, कांग्रेस में जान फूंकने के उद्देश्य से कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार राहुल गांधी ने अब कवायद आरंभ कर दी है। महासचिव, प्रभारियों और जिलों के अध्यक्षों के साथ हुई बैठक के बाद इस तरह के संकेत मिलने लगे हैं कि कांग्रेस को अब नए क्लेवर में लाने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। इसके लिए कांग्रेस के सेवादल को अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरह ही बनाने की कार्ययोजना भी बनाई जा रही है।
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के प्रभाव वाले गुजरात में 08 और 09 अप्रैल को होने वाले कांग्रेस के अधिवेशन में राहुल गांधी के द्वारा कांग्रेस के लिए बनाया गया भविष्य का रोडमेप सार्वजनिक किया जा सकता है। इसके लिए राहुल गांधी की किचिन कैबनेट के द्वारा होमवर्क भी लगभग पूरा कर लिया गया है।
सूत्रों का कहना था कि नेहरू गांधी परिवार की विरासत वाली सीट मानी जाने वाली अमेठी जिस पर राहुल गांधी को करारी पराजय का सामना करना पड़ा था, वहां के वर्तमान सांसद किशोरी लाल शर्मा और राहुल गांधी के बीच लगभग चार अहम बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों के बाद किशोरी लाल शर्मा के साथ लगभग चार दर्जन ऐसे नेता जो राहुल गांधी के जमाने में कांग्रेस सेवादल की रीढ़ माने जाते थे भी शामिल थे।
सूत्रों ने इस बात के संकेत भी दिए कि राहुल गांधी को इन सभी नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद इस बात के लिए राजी कर लिया गया है कि अब सब कुछ छोड़कर ‘मूल बातों पर वापस‘ (बैक टू द बेसिक) पर वापस लौटा जाए। इसके बाद से ही राहुल गांधी के निर्देश पर अब कांग्रेस के सेवादल में जान फूंकने की तैयारियों की कवायद आरंभ हो गई है। सूत्रों का कहना है कि दो तीन दशकों से सेवादल का मूल काम किसी नेता के आगमन पर गांधी टोपी पहनाकर झंडावंदन तक ही सीमित कर दिया गया था।
सूत्रों ने बताया कि सोनिया गांधी के सलाहकारों ने उन्हें मशविरा दिया है कि जिस तरह संघ के द्वारा आम जनता के बीच जाकर उनसे घुल मिलकर अपनी बातें कहीं जाती हैं, जिस तरह संघ के शिविरों में आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है उसी तरह कांग्रेस सेवादल के गठन के मूल उद्देश्यों को देखते हुए सेवादल को जनता से जोड़ने की कवायद किए बिना सत्ता तक नहीं पहुंचा जा सकता है।
इधर, कांग्रेस की शक्ति के केंद्र 10 जनपथ के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी के बीच हुई मंत्रणा के बाद सोनिया गांधी ने भी इस बात के लिए हरी झंडी दे दी है कि सेवादल जैसे संगठन को बूथ लेवल तक नए सिरे से तैयार और सक्रिय किया जाए। इसके बाद अब कांग्रेस के आला नेताओं को गुजरात अधिवेशन में इस बात के निर्देश दिए जा सकते हैं कि कांग्रेस सेवादल को पूरी तरह एक्टिव किया जाए और लोगों के बीच पैठ बनाने के लिए इसको मूव किया जाए।
ज्ञातव्य है कि इस साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के द्वारा कांग्रेस की अध्यक्षता किए जाने के 100 साल पूरे हो रहे हैं और आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंति भी है। सूत्रों की मानें तो अब कांग्रेस के द्वारा ‘मोदी शाह का गुजरात नहीं, गांधी, पटेल का गुजरात है‘ पंच लाईन को अधिवेशन में अपनाया जा सकता है।
ये होंगी राहुल गांधी के लिए चुनौतियां!
वहीं, कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस अगर रसातल में गई है तो उसके लिए कोई और नहीं, वरन सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस ही जवाबदेह है। अब जबकि कांग्रेस न तो केंद्र में है और न ही बहुत सारे राज्यों में, तब कांग्रेस के कार्यकर्ता का उदरपोषण कैसे हो पाएगा! कब तक कार्यकर्ता भूखे पेट पार्टी का झंडा लेकर खड़ा रहेगा!
उक्त पदाधिकारी ने ऑफ द रिकार्ड कहा कि कांग्रेस के आला नेताओं को चाहिए कि वे पहले जिला स्तर पर सर्वेक्षण करवाएं और पदाधिकारियों की जमीनी हालात को टटोलें। जिला स्तर पर सभी नेता विपक्षी दलों के स्थानीय नेताओं के साथ बेहतर समन्वय बनाकर चलते हैं और देश प्रदेश के नेताओं को गरियाते रहते हैं। ऐसी स्थिति में जनता का विश्वास जीतना कठिन ही होगा, क्योंकि स्थानीय समस्याओं को बिसारकर नेताओं के द्वारा प्रादेशिक और राष्ट्रीय मुद्दों की बात की जाती है। वर्तमान में सोशल मीडिया का दौर है और स्थानीय समस्याओं के सोशल मीडिया में अंबार लगे होने के बाद भी कांग्रेस के संगठनों के द्वारा इन पर मौन साधने से जनता का विश्वास जीतना शायद कठिन ही प्रतीत होता है।

43 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. दिल्ली, मुंबई, नागपुर, सिवनी, भोपाल, रायपुर, इंदौर आदि विभिन्न शहरों में विभिन्न मीडिया संस्थानों में लम्बे समय तक काम करने का अनुभव, वर्तमान में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संस्थापक संपादक हैं.
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