कांग्रेस का गरूर रहे शशि थरूर अब बन चुके हैं कांग्रेस के गले की फांस!

थरूर को लेकर किस तरह का कदम उठाएं यह तय करने में लगी है ‘राहुल मण्डली‘!
(लिमटी खरे)


एक समय था जब कांग्रेस के आला नेताओं के आंखों का तारा अगर कोई था तो वे थे शशि थरूर, पूर्व राजनयिक और विदेश मामलों में महारथ हासिल रखने वाले शशि थरूर कई बार कांग्रेस के संकटमोचक भी बने। वर्तमान में ग्रहों की चाल शायद उल्टी चल रही है जिसके चलते कांग्रेस के आंखों के तारे ही अब कांग्रेस की आंखों में शूल बनकर चुभते दिख रहे हैं। दरअसल पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए विदेश भेजे गए प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व शशि थरूर को दिया गया और उनके द्वारा विदेशों में मोदी सरकार की तारीफों में जो कशीदे गढ़े उससे उनके द्वारा समा बांध दिया गया।
कांग्रेस के तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जब वे आधी दुनिया की सैर पर निकले थे तो उसके पहले उनके द्वारा मलयाली भाषा के जानकार कुछ पत्रकारों को अपने घर आने का न्योता दिया था। इस दौरान उनके द्वारा आम और चाट इन पत्रकारों को परोसा था। सभी जानते हैं कि शशि थरूर एक बहुत ही अच्छे मेजबान हैं। इस दौरान शशि थरूर ने अपने मन की बात वहां उपस्थित कुछ पत्रकारों से साझा की।
उन्हीं में से एक पत्रकार ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि दरअसल, शशि थरूर को राहुल गांधी से कोई समस्या नहीं है। उनकी समस्या की असली जड़ के.सी. वेणुगोपाल हैं। राहुल गांधी की नजदीकी पाकर वेणुगोपाल खुद को न केवल पार्टी का प्रमुख समझने लगे हैं, वरन वे शशि थरूर को जरा भी भाव नहीं देते हैं। वेणुगोपाल की सलाह पर ही अगले साल की पहली छमाही में होने वाले केरल चुनावों में शशि थरूर की भूमिका कमोबेश हाशिए वाली ही रखने पर राहुल गांधी ने सहमति भी दे दी है। इसी सबके चलते अब शशि थरूर से उनकी ही पार्टी के विधायक भी किनारा करने लगे हैं। शशि थरूर के इस दर्द को पत्रकारों ने समझा और मदद का आश्वासन भी दिया है।
उधर, कांग्रेस के अघोषित तौर पर बन चुके शक्ति के शीर्ष केंद्र राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने इस बात का दावा किया है कि शशि थरूर कहीं न कहीं पार्टी लाईन या लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन कर रहे हैं, जो उचित नहीं है। शशि थरूर के कदमतालों पर राहुल मण्डली नजर तो पूरी रखे हुए है, किन्तु वे क्या कदम उठाएं यह बात अभी तक साफ नहीं हो सकी है। थरूर के बयानों से राहुल नाराज तो हैं, किन्तु उनके सलाहकारों ने तत्काल कोई भी कदम नहीं उठाने और वेट एण्ड वॉच की रणनीति अपनाने की सलाह दी है।
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या केरल के चुनावों की है। कांग्रेस ने अगर अभी थरूर पर कोई कार्यवाही की तो शशि थरूर को सियासी तौर पर शहीद मना जाएगा और उसका सीधा असर केरल विधानसभा पर पड़ेगा। ज्ञातव्य है कि शशि थरूर ने 18 फरवरी को राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उसके बाद से ही थरूर के मिज़ाज बदले नजर आने लगे थे। इसके पहले भी शशि थरूर की भाव भंगिमाएं कई बार इस तरह की रहीं हैं कि कांग्रेस आलाकमान को शर्मसार तक होना पड़ा था।
शशि थरूर की किताब ‘द ग्रेट इंडियन नावेल‘ भी इन दिनों एक बार फिर कांग्रेस मुख्यालय में चर्चाओं में है। इस किताब में शशि थरूर ने लिखा था कि 15 अगस्त 1947 को आजादी के बाद भारत का नेतृत्व धृतराष्ट्र के हाथों में आया था। बस यही बात भाजपा के लिए कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा अस्त्र ही साबित हो रही है। इसके अलावा शशि थरूर ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नेहरू गांधी परिवार के मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ चुनाव तक लड़ लिया था।
सियासी जानकारों का मानना है कि शशि थरूर अभी 69 साल के हैं और अगर वे भाजपा में जाते हैं तथा भाजपा उन्हें राज्य सभा से सदन में भेजती है तो बतौर सांसद उनकी नौकरी 75 साल की आयु पूरी करने तक पक्की मानी जा सकती है। इसके बाद हो सकता है कि वे सक्रिय राजनीति को तजकर विदेश में जा बसें। उनकी माता जी की आयु 94 वर्ष की है, एवं वे बेहद स्वस्थ्य है। उनकी बहनें, दोनों बेटे भी विदेशों में ही जाकर बस चुके हैं।
शशि थरूर अगर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाते हैं तो उन्हें तिरूवनंतपुरम लोकसभा सीट से त्यागपत्र देना होगा, इसके बाद भाजपा अगर एक बार फिर राजीव चंद्रशेखकर को वहां से मैदान में उतारती है तो उनको वेतरणी पार कराने में शशि थरूर बहुत अच्छे मल्लाह साबित हो सकते हैं।
इधर, प्रधानमंत्री कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को इस बात के संकेत भी दिए हैं कि शशि थरूर को पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय देने पर विचार चल रहा था, किन्तु यह प्रस्ताव संघ को नागवार गुजर रहा है, क्योंकि संघ चाहता है कि एचआरडी मिनिस्ट्र में उसका दखल बरकार रहे। अब शशि थरूर के लिए विदेश मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय देने पर भी विचार जारी है।
(साई फीचर्स)

लिमटी खरे

43 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. दिल्ली, मुंबई, नागपुर, सिवनी, भोपाल, रायपुर, इंदौर, जबलपुर, रीवा आदि विभिन्न शहरों में विभिन्न मीडिया संस्थानों में लम्बे समय तक काम करने का अनुभव, वर्तमान में 2008 से लगातार "समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया" के 'संस्थापक संपादक' हैं. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.