शौर्य का सिंदूर : जब भारत ने मौन नहीं प्रतिशोध चुना

(लेखक: हेमंत मोराने)

नई दिल्ली। पहलगाम की शांत और सुरम्य भूमि, जो कभी भारत की सांस्कृतिक विरासत का गवाह थी, आज आतंकवादियों के दुष्कृत्यों का शिकार हो गई। यह हमला केवल एक सैन्य अभियान तक सीमित नहीं था, बल्कि यह हमारी आस्था, संस्कृति और राष्ट्रीय सम्मान पर किया गया हमला था। पहलगाम पर हुआ आतंकी हमला, वह दिन था जब भारत ने ठान लिया कि अब वह सिर्फ़ निंदा नहीं करेगा, बल्कि पूरे संकल्प, समर्पण और राष्ट्रभावना के साथ प्रतिशोध लेगा। यह प्रतिशोध था “ऑपरेशन शौर्य का सिंदूर” का।

शौर्य का प्रतीक: ऑपरेशन सिंदूर

भारत, जो हमेशा शांति का पक्षधर रहा है, उस पर एक बार फिर हमला किया गया था। लेकिन इस बार, भारत ने प्रतिक्रिया करने का तरीका बदल दिया। मोदी सरकार ने जिस निर्णायकता और दृढ़ संकल्प से इस ऑपरेशन को चलाया, वह काबिल-ए-तारीफ है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के गढ़ों को नेस्तनाबूत किया, उनकी सैन्य ताकत को कमजोर किया, और उन देशों को यह संदेश दिया कि अब भारत किसी भी आतंकी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह युद्ध केवल सीमा पर लड़ा गया सैन्य संघर्ष नहीं था, बल्कि यह हमारी सामूहिक चेतना, हमारी संस्कृति, और हमारे अस्तित्व की लड़ाई भी थी।

नए भारत की सामरिक नीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सामरिक और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर निर्णायक और सशक्त कदम उठाए हैं। 2014 के बाद, जब से मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है, तब से भारत ने अपनी सुरक्षा नीति में कई बदलाव किए हैं। भारत की सैन्य नीति अब न केवल सुरक्षा बलों पर आधारित है, बल्कि इसमें कूटनीतिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारकों को भी प्रमुखता दी गई है।

भारत ने पहले से कहीं अधिक सैन्य सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और अब “ऑपरेशन सिंदूर” के जरिए यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी सीमाएं केवल भौगोलिक रेखाएं नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान की दीवारें हैं। मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश की सुरक्षा और प्रतिष्ठा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

सेना का अदम्य साहस

ऑपरेशन “शौर्य का सिंदूर” के दौरान भारतीय सेना ने जिस अदम्य साहस और जोश का प्रदर्शन किया, वह एक मिसाल है। सेना ने न केवल पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूत किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि भारतीय सेना अब युद्ध सिर्फ सैन्य तरीके से नहीं, बल्कि रणनीतिक तौर पर भी लड़ेगी। आतंकवादियों का सफाया करते समय भारतीय सेना ने अपनी पेशेवर क्षमता, अपने सामरिक कौशल, और अपने आत्मविश्वास का बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत किया। इस ऑपरेशन ने यह साबित किया कि भारत अब किसी भी प्रकार की आंतरिक या बाहरी सुरक्षा चुनौतियों से जूझने के लिए पूरी तरह तैयार है।

कूटनीतिक सफलता: पाकिस्तान को बेनकाब करना

ऑपरेशन “सिंदूर” के दौरान भारत ने जिस तरह से कूटनीतिक मोर्चे पर सफलता हासिल की, वह भी उल्लेखनीय है। पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर बेनकाब करना, अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए पाकिस्तान के आतंकवादियों को समर्थन देने के तथ्य को उजागर करना, और घरेलू मीडिया को संयमित दिशा में निर्देशित करना, यह सब केंद्र सरकार की कुशल कूटनीतिक रणनीति का परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को यह संदेश दिया कि आतंकवादियों को सहारा देने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौती दी जाएगी। पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया गया कि अब कोई भी देश भारत के खिलाफ आतंकवादियों को प्रोत्साहित करने की सोच भी नहीं रख सकता।

सोशल मीडिया: एक नई युद्धभूमि

यह पहली बार है जब नागरिक समाज ने भी इस युद्ध में सक्रिय रूप से भाग लिया। सोशल मीडिया ने इस युद्ध को एक नया आयाम दिया। सोशल मीडिया के जरिए भारत ने न केवल अफवाहों और गलत जानकारी से लड़ा, बल्कि देशवासियों को एकजुट कर राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी बताई। सोशल मीडिया ने यह साबित किया कि अब युद्ध सिर्फ बारूद से नहीं, बल्कि विचार, भावना और डिजिटल शक्ति से भी लड़ा जा सकता है। भारत ने अपनी एकजुटता को दिखाया और दुनियाभर में यह संदेश भेजा कि एक राष्ट्र के रूप में हम सब एकजुट हैं।

नीति और सिद्धांत: अब युद्ध की नई परिभाषा

ऑपरेशन “सिंदूर” ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब युद्ध केवल सैन्य बल से नहीं लड़ा जाता। यह युद्ध नीति, सिद्धांत, और राष्ट्रीय चेतना का भी युद्ध है। मोदी सरकार ने यह साबित किया कि भारत अब किसी भी प्रकार के आक्रमण का शिकार नहीं बनेगा। इस नई रणनीति ने यह दिखा दिया कि भारत सिर्फ अपनी सीमाओं को बचाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति, अपने मूल्यों और अपनी आत्मा को बचाने के लिए भी हर संभव कदम उठाएगा।

भारतीय सेना का अपार साहस और विश्वास

भारत की सेना ने जो साहस दिखाया, वह अभूतपूर्व था। भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त किया, और यह साफ कर दिया कि भारतीय सेना अब केवल एक सैनिक बल नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति बन चुकी है। यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य विजय नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा की विजय है।

राष्ट्रीय सुरक्षा और जिम्मेदारी

इस ऑपरेशन के साथ-साथ यह भी महत्वपूर्ण था कि भारत ने यह सुनिश्चित किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में नागरिकों की जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। मीडिया, सोशल मीडिया, और आम नागरिकों को इस बारे में जागरूक किया गया कि उनका कोई भी कृत्य, टिप्पणी, या आचरण दुश्मन के हाथों में खिलौना न बने। मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि राष्ट्र की एकता और सुरक्षा सर्वोपरि रहे, और इसके लिए सभी को अपना कर्तव्य निभाना होगा।

भारत ने यह साबित कर दिया कि अब उसकी सामरिक नीति और कूटनीति दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि यह देश के प्रति समर्पण, एकता, और राष्ट्रवाद का संदेश था। मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत अब किसी भी आतंकवाद और बाहरी आक्रमण के खिलाफ निर्णायक और समर्पित खड़ा है।

जय भारत। वंदे मातरम।

(साई फीचर्स)

आशीष कौशल

आशीष कौशल का नाम महाराष्ट्र के विदर्भ में जाना पहचाना है. पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 30 वर्षों से ज्यादा समय से सक्रिय आशीष कौशल वर्तमान में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के नागपुर ब्यूरो के रूप में कार्यरत हैं . समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.